(अंजू त्रिवेदी)
नयी दिल्ली, 27 फरवरी (भाषा) संगीत जगत के सबसे प्रतिष्ठित ‘ग्रैमी अवार्ड्स’ के तहत ‘सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम’ (बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम) का पुरस्कार प्राप्त करने को लेकर वायलिन वादक गणेश राजगोपालन काफी भावुक दिखे। राजगोपालन ने ‘बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम’ के लिए गोल्डन ग्रामोफोन प्राप्त करने के वास्ते अपने ‘शक्ति बैंड’ के सदस्यों के साथ ग्रैमी मंच तक पहुंचने को याद करते हुए कहा, ऐसा लगा जैसे कि समय ठहर गया हो।
‘शक्ति बैंड’ ने 45 वर्षों से अधिक समय में बैंड के पहले स्टूडियो एल्बम ‘दिस मोमेंट’ के लिए ग्रैमी पुरस्कार जीता।
राजगोपालन, शक्ति के संस्थापक और गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, तबला वादक जाकिर हुसैन, गायक शंकर महादेवन और तालवादक सेल्वगणेश विनायकराम ने इस महीने की शुरुआत में अमेरिका में एक समारोह में यह पुरस्कार जीता।
राजगोपालन ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह सुखद एहसास की तरह था, क्योंकि समय (हमारे लिए) ठहर गया था। हमारे साथ 25 लोगों की एक टुकड़ी थी, इसलिए उसी समय जश्न शुरू हो गया। यह स्मृति में अंकित एक अविस्मरणीय और खूबसूरत पल था।’’
उनसठ वर्षीय वायलिन वादक, जो अपने भाई कुमारेश के साथ कर्नाटक संगीत बिरादरी में एक प्रमुख नाम हैं, सिएटल (अमेरिका) में बसे हैं, लेकिन उनका चेन्नई में भी एक घर है।
वह मैकलॉघलिन और हुसैन को स्टूडियो एल्बम के पीछे की प्रेरक शक्ति होने का श्रेय देते हैं, जिसे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बैठे सदस्यों के साथ महामारी के दौरान बनाया गया था।
राजगोपालन 2019 में ‘शक्ति’ के सदस्य बने, उन्होंने लक्ष्मीनारायण एल शंकर के समूह छोड़ने के बाद एक वायलिन वादक के रूप में इसमें कदम रखा। शक्ति की स्थापना मूल रूप से 1976 में हुई थी।
संगीतकार ने कहा कि एक बैंड के रूप में शक्ति प्रत्येक सदस्य के लिए बहुत खास है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम एक साथ मिलते हैं, तो शक्ति आप में जो तरंग और ऊर्जा लाती है, आप उस तरह के एहसास में डूब जाएंगे। हम उसके लिए तरसते हैं और जब कोई अंतराल होता है, तो हम उस एहसास के लिए तरसते हैं। ऐसे महान लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना भी ‘शक्ति’ के साथ काम करने का एक लाभ है।’’
राजगोपालन ने कहा कि बैंड, जिसके संस्थापक सदस्य मैकलॉघलिन, हुसैन, लक्ष्मीनारायण शंकर और विक्कू विनायकराम थे, ‘परिभाषित फ्यूजन’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बहुत अनोखा और विशेष बैंड है। इसकी स्थापना होती है और इसके बाद करीब 10 साल तक चला और फिर बिखर जाता है। इसके बाद यह फिर नये अवतार में सामने आता है और फिर बिखर जाता है। इसके बाद यह दूसरे रूप में आता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘50 साल बीत चुके हैं और ‘शक्ति’ भी समय के साथ विकसित हुआ है और पहले के शुरुआती संगीत से आज का संगीत बहुत अलग है। यह बहुत अलग है, बहुत सुंदर है और यह समय के साथ विकसित हुआ है, सदस्यों में बदलाव हुआ है और अब इसने एक चक्र पूरा कर लिया है।’’
राजगोपालन ने अतीत में संगीतकार ए आर रहमान, इलैयाराजा और एम कीरावनी जैसे संगीतकारों के साथ काम किया है और वह पोर्टलैंड (यूएस) में एस्वारा स्कूल ऑफ म्यूजिक के संस्थापक भी हैं। उन्होंने कहा कि वह संगीत में नए विचारों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
भाषा संतोष दिलीप
दिलीप
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