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बुधवार, 11 जून, 2025
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‘मुक्ति दिवस’तक वन अधिकार अधिनियम के तहत लंबित मामलों का समाधार करेंगे : गोवा सरकार

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पणजी, चार जून (भाषा)गोवा सरकार ने बुधवार को आश्वासन दिया कि वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत लंबित सभी मामलों को 19 दिसंबर को राज्य के ‘मुक्ति दिवस’ तक सुलझा लिया जाएगा। इनमें ज्यादातर मामले आदिवासियों के भूमि स्वामित्व से संबंधित हैं।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने एफआरए के राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी अजय गौड़ सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यह घोषणा की।

सांवत ने पोरवोरिम स्थित ‘मंत्रालय’ (राज्य सचिवालय) में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार ने 19 दिसंबर 2025 तक एफआरए के तहत सभी लंबित मामलों को निपटाने का संकल्प लिया है।

गोवा हर साल 19 दिसंबर को 450 साल के पुर्तगाली शासन से आजाद होने के उपलक्ष्य में ‘मुक्ति दिवस’ मनाता है।

एफआरए को आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम के रूप में जाना जाता है। यह कानून वन में रहने वाले समुदायों के भूमि और संसाधनों पर अधिकारों को मान्यता देता है, जिनका वे पारंपरिक रूप से उपयोग करते आए हैं।

सावंत ने कहा कि सरकार को अब तक एफआरए के तहत 10,500 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 871 का निपटारा कर दिया गया है, जबकि 949 को खारिज कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि कुछ आवेदनों को इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि दावा की गई भूमि राजस्व क्षेत्र में स्थित थी, न कि वन सीमा के भीतर, जैसा कि अधिनियम के तहत अपेक्षित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दावों का निस्तारण करने के लिए जिला अधिकारी 14 जून को सभी छह तालुकों – क्यूपेम, संगुएम, धारबंदोरा, कैनाकोना, पोंडा और सत्तारी में ‘‘विशेष शिविर’’ आयोजित करेंगे।

भाषा धीरज नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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