नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि संसद के मानसून सत्र के दौरान 71 कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘हमें उन अनुपालनों को कम करना चाहिए जो लोगों के जीवन पर बोझ के रूप में काम कर रहे हैं.’
केंद्रीय कानून मंत्री ने आगे कहा कि अभी तक हम 1486 पुराने कानूनों और प्रावधानों को हटा चुके हैं. उन्होंने बताया कि सरकार ने ऐसे 1824 कानूनों की भी पहचान की है.
रिजिजू ने कहा, ‘आगामी संसदीय सत्र में मैं ऐसे 71 कानूनों को हटाने के लिए प्रतिबद्ध हूं.’
निचली और उच्च अदालतों की कार्यवाही में क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
रिजिजू ने राजस्थान के जयपुर में अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में यह बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि मातृभाषा को अंग्रेजी से कम नहीं समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो इससे सहमत नहीं हैं कि एक वकील को अधिक सम्मान या फीस सिर्फ इसलिए मिलनी चाहिए क्योंकि वह अंग्रेजी में बोलता है.
उन्होंने कहा कि कोई भी अदालत सिर्फ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए नहीं होनी चाहिए और न्याय के दरवाजे सभी के लिए ‘बराबरी’ से खुले होने चाहिए.
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कोर्ट में पड़े लंबित केसों पर चिंता व्यक्त की है.
उन्होंने कहा, ‘चिंता की बात यह है कि आज देश भर की अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित हैं। इन मामलों को कम करने के लिए सरकार और न्यायपालिका को समन्वय में काम करने की जरूरत है.’
केंद्रीय मंत्री ने आगे जानकारी देते हुए कहा, ‘कल मैनें अपने डिपार्टमेंट के ऑफिसर से बात की है कि कुछ ऐसा ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे हम 2 करोड़ केस को 2 साल में खत्म कर सकें. मैं कही भी जाता हूं तो पहला सवाल मेरे सामने यही आता है कि सरकार पेंडिंग केस को खत्म करने के लिए क्या कदम उठा रही है.’
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