नई दिल्ली: भारत को शुक्रवार को जापान से ‘मजबूत’ समर्थन मिला. टोक्यो ने नई दिल्ली को आश्वासन दिया कि वह चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विशेष रूप से लद्दाख में जहां पर 15 जून को आमना-सामना हुआ था, वहां की यथास्थिति को बदलने के लिए एकपक्षीय प्रयास का ‘विरोध’ करेगा.
विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला और भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी के बीच शुक्रवार सुबह फोन पर बातचीत के दौरान इस मामले पर चर्चा हुई.
सुजुकी ने फोन कॉल के बाद एक ट्वीट में कहा, ‘एफएस (विदेश सचिव) श्रृंगला के साथ अच्छी बातचीत हुई. शांतिपूर्ण समाधान को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार की नीति सहित एलएसी के साथ स्थिति पर उनकी जानकारी की सराहना की. जापान संवादों के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद भी करता है. जापान ने यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध किया है.’
Had a good talk with FS Shringla. Appreciated his briefing on the situation along LAC, including GOI’s policy to pursue peaceful resolution. Japan also hopes for peaceful resolution through dialogues. Japan opposes any unilateral attempts to change the status quo.
— Satoshi Suzuki (@EOJinIndia) July 3, 2020
एक शीर्ष अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘नई दिल्ली का मानना है कि भारत-चीन सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर टोक्यों द्वारा ‘एलएसी मुद्दे पर कड़ा रुख’ अपनाना एक मजबूत समर्थन है.
जापान और भारत न केवल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और अन्य देशों के साथ स्थापित इंडो-पैसिफिक में एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार हैं, बल्कि वे चतुर्भुज सुरक्षा (क्वॉड) वार्ता का भी हिस्सा हैं.
अमेरिका के बाद जापान दूसरा ऐसा देश है जिसके साथ भारत विदेश और रक्षा मंत्रालयों के बीच सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों के लिए ‘2+2’ बैठक करता है.
फोन कॉल उस दिन हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निमू, लद्दाख का दौरा किया और सेना, वायु सेना और आईटीबीपी के सैनिकों के साथ बातचीत की. प्रधानमंत्री के साथ सेना प्रमुख एम.एम. नरवाणे और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत भी हैं.
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गतिरोध जारी
नई दिल्ली और बीजिंग के बीच तनाव कम करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर नियमित रूप से दोनों के बीच चर्चा चल रही है, जो मई में शुरू हुई लेकिन गतिरोध अभी भी जारी है.
अब तक भारत ने अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस और अब जापान जैसे अपने कुछ रणनीतिक साझेदारों के साथ गतिरोध पर चर्चा की है.
इस वर्ष की शुरुआत में, भारत ने चीन से आने वाले विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को भी प्रतिबंधित कर दिया था और इस सप्ताह 59 चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि मोदी सरकार का मानना है कि वे ऐसे ‘गतिविधियों में लगे हुए थे जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की सुरक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण है.’
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