गुवाहाटी, 15 मार्च (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि मूल निवासियों की आस्था के लिए गठित उनकी सरकार का नया विभाग मूल निवासियों और आदिवासी समुदायों की आस्था और संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन सुनिश्चित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगा।
गुवाहाटी में सोमवार रात 30 आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत में सरमा ने कहा कि असम एक ऐसा राज्य है, जहां सदियों से विभिन्न स्थानों एवं आदिवासी धर्म और संस्कृति के लोग निवास कर रहे हैं, लेकिन युवा पीढ़ी का कई कारणों से प्राचीन आस्था एवं प्रथाओं से संपर्क टूटता नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मूल जनजातीय आस्था एवं संस्कृति के प्राचीन ज्ञान के महत्व को ध्यान में रखते हुए मेरी सरकार ने मानवशास्त्र के लिहाज से मूल निवासी और आदिवासी समुदायों की आस्था एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक विभाग के गठन का फैसला लिया है।’’
उन्होंने कहा, “विभाग असम की जनसांख्यिकी को समृद्ध करने के वास्ते राज्य सरकार के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगा। साथ ही यह प्राचीन आस्था और संस्कृति के गुणों को आत्मसात करने में युवा पीढ़ी की मदद के लिए गहन शोध कार्यों को अंजाम देगा।”
सरमा ने प्रतिनिधियों से कहा कि वे अपने संगठनों को विभाग के साथ पंजीकृत कराएं, ताकि सरकार उन संगठनों को संस्थागत सहायता मुहैया कर सके, जो स्वदेशी और आदिवासी आस्था एवं संस्कृति के संरक्षण तथा संवर्धन के काम में जुटे हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आदिवासी समुदाय, जो अभी भी अपने प्राचीन धर्म, आस्था और संस्कृति का अभ्यास एवं संरक्षण कर रहे हैं, वे भी एक पोर्टल के माध्यम से सरकारी सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इन विषयों पर अध्ययन के लिए प्रेरित करने को सरकार पर्याप्त कदम उठाएगी, ताकि समाज का बड़े पैमाने पर भला हो सके।
सरमा के मुताबिक, राज्य सरकार मूल निवासियों और आदिवासी समुदायों की आस्था के प्रचार-प्रसार के लिए उनकी विशेषताओं, कृतियों, कला और संस्कृति को लघु रूप में समाहित करने वाली एक विशाल प्रदर्शनी के आयोजन की भी योजना बना रही है।
भाषा पारुल शोभना
शोभना
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