नई दिल्ली: भारत और खाड़ी देशों के बीच जारी राजनयिक संकट के बीच इस महीने के अंत में जर्मनी में प्रस्तावित जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद लौटते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का दौरा कर सकते हैं. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.
प्रधानमंत्री मोदी को जनवरी में यूएई का दौरा करना था लेकिन कोविड वायरस का ओमिक्रॉन वैरिएंट फैलने के बाद यह प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी गई थी. हालांकि, अधिकारिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार का मानना है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो पूर्व प्रवक्ताओं द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर भारत की आलोचना के मद्देनजर यूएई के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए यह एक ‘उपयुक्त’ समय है.
सूत्रों के मुताबिक, जिन देशों ने विरोध जताया, उनमें यूएई का बयान और रुख उतना ‘सख्त’ नहीं था. कुवैत, कतर और ईरान के विपरीत, इसने अपने देश में भारत के दूत को भी तलब नहीं किया.
यूएई के विदेश मंत्रालय ने पिछले सोमवार को कहा था कि भाजपा पदाधिकारियों की टिप्पणी ‘नैतिक और मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ’ है, और साथ ही उसने ‘धार्मिक प्रतीकों के सम्मान की जरूरत और अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर काबू पाने’ पर भी जोर दिया था.
मोदी 26 से 28 जून तक चलने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जर्मनी के श्लॉस एलमाऊ जाएंगे. सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा की तैयारियां करने वाली विदेश मंत्रालय की एडवांस टीम के जल्द ही यूएई रवाना होने की उम्मीद है.
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क्यों मायने रखते हैं यूएई के साथ अच्छे रिश्ते
भारत के लिए यूएई के साथ संबंध बढ़ाना न केवल व्यापार और कारोबार पर निर्भरता, बल्कि वहां भारतीय समुदाय की अच्छी-खासी मौजूदगी के कारण भी काफी मायने रखता है.
मोदी की यात्रा ऐसे समय होने के आसार हैं जब भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं, जिसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) कहा जाता है. फरवरी में हस्ताक्षरित सीईपीए 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पहला ऐसा व्यापार समझौता है. यह पहला ऐसा व्यापक व्यापार समझौता भी है जिसे भारत ने खाड़ी देश के साथ किया है.
मई में प्रभावी हुए इस समझौते के तहत अगले पांच सालों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है, जो अभी 50-60 अरब डॉलर के करीब है. करार के तहत भारत और यूईई द्वारा निर्यात किए जा रहे उत्पादों की एक रेंज पर टैरिफ खत्म किया गया है.
मोदी के अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 तक चले दुबई एक्सपो में भी शामिल होने की उम्मीद थी.
संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत संजय सुधीर ने हाल ही में कहा था कि दोनों सरकारें क्षेत्र-विशिष्ट पहलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक त्रिस्तरीय रणनीति तैयार कर रही हैं जिसे सीईपीए के तहत जल्द ही लागू किया जाएगा.
Unlocking #IndiaUAECEPA ! Amb @sunjaysudhir highlighted the opportunities for Indian and UAE businesses at the #IndiaUAECEPA symposium @cgidubai. Representatives from both ?? and ?? business community participated in the event. pic.twitter.com/E6rbtUCI4I
— India in UAE (@IndembAbuDhabi) June 9, 2022
वहीं, दुबई में भारत के महावाणिज्य दूत अमन पुरी ने इस महीने के शुरू में वहां एक व्यापारिक बैठक में कहा था, ‘संयुक्त अरब अमीरात और भारत दोनों के बीच व्यापार संबंध एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां दोनों अर्थव्यवस्थाएं परस्पर शानदार व्यापारिक अवसरों की पेशकश करके एक-दूसरे से अत्यधिक लाभ उठा सकती हैं. चालू वर्ष में संयुक्त अरब अमीरात की तरफ से भारत में और भारत की ओर से यूएई में भारी निवेश किया जाएगा.’
संयुक्त अरब अमीरात मौजूदा समय में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में 59 बिलियन डॉलर रहा है. यूएई भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यात स्थल भी है, जिसका निर्यात 2019-2020 में 29 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी खाड़ी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए नियमित तौर पर जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) का दौरा करते रहे है. यही नहीं, यूएई ने 2019 में उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ से भी सम्मानित किया था.
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