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Thursday, 26 December, 2024
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कोयला घोटाला मामले में सुनवाई से अदालतों को रोकने संबंधी आदेश में संशोधन पर विचार करेंगे: न्यायालय

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नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह अपने पूर्व के आदेशों में संशोधन के अनुरोध वाली याचिकाओं पर विचार करेगा, जिनमें उच्च न्यायालयों को कथित अवैध कोयला ब्लॉक आवंटन से संबंधित मामलों में निचली अदालतों के आदेशों के खिलाफ अपीलों पर सुनवाई करने से रोक दिया गया था।

शीर्ष अदालत ने 2014 और 2017 के बीच दो आदेश पारित कर आरोपियों को उच्च न्यायालय जाने से रोक दिया था और निर्देश दिया था कि कोयला घोटाला मामलों में निचली अदालत की कार्यवाही के खिलाफ अपील केवल शीर्ष अदालत में ही दायर की जा सकेगी।

आदेशों के पीछे की मंशा विलंब को रोककर सुनवाई की प्रक्रिया में तेजी लाना तथा उच्च न्यायालयों में राहत का अनुरोध करने वाले अभियुक्तों की कार्यवाही को रोकना था।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ उन याचिकाओं पर विचार कर रही थी, जिनमें आदेशों को संशोधित करने का आग्रह किया गया था। पीठ ने कहा कि अपीलीय अदालत होने के नाते दिल्ली उच्च न्यायालय को कोयला घोटाला मामलों से संबंधित निचली अदालतों के आदेशों से उत्पन्न याचिकाओं पर विचार करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता आर. एस. चीमा से पूछा, ‘‘क्या सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) का यह रुख है कि सब कुछ हमारे पास आना चाहिए?’’

चीमा विशेष लोक अभियोजक के रूप में सीबीआई मामलों की पैरवी कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इन मामलों में पारित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों का लाभ भी चाहते हैं।’’

एक वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय को अपीलों और मामलों में आरोप मुक्त करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से नहीं रोका जा सकता।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘कॉमन कॉज’ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह आदेश ये सुनिश्चित करने के लिए पारित किए गए थे कि आरोपी निचली अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाकर मुकदमे में बाधा उत्पन्न नहीं करें।

पीठ ने कहा कि चूंकि आदेश तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पारित किए गए थे, इसलिए इसे 15 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में समान संख्या वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।

सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में जनहित याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए 1993 से 2010 के बीच केंद्र द्वारा आवंटित 214 कोयला ब्लॉकों को रद्द कर दिया था और सीबीआई के विशेष न्यायाधीश द्वारा सुनवाई का आदेश दिया था।

पीठ ने निर्देश दिया था कि जांच या मुकदमे पर रोक अथवा बाधित करने के लिए कोई भी अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष ही की जा सकती है। इससे अन्य अदालतों को ऐसी याचिकाओं पर विचार करने से प्रभावी रूप से रोक दिया गया।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या उसका पूर्व का फैसला (जांच या मुकदमे पर रोक अथवा बाधित करने के लिए कोई भी अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष ही की जा सकती है) धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दायर शिकायतों पर भी लागू होता है।

सीबीआई ने कोयला घोटाले में 57 मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा धन शोधन के कई मामले भी दर्ज किए गए।

भाषा सुरभि पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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