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Monday, 17 June, 2024
होमदेश'सुरक्षा चुनौतियों से कर सकेंगे मुकाबला', राजनाथ ने 27 सीमा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का किया उद्घाटन

‘सुरक्षा चुनौतियों से कर सकेंगे मुकाबला’, राजनाथ ने 27 सीमा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का किया उद्घाटन

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा लागू 27 सड़कों और पुलों का अनावरण करने के बाद, उन्होंने कहा कि अगर इस क्षेत्र में कोई बुनियादी ढांचा नहीं होता तो भारत उत्तरी क्षेत्र में विरोधी का कड़ा जवाब नहीं दे पाता.

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नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि आज के अनिश्चित माहौल में किसी भी तरह के संघर्ष की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने किसी भी सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए भारत की तैयारियों को बढ़ावा देने के प्रयासों के हिस्से के रूप में सीमा बुनियादी ढांचे के विकास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए यह बात कही.

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा लागू की गई 27 सड़कों और पुलों की परियोजनाओं का अनावरण करने के बाद, उन्होंने कहा कि अगर इस क्षेत्र में कोई बुनियादी ढांचा नहीं होता तो भारत उत्तरी क्षेत्र में विरोधी का कड़ा जवाब नहीं दे पाता.

सिंह ने बताया कि ऑनलाइन समारोह में उद्घाटन की गई 24 सड़कों में दक्षिणी लद्दाख में उमलिंग-ला दर्रे पर 19,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर बनी एक सड़क शामिल है. साथ ही कहा कि यह अब दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क बन गई है.

सिंह ने पूर्वी लद्दाख विवाद के संदर्भ में कहा, ‘हाल में उत्तरी क्षेत्र में हमने जिस स्थिति का सामना किया, और जिस तरह से हम विरोधी को दृढ़ता से जवाब देने में सक्षम रहे, वह उचित बुनियादी ढांचे के विकास के बिना संभव नहीं था.’

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उन्होंने कहा, ‘आज के अनिश्चित वातावरण में, किसी भी तरह के संघर्ष की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसी परिस्थितियां हमें इन क्षेत्रों के विकास के लिए और भी अधिक प्रेरित करती हैं. यह गर्व की बात है कि इन क्षेत्रों के विकास में सहयोग के लिए हमारे पास बीआरओ है.’

रक्षामंत्री ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि आजादी के बाद सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि पिछले कुछ वर्षों में इस दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव आया है.

उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद हमारी नीतियां ऐसी थीं कि देश के आंतरिक क्षेत्रों का विकास हुआ, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र अपेक्षाकृत विकास से वंचित रहे. यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही.’

सिंह ने कहा, ‘जैसे-जैसे हम दिल्ली से दूर जाते थे, विकास का ग्राफ भी उसी अनुपात में नीचे गिरता रहता था. पहले कहा जाता था कि सीमावर्ती इलाकों के लोग दिल्ली से भले ही दूर हों, लेकिन वे हमारे दिल से दूर नहीं हैं. लेकिन जैसे-जैसे परिवहन क्षेत्र में बड़ा विस्तार हुआ, यह एक पुरानी कहावत बन गई.’

रक्षामंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक जरूरतों के लिए हैं बल्कि देश के विकास में दूरदराज के क्षेत्रों की समान भागीदारी सुनिश्चित करती हैं.

उन्होंने कहा, ‘इस तरह ये पुल, सड़कें और सुरंगें हमारी सुरक्षा और पूरे देश को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं.’

रक्षामंत्री ने कहा कि जिस तरह देश अपनी सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है, उसी तरह भारत की निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है.

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