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Sunday, 22 December, 2024
होमखेलजंगली घास, कांच के टुकड़े, खराब स्कोरबोर्ड- पटना स्टेडियम की दुर्दशा ने क्रिकेट प्रेमियों को किया निराश

जंगली घास, कांच के टुकड़े, खराब स्कोरबोर्ड- पटना स्टेडियम की दुर्दशा ने क्रिकेट प्रेमियों को किया निराश

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष का कहना है कि राज्य सरकार से कई बार स्टेडियम सौंपने का अनुरोध किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार ध्यान दे, तो यह फिर से बेहतर हो सकता है.

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पटना: शुक्रवार को रणजी ट्रॉफी क्रिकेट मैच के दौरान यहां मोइन-उल-हक स्टेडियम में  भारी भीड़ और शोर-शराबे की उम्मीद थी, क्योंकि यह 27 साल के अंतराल के बाद यहां आयोजित होने वाला पहला क्रिकेट आयोजन था. लेकिन यहां जो भी शोर सुनाई दे रहा था, उसका कारण क्रिकेट नहीं कुछ और ही था.

पहले तो, शुरुआती सत्र में देरी हुई क्योंकि घरेलू टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली टीमों के दो सेट भारत के सबसे पुराने घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे सफल टीम मुंबई का सामना करने के लिए स्टेडियम पहुंचे.

अभी मामला शांत भी नहीं हुआ था कि स्टेडियम की खराब हालत सुर्खियों में आ गई, सोशल मीडिया स्टेडियम के चरमराते और क्षतिग्रस्त हिस्सों के वीडियो से भर गया.

ऐसी स्थिति है कि भारत के पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद ने एक्स पर पोस्ट किया कि यह स्थिति “अस्वीकार्य” थी. उन्होंने कहा कि रणजी ट्रॉफी भारत की प्रमुख घरेलू प्रतियोगिता है और अब समय आ गया है कि सभी हितधारक इसके महत्व को समझें.

दिप्रिंट शनिवार को मैच की एक झलक देखने के लिए पटना के राजेंद्र नगर स्थित स्टेडियम पहुंचा और साथ ही 25,000 दर्शकों की क्षमता वाले स्टेडियम की स्थिति भी देखी.

पता चला कि स्टेडियम में क्रिकेट प्रेमियों की भीड़ उमड़ी हुई थी लेकिन किसी के बैठने के लिए उचित जगह नहीं थी. लोग दर्शक दीर्घा में खड़े होकर गुनगुनी सर्दी की धूप में चल रहे मैच का आनंद ले रहे थे, लेकिन बिहार के एकमात्र क्रिकेट स्टेडियम की दुर्दशा को लेकर सरकार से नाराज थे, जिसने अतीत में अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी की है.

Wild shrubs cover various sections of the gallery at the cricket stadium in Patna | Rishabh Raj | ThePrint
पटना में क्रिकेट स्टेडियम में गैलरी के विभिन्न हिस्सों में जंगली झाड़िया | ऋषभ राज | दिप्रिंट

मैच देखने के लिए बेगुसराय से पटना आए अभिषेक रंजन ने दिप्रिंट को बताया, “कई वर्षों के बाद बिहार में रणजी मैच आयोजित किया जा रहा है. आप मौजूद भीड़ को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां के लोग क्रिकेट के दीवाने हैं, लेकिन इस स्टेडियम की हालत देखकर आप समझ सकते हैं कि यहां की सरकार कितनी असंवेदनशील है…”

“बिहार सरकार को इन सभी चीजों पर ध्यान देना चाहिए. प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन सही समय पर संसाधनों की कमी के कारण प्रतिभा खो जाती है.”


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हर जगह जंगली पौधे

ऊपरी गैलरी में, दरारों से और रेलिंग और सीढ़ियों पर जंगली पौधे उग आए थे. कुछ बड़ी झाड़ियों को शीघ्रता से काट दिया गया ताकि व्यवस्था में कुछ सुधार लाया जा सके लेकिन उनकी खुली जड़ें वहां मौजूद दर्शकों को परेशान करती रहीं.

कई जगहों पर टूटी हुई कांच की बोतलों के टुकड़े लावारिस पड़े थे, किसी को भी इस बात की परवाह नहीं थी कि वे आगंतुकों के लिए खतरा पैदा करते हैं. पुराने, गैर-कार्यात्मक स्कोरबोर्ड ने उपेक्षित स्टेडियम के अंदर निराशा को और बढ़ा दिया.

The non-functional scoreboard at the cricket stadium in Patna | Rishabh Raj | ThePrint
पटना में क्रिकेट स्टेडियम में ख़राब हालत में स्कोरबोर्ड | ऋषभ राज | दिप्रिंट

दिप्रिंट ने स्टेडियम की स्थिति पर टिप्पणी के लिए बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उनके डिप्टी दिलीप सिंह ने कहा: “मोइन-उल-हक स्टेडियम बिहार सरकार की संपत्ति है. बीसीए का इससे कोई लेना-देना नहीं है. हमारी जिम्मेदारी सिर्फ मैदान की है. मैच मैदान पर हो रहा है. हम सिर्फ जमीन लीज पर लेते हैं. रख-रखाव और विकास का काम हमारी देखरेख का नहीं है.”

सिंह ने कहा, “हमने बिहार सरकार से कई बार स्टेडियम को बीसीए को सौंपने का अनुरोध किया. इसको लेकर पटना हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया, लेकिन अब तक इसे बीसीए को नहीं सौंपा गया है. यहां पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय मैच हो चुके हैं. यहां पर्याप्त जगह है, सरकार ध्यान दे तो यह फिर से बेहतर हो सकता है.”

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए बिहार सरकार में कला, संस्कृति और युवा मंत्री जितेंद्र कुमार राय से भी संपर्क किया, लेकिन कॉल उनके निजी सहायक ने अटेंड किया, जिन्होंने कहा कि मंत्री व्यस्त थे. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

संयोग से, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को घोषणा की कि राज्य सरकार ने “बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और पदक जीतने के प्रयास में एथलीटों का समर्थन करने” के लिए एक खेल विभाग बनाने का फैसला किया है.

मैच शुरू होने से पहले मची अफरा-तफरी

रणजी मैच की शनिवार को अजीब शुरुआत हुई क्योंकि इस बात पर विवाद खड़ा हो गया कि कौन सी टीम बाहरी टीम के साथ मैच खेलेगी. तिवारी और बीसीए सचिव अमित कुमार ने राज्य क्रिकेट संघ के भीतर चल रहे विवाद के परिणामस्वरूप अलग-अलग टीमों की घोषणा की थी.

इसके बाद बीसीए अध्यक्ष द्वारा चुनी गई टीम को मैदान में उतरने की अनुमति दी गई. विवाद के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए, बीसीए के प्रवक्ता संजीव कुमार मिश्रा ने कहा, “बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी की टीम बिहार की असली टीम है. अमित कुमार का बीसीए से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें बीसीए ने पहले ही निलंबित कर दिया है. उन्होंने जो टीम चुनी उसका कोई मतलब नहीं है.”

बाद में अमित कुमार ने मीडिया से कहा कि टीम चुनने का अधिकार सचिव को है, अध्यक्ष को नहीं. उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का उदाहरण देते हुए कहा कि टीम के चयन के बाद अनुमोदन की अंतिम मुहर बीसीसीआई सचिव द्वारा लगाई जाती है.

स्टेडियम में वापस, कंकड़बाग, पटना की रहने वाली क्रिकेट प्रेमी शिवानी सिंह, स्टेडियम को जर्जर हालत में देखकर काफी निराश थीं.

सॉफ्टवेयर इंजीनियर सिंह ने कहा, “मैं बेंगलुरु में होने वाले हर क्रिकेट मैच को देखने जाती हूं. जब मैं छुट्टी पर घर आई तो पता चला कि दशकों बाद रणजी मैच हो रहा है. इसलिए, मैं अपने परिवार के साथ यहां आई थी, लेकिन यहां की स्थिति देखकर… मैं मैच देखे बिना वापस जा रही हूं. मैं बहुत निराश हूं. सरकार को खेलों पर ध्यान देना चाहिए. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिहार में एक भी स्टेडियम नहीं है जहां मैच आयोजित किए जा सकें.”

शिवानी ने स्टेडियम से बाहर निकलते हुए कहा, “एक समय, बिहार में क्रिकेट फल-फूल रहा था. लेकिन आज एसोसिएशन के बीच आपसी कलह, बुनियादी ढांचे की कमी और सरकार की इच्छाशक्ति की कमी के कारण यहां की प्रतिभाएं नष्ट हो रही हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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