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Sunday, 8 September, 2024
होमदेशमालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्ज़ू क्यों वहां से भारतीय सैनिकों को 'रातों-रात' नहीं हटा पाएंगे?

मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्ज़ू क्यों वहां से भारतीय सैनिकों को ‘रातों-रात’ नहीं हटा पाएंगे?

फॉरेन पॉलिसी ऑब्ज़र्वर का सुझाव है कि दो पड़ोसियों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत होगी.

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नई दिल्ली: इस सप्ताह चुनावों में अपनी जीत के बाद, मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने बुधवार को द्वीपों से 75 निहत्थे भारतीय सैन्य कर्मियों सहित सभी विदेशी सैनिकों को तुरंत हटाने की कसम खाई.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के रणनीतिक अध्ययन कार्यक्रम के एसोसिएट फेलो, आदित्य गौदारा शिवमूर्ति के अनुसार, ‘हालांकि, यदि मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति नई दिल्ली के साथ स्थिर संबंध बनाए रखने का इरादा रखते हैं, तो बातचीत होगी और ऐसा कोई भी निष्कासन समय के साथ धीरे-धीरे होगा.

शिवमूर्ति ने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि मुइज्जू ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत-मालदीव संबंध संप्रभुता के सम्मान के सिद्धांत पर आधारित होंगे, अगर वह दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं, तो राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत होगी. सैनिकों को हटाना रातों-रात की प्रक्रिया नहीं हो सकती,”

उन्होंने कहा, “हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि यह बातचीत कैसे होगी.”

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सैनिकों को हटाने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत “मालदीव में नए प्रशासन के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक है”.

बागची ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, “मालदीव के साथ हमारी साझेदारी का ध्यान हमेशा क्षमता निर्माण और सुरक्षा चुनौतियों सहित हमारी साझा चुनौतियों और प्राथमिकताओं को संबोधित करने के लिए मिलकर काम करने पर रहा है.”

मुइज्ज़ू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस-प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीएनसी-पीपीएम) गठबंधन पिछले कुछ वर्षों से भारत विरोधी भावना को भड़का रहा है, खासकर 2020 में शुरू हुए अपने “इंडिया आउट” अभियान के माध्यम से, जिसकी बदौलत पिछले महीने हुए चुनाव में 54 प्रतिशत वोटों के साथ बहुमत को मजबूत किया है.

मुइज्जू चीन समर्थक खेमे का हिस्सा हैं और अब्दुल्ला यामीन प्रशासन (2013-2018) के दौरान हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर मंत्री थे.


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भारत-मालदीव सहयोग

मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के अनुसार, भारत ने पिछले कुछ दशकों में मालदीव में एक सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है, जिसमें 75 सैनिकों के साथ-साथ दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान शामिल हैं.

ये भारतीय सैनिक निहत्थे हैं और इनमें सैन्य इंजीनियर, प्रशिक्षक और पायलट शामिल हैं जो विमान और हेलीकॉप्टरों के संचालन के लिए जिम्मेदार हैं.

कथित तौर पर भारत ने 2010 और 2013 में मुख्य रूप से आपातकालीन चिकित्सा निकासी और खोज व बचाव अभियान चलाने के लिए माले को दो ध्रुव हेलीकॉप्टर लीज़ पर दिए थे.

हेलीकॉप्टरों के लिए लीज़ एग्रीमेंट 2018 में समाप्त हो गए थे और मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने नई दिल्ली से उन्हें वापस लेने के लिए कहा था, लेकिन उस वर्ष के अंत में सोलिह के सत्ता में आने के बाद, इन मांगों को रद्द कर दिया गया.

दिलचस्प बात यह है कि तब मालदीव में यामीन सरकार ही थी जब दोनों देशों ने 2016 में रक्षा के लिए एक व्यापक कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत विदेश मंत्रालय के अनुसार, मालदीव के राष्ट्रपति ने यूटीएफ बंदरगाह और एक डोर्नियर विमान के लिए अनुरोध किया था.

हालांकि, जब भारत ने सितंबर 2020 में डोर्नियर विमान दिया, तो तत्कालीन विपक्षी नेता यामीन ने अन्य नेताओं के साथ “इंडिया आउट” अभियान शुरू किया और दावा किया कि नई दिल्ली मालदीव की संप्रभुता को कमजोर कर रही है.

डोर्नियर विमान ने हिंद महासागर द्वीपसमूह के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की एमएनडीएफ की निगरानी क्षमताओं को मजबूत किया.

इसके अलावा, 2016 की कार्ययोजना के हिस्से के रूप में, पायलटों, हवाई पर्यवेक्षकों और इंजीनियरों सहित सात एमएनडीएफ कर्मियों को वर्तमान में भारतीय सैनिकों द्वारा डोर्नियर को संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

नई दिल्ली और माले के बीच कई समझौतों में भारतीय सैनिकों द्वारा मालदीव के कर्मियों को प्रशिक्षण देना शामिल है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों तरफ से लॉजिस्टिकल मुद्दों के कारण, ऐसे कई वादे पूरे नहीं किए गए हैं.

शिवमूर्ति ने कहा, “मुइज्जू के सलाहकारों की अब तक की टिप्पणियों के आधार पर, वह उपकरण और बुनियादी ढांचे को बरकरार रखना चाहते हैं लेकिन उन सैनिकों को निष्कासित करना चाहते हैं जिन्हें वह मालदीव की संप्रभुता के लिए खतरा मानते हैं.”

पिछले कुछ दशकों में रक्षा और सुरक्षा दोनों देशों के बीच सहयोग के आवश्यक क्षेत्र रहे हैं. सैनिकों को तैनात करने के अलावा, भारत उथुरु थिलाफाल्हू में एक नौसैनिक सुविधा (Naval Facility) और बंदरगाह के निर्माण में भी मालदीव के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है.

यह सुविधा (Facility) एक रखरखाव और मरम्मत केंद्र के रूप में कार्य करेगा और एमएनडीएफ को अपनी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और पहले भारत और विदेशों में भेजे गए जहाजों की मरम्मत करने की अनुमति देगा.

मई में, भारत ने एमएनडीएफ को एक तेज़ गश्ती जहाज और एक लैंडिंग क्राफ्ट भी सौंपा. हालांकि, इन सुविधाओं और जहाजों का संचालन भारतीय सैनिकों के बजाय मालदीव तट रक्षक द्वारा किया जा रहा है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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