scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसमोदी सरकार ने दिग्गज आईएएस मुर्मू की जगह जम्मू कश्मीर के एलजी के रूप में मनोज सिन्हा को क्यों चुना

मोदी सरकार ने दिग्गज आईएएस मुर्मू की जगह जम्मू कश्मीर के एलजी के रूप में मनोज सिन्हा को क्यों चुना

सूत्रों ने कहा कि सिन्हा की नियुक्ति से जम्मू और कश्मीर में स्थिति को आसान बनाने में मदद मिलेगी.

Text Size:

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के गठन के बाद उपराज्यपाल (एलजी) गिरीश चंद्र मुर्मू द्वारा ‘राजनीतिक वैक्यूम को भरने में असमर्थता और 4G इंटरनेट की बहाली पर उनके रुख और नागरिक प्रशासन में ‘शिथिलता’ के कारण उनका इस्तीफा ले लिया है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

गुरुवार को, सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन बार के भाजपा सांसद मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का नया एल-जी नियुक्त किया.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि मुर्मू को हटाने के प्राथमिक कारणों में से एक था- राजनेता की आवश्यकता, न केवल नौकरशाही और सुरक्षा सेट-अप साथ लेने के लिए, बल्कि गैर नौकरशाही के लोगों तक भी पहुंचने की जरुरत है.

हालांकि, सूत्रों ने कहा, मुर्मू के हटने का कारण नरेंद्र मोदी सरकार की इच्छाओं के खिलाफ यूटी में 4 जी इंटरनेट सेवाओं की बहाली पर उनकी टिप्पणी थी, जबकि गृह मंत्रालय ने राज्य विरोधी तत्वों द्वारा दुरुपयोग की आशंकाओं के खिलाफ कदम का विरोध किया. मुर्मू ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उनको डर नहीं है कि कश्मीर के लोग इंटरनेट का उपयोग कैसे करेंगे.

विधानसभा चुनावों के समय पर उनकी टिप्पणियों ने भी मदद नहीं की, यहां तक कि चुनाव आयोग ने भी उनको फटकार लगायी.

मुर्मू को बुधवार को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था. सूत्रों ने कहा कि एक महत्वपूर्ण संगठन को संभालने के लिए उन्हें नई दिल्ली में एक भूमिका दी जा सकती है.

राजनीतिक कौशल वाले किसी व्यक्ति की जरूरत है

सूत्रों ने कहा कि सिन्हा की नियुक्ति से जम्मू और कश्मीर में स्थिति को आसान बनाने में मदद मिलेगी.

सूत्र ने कहा, ‘केंद्र ने महसूस किया कि एल-जी के रूप में नौकरशाह अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा था. एक राजनीतिक वैक्यूम था, जो पिछले साल राज्य के दो संघ शासित प्रदेशों के विभाजन और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ बन गया था.

सूत्र ने कहा, ‘नौकरशाही मानसिकता वाले मुर्मू इसे नहीं भर सके. इसलिए, यह महसूस किया गया कि राजनीतिक कौशल वाले व्यक्ति, जो वास्तव में बाहर जा सकते हैं और समाज के विभिन्न वर्गों के साथ अधिक सौहार्दपूर्ण तरीके से मिल सकते हैं, यह समय की आवश्यकता है और इसलिए सिन्हा जो नई दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के विश्वासपात्र हैं उनको चुना गया.

सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में बहुत सी शिकायतें आई हैं कि यूटी में ‘शिथिलता’ थी.

दूसरे सूत्र ने कहा, ‘हर कोई एक दूसरे के साथ नहीं चलता है. शीर्ष पर बहुत सारी शिथिलता थी. मुर्मू एक नौकरशाह थे और इसलिए उनके काम करने की एक अलग शैली थी.

सूत्र ने यह भी कहा, केंद्रशासित प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कमोबेश ठीक थे, लेकिन बावजूद नागरिक पक्ष के मुद्दे थे.

अटकलें लगाई गई हैं कि जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम कई अवसरों पर मुर्मू एक मत नहीं थे. मुख्य सचिव का पुराना अनुभव है और उन्हें गृह मंत्री अमित शाह का विश्वास हासिल है.

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि सिन्हा के एल-जी के रूप में कार्यभार संभालने के बाद आने वाले हफ्तों में प्रशासन के स्तर पर और बदलाव किए जा सकते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments