गुरुग्राम: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यता अभियान को पूरा करने की विस्तारित समय सीमा बीत चुकी है और पार्टी के नेता राज्य में 50 लाख सदस्य बनाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
पार्टी अब तक हरियाणा में 39 लाख से ज़्यादा साधारण सदस्य बनाने में कामयाब रही है, जो लक्ष्य का 80 प्रतिशत से भी कम है. सक्रिय सदस्यों के मामले में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है, जहां भाजपा ने 50,000 का लक्ष्य रखा था. अब तक सिर्फ 28,000 ही सदस्य बन पाए हैं.
पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यह लक्ष्य इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिले 55 लाख से ज़्यादा वोटों के मद्देनज़र तय किया गया था.
भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा विधानसभा चुनावों में भाजपा को कुल वोटों का 39.94 प्रतिशत वोट मिला था.
7 अक्टूबर को चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम मतदाता मतदान डेटा के अनुसार, कुल 2,03,54,350 पात्र मतदाताओं में से 67.9 प्रतिशत ने चुनाव में अपना वोट डाला. 1,38,20,603 मतदाताओं में से 39.94 प्रतिशत (55,19,949) ने भाजपा को वोट दिया.
भाजपा ने 8 नवंबर को अपना सदस्यता अभियान शुरू किया था, जिसकी शुरुआती समयसीमा 5 दिसंबर थी. हालांकि, समयसीमा के करीब आने पर पार्टी लक्ष्य से काफी पीछे रह गई. फिर इसे 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया और बावजूद इसके, लक्ष्य पूरा नहीं हुआ. पार्टी अब अभियान के लिए समय-सीमा नहीं बढ़ाएगी.
पार्टी के लिए सबसे चिंताजनक बात यह है कि 20 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में, लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी हासिल नहीं किया गया है, जिससे वरिष्ठ नेताओं को इस पर ध्यान देना पड़ा है.
लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास में, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने व्यक्तिगत रूप से पूरे राज्य का दौरा किया, लेकिन नामांकन लक्ष्य को प्राप्त करना अभी भी चुनौतीपूर्ण दिखाई पड़ रहा है.
दिप्रिंट ने फोन के ज़रिए बडौली से टिप्पणी के लिए संपर्क किया था, जवाब आने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
हालांकि, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय शर्मा ने लक्ष्य हासिल न कर पाने की चिंताओं को कमतर आंका.
शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, “लक्ष्य हमेशा ऊंचे रखे जाते हैं ताकि पार्टी नेता उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें. चालीस लाख सदस्य कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. हम इन सदस्यों का उपयोग करके संगठनात्मक चुनाव आगे बढ़ाएंगे, लेकिन नए सदस्यों को जोड़ने की प्रक्रिया जारी रहेगी, जहां तक सक्रिय सदस्यों का सवाल है, 50 नए सदस्य बनाने के बाद कोई व्यक्ति सक्रिय सदस्य बन जाता है. इसलिए, जैसे-जैसे अधिक सदस्य बनेंगे, सक्रिय सदस्यों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी.”
प्रवक्ता ने बताया कि पार्टी हर छह साल में सदस्यता अभियान चलाती है. “पिछला सदस्यता अभियान 2018 में चलाया गया था, जब अमित शाह पार्टी अध्यक्ष थे. उस समय पार्टी ने हरियाणा में 32 लाख सदस्य बनाए थे. उस मानक के अनुसार, इस बार 40 लाख सदस्य बनाना कोई बुरी उपलब्धि नहीं है. जैसा कि मैंने कहा, पार्टी नए सदस्यों को जोड़ती रहेगी.”
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने लक्ष्य हासिल करने में पार्टी के संघर्ष के लिए विशिष्ट कारण बताए. नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए नेता ने कहा कि पूरी तरह से ऑनलाइन सदस्यता प्रक्रिया कुछ लोगों के लिए चुनौती बन गई है, खासकर बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए जो तकनीक के जानकार नहीं हैं.
नेता ने बताया, “2018 में सदस्य बनने के इच्छुक लोग बस एक मिस्ड कॉल दे सकते थे. फिर पार्टी नेता उनका बुनियादी डेटा एकत्र करते और मैन्युअल रूप से फॉर्म भरने सहित अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने में उनकी सहायता करते. इस बार, ऑनलाइन फॉर्म भरने का काम भी पूरी तरह से सदस्य बनने के इच्छुक व्यक्ति पर छोड़ दिया गया है.”
वरिष्ठ नेता के अनुसार, एक और चुनौती उन निर्वाचन क्षेत्रों में थी, जहां भाजपा के उम्मीदवार विधानसभा चुनावों में हार गए थे.
भाजपा नेता ने कहा, “सदस्यता अभियान की सफलता लोगों के उत्साह पर निर्भर करती है. जिन निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं, वहां मतदाता उत्साही हैं. जिन क्षेत्रों में भाजपा के विधायक मंत्री बने हैं, वहां और भी अधिक उत्साही लोग सदस्य बनने के लिए दौड़ रहे हैं. हालांकि, जिन निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवार हार गए हैं, वहां रुचि की कमी है. ऐसे मामलों में, पूर्व मंत्री भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.”
नेता ने आगे बताया कि 2018 में पिछले सदस्यता अभियान के दौरान, भाजपा ने देश भर में सात करोड़ नए सदस्य बनाए, जिससे वह दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई. “अब, पार्टी ने पहले ही देश भर में 12 करोड़ नए सदस्य बना लिए हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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