कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह राजधानी के अपने चार दिवसीय दौरे के दौरान मोदी सरकार के साथ राज्य में आईएएस अधिकारियों की कमी के मुद्दे को उठाया था. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
बेहतर प्रशासन के लिए राज्य में नए जिलों को बनाने की योजना के चलते अप्रैल में बंगाल के मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर ज्यादा आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की मांग की थी.
इस महीने की शुरुआत में राज्य में सात नए जिले बनाने की घोषणा की गई थी. मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल में 23 जिले हैं.
बंगाल के एक वरिष्ठ मंत्री ने दिप्रिंट को बताया, ‘सीएम ने सात और जिले बनाने की घोषणा की है. इसके लिए और अधिकारियों की जरूरत होगी. 2017 में जिलों की संख्या बढ़ने के बाद से यह कमी बनी हुई है. हमने केंद्र से इनकी संख्या बढ़ाने का आग्रह किया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.’
जनवरी में ममता ने केंद्र में आईएएस अधिकारियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए IAS अधिकारियों के लिए मौजूदा नियमों में मोदी सरकार के प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया था.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा 21 जुलाई को राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, बंगाल में आईएएस अधिकारियों की स्वीकृत संख्या 378 है. लेकिन राज्य में 79 पद रिक्त पड़े हैं. यह बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद सबसे अधिक आईएएस रिक्तियों वाले राज्यों की सूची में चौथे स्थान पर है.
डीओपीटी के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2016 से बंगाल को हर साल 12 से 15 आईएएस दिए जाते हैं. यह संख्या उत्तर प्रदेश के बाद सभी राज्यों में दूसरे नंबर पर है.
राज्य सचिवालय नबन्ना के सूत्रों ने बताया कि जब ममता 2011 में पहली बार मुख्यमंत्री बनीं, तो आईएएस की संख्या 359 थी, जो पूर्ववर्ती माकपा सरकार की तुलना में 12 प्रतिशत ज्यादा थी. 2016 में यह संख्या बढ़कर 377 हो गई. लेकिन मौजूदा समय में यह संख्या घटकर 299 हो गई है.
नबन्ना के सूत्रों ने कहा कि खाली पदों को भरने के लिए अनुमानित 100 अधिकारियों की जरूरत है.
दिल्ली में एक सीनियर सिविल सेवक ने संकेत दिया कि आईएएस अधिकारियों की कमी को लेकर केंद्र सरकार के हाथ बंधे हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘यहां ऐसे राज्य हैं जो बदतर परिस्थितियों में हैं … केंद्र भी संकट का सामना कर रहा है. आम तौर पर राज्यों, डीओपीटी और यूपीएससी के विचार-विमर्श से हर साल यूपीएससी परीक्षा के बाद राज्य कैडर का वितरण तय किया जाता है. कैडर समीक्षाएं भी होती हैं’
यह स्वीकार करते हुए कि ममता के नए जिलों के गठन की घोषणा के बाद राज्य में ज्यादा सिविल सेवकों की जरूरत है आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘ अगर जरूरी हुआ तो वो (राज्य) राज्य सेवा के अधिकारियों को भी पदोन्नत कर सकते हैं. केंद्र अब आईएएस अधिकारियों की भर्ती नहीं बढ़ा सकता है. सरकार ने संसद में भी इसका जिक्र किया था. राज्यों को उनके पास पहले से मौजूद अधिकारियों से ज्यादा से ज्यादा सेवाएं लेने की जरूरत है.’
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WBCS के अधिकारियों को लाने की योजना
मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आईएएस अधिकारियों को पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (डब्ल्यूबीसीएस) के उनके समकक्षों की तुलना में प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि उनकी ‘ग्राउंडवर्क पर पकड़’ होती है.
अधिकारी ने बताया, ‘बंगाल को बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारियों की जरूरत है क्योंकि धारणा है कि युवा नौकरशाह बेहतर प्रदर्शन करते हैं. जिला प्रशासकों की भूमिका के लिए ज्यादातर राज्य उन पर बहुत ज्यादा निर्भर होते हैं’ वह आगे कहते हैं, ‘केंद्र और राज्य की पोस्टिंग के बीच आईएएस अधिकारियों का आना-जाना उन्हें केंद्रीय नीतियों के अच्छी जानकारी के साथ जमीनी स्तर पर काम करने का अनुभव देता है.’
सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य में एक तिहाई नौकरशाही में ‘प्रमोटी ऑफिसर’ शामिल हैं. जैसा कि शब्द से ही पता चल रहा है कि अधिकारियों की यह कैटेगरी राज्य सिविल सेवा परीक्षा के जरिए प्रशासन के साथ जुड़ती और बाद में राज्य की सिफारिश पर आईएएस कैडर में शामिल की जाती है.
कहा जाता है कि ममता आईएएस की कमी को WBSC को मजबूत करने के अवसर के रूप में ले रही हैं ताकि राज्य के भीतर से अधिक अधिकारियों को इनकी जगह लाया जा सके.
ऊपर उद्धृत वरिष्ठ नबन्ना के अधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री पारंपरिक रूप से IAS अधिकारियों के लिए आरक्षित पदों पर ‘योग्य WBCS अधिकारियों’ को तैनात करने के इच्छुक हैं.
सूत्र ने बताया, ‘मुख्य सचिव नए घोषित जिलों में प्रमुख प्रशासनिक पदों को नए डब्ल्यूबीसीएस अधिकारियों और पहले से सेवा में रहने वाले अधिकारियों से भरने के लिए एक समिति का गठन कर चुके हैं.’
मई में ममता ने डब्ल्यूबीसीएस ऑफिसर्स एसोसिएशन की सालाना आम बैठक में 200 अधिकारियों द्वारा डब्ल्यूबीसीएस की ताकत बढ़ाने की अपनी योजना की घोषणा की थी.
अपने अधिकतम वेतनमान पर पहुंचने वाले वरिष्ठ डब्ल्यूबीसीएस अधिकारियों के लिए 10,000 रुपये के मासिक भत्ते सहित प्रोत्साहन की घोषणा के अलावा, सीएम ने यह भी कहा था कि अधिकारी विभागीय सचिव पदों पर तैनात किए जाएंगे. यह पद आमतौर पर आईएएस के पास रहता है.
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