नई दिल्ली: अगले साल फरवरी-मार्च में जम्मू और कश्मीर साथ ही पांच राज्यों– उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
भाजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी की जम्मू और कश्मीर इकाई ने पहले ही चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण हवाला दिया, जिसमें उन्होंने नवगठित केंद्र शासित प्रदेश में जल्द चुनाव का वादा किया था, इससे अगले साल चुनाव होने की संभावना है.
भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी आलाकमान ने ही कश्मीर इकाई को चुनाव की तैयारी शुरू करने के लिए कहा था, जबकि अगले साल मार्च या अप्रैल के महीनों में चुनाव होने की संभावना का संकेत दिया था.
जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के भाषण के पांच दिन बाद 20 अगस्त को चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी.
नेता ने कहा, ‘पिछले साल जब प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निकायों के लिए जल्द ही चुनाव होंगे, वे चुनाव पिछले साल दिसंबर में हुए थे.’ इस बार भी, पीएम मोदी ने उसी स्थान से घोषणा की है कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही चुनाव होंगे. जून में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक नेताओं के साथ पीएम की बैठक उसी प्रयास का हिस्सा थी. हमें मार्च-अप्रैल में चुनाव की संभावना के साथ अपनी चुनावी तैयारी शुरू करने के लिए कहा गया है. इसलिए बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में अपना चुनावी अभियान शुरू किया है.’
सूत्रों ने कहा कि भाजपा अगले सप्ताह से जम्मू-कश्मीर में अपने सबसे बड़े प्रचार अभियान के साथ अपनी चुनावी तैयारियों को तेज करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें पूरे मोदी मंत्रिमंडल की भागीदारी होगी.
जम्मू-कश्मीर भाजपा के संगठन महासचिव अशोक कौल ने कहा, ‘हमने अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है और हर विधानसभा क्षेत्र में बैठकें कर रहे हैं.’ हालांकि, भारी बर्फबारी के कारण दिसंबर और जनवरी के महीनों में चुनाव नहीं हो सकते हैं, फिर भी वे मार्च के महीने में हो सकते हैं. तब तक परिसीमन आयोग भी अपना काम पूरा कर चुका होगा.
भाजपा का चुनावी अभियान
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की चुनावी तैयारियों में अब तक जम्मू के करीब 10 निर्वाचन क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें हुई हैं. पार्टी अब अगले दो महीनों के भीतर शेष विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने पर विचार कर रही है.
पार्टी संगठन द्वारा चुनावी तैयारियों के अलावा, मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में अपना अब तक का सबसे बड़ा सरकारी आउटरीच कार्यक्रम भी शुरू करने जा रही है, जो 10 सितंबर से नौ सप्ताह तक चलेगा.
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कार्यक्रम के तहत, सूत्रों ने कहा, मोदी कैबिनेट के लगभग 70 मंत्रियों को अपने मंत्रालयों की योजनाओं के संबंध में जम्मू-कश्मीर का दौरा करने के लिए कहा गया है.
इस आउटरीच अभियान की सीधे प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा निगरानी की जाएगी, जबकि पीएमओ में मंत्री जितेंद्र सिंह रूपरेखा तैयार करेंगे.
जम्मू और कश्मीर के एक भाजपा सांसद ने दिप्रिंट को बताया, ‘इन यात्राओं और मंत्रियों की प्रतिक्रिया के माध्यम से योजनाओं के समय पर वितरण की समीक्षा की जाएगी. नई योजनाएं भी शुरू की जाएंगी ताकि चुनाव से पहले जनता के बीच कुछ सद्भावना पैदा की जा सके’. जून में हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान, गृह मंत्री के साथ-साथ प्रधान मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सभी दलों को चुनावी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए और चुनाव में भाग लें और बदली हुई परिस्थितियों में इन सभी दलों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है.
यह इस तरह की दूसरी पहल है. जनवरी 2020 में, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के डेढ़ साल बाद, पीएम मोदी ने जनता से संवाद करने के लिए 36 से अधिक मंत्रियों को कश्मीर भेजा था.
हाल ही में, संसद के मानसून सत्र की परिणति के बाद, 300 से अधिक सांसदों वाली लगभग 13 संसदीय समितियों ने कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर बैठकें कीं.
जल्दी चुनाव के लिए जोर
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के साथ ही बदले हुए अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के कारण भी चुनावों पर जोर दिया जा रहा है.
क्षेत्र के एक नेता ने कहा, ‘यूपी चुनाव का महत्व मोदी सरकार को और अधिक ताकत प्रदान करने और 2024 में सत्ता में लौटने की उसकी योजना में महत्वपूर्ण है, लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा और बदलती सुरक्षा गतिशीलता के संबंध में कश्मीर चुनाव भी बहुत महत्वपूर्ण है. एक चुनी हुई सरकार के लिए जम्मू-कश्मीर में लोगों के बीच काम करना महत्वपूर्ण है. इसका कूटनीतिक महत्व है और यह सीधे तौर पर देश की सुरक्षा और राष्ट्रवाद के आख्यान से भी जुड़ा है.’
हम यह भी महसूस करते हैं कि जिस तरह से तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में वापस आया है, तालिबान को लेकर पाकिस्तान बेहद उत्साहित है. इसलिए (कश्मीर में) सही समय पर चुनाव कराना और चुनी हुई सरकार बनाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है. केंद्र सरकार उस टाइमलाइन के मुताबिक काम कर रही है.’ भाजपा को भी भरोसा है कि चुनाव होने पर वह अच्छा करेगी.
भाजपा प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा, ‘हम जल्दी चुनाव चाहते हैं. दरअसल, अभी हर पार्टी चुनाव चाहती है. सबसे बड़ा मुद्दा जो हम जनता के बीच ले जा रहे हैं, वह यह है कि बदले हुए सुरक्षा परिदृश्य में भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो सभी को सुरक्षा प्रदान कर सकती है. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से, आतंकवादी घटनाओं की संख्या में बड़ी गिरावट आई है. यह मोदी सरकार द्वारा किए गए साहसिक प्रयासों के कारण ही संभव हो पाया है. जम्मू-कश्मीर का विकास तभी संभव है जब यहां शांति का राज हो और अभी बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जो उस तरह की शांति दे सकती है. बदली हुई परिस्थितियों में चुनाव ही हमारा सबसे अच्छा विकल्प है.
बीजेपी नेताओं के मुताबिक पीडीपी का सांगठनिक आधार अभी उतना मजबूत नहीं है, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस अभी भी अच्छी टक्कर देने की स्थिति में है. उनका कहना है कि बीजेपी जम्मू क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करेगी और घाटी क्षेत्र की तीन से चार सीटों पर भी मजबूत स्थिति में हो सकती है.
इस बीच सरकार ने परिसीमन आयोग से अपनी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने को कहा है और सूत्रों के मुताबिक वह नवंबर या दिसंबर तक अपनी कवायद पूरी कर सकती है. सबसे पहले आपत्तियों के लिए अंतरिम रिपोर्ट जारी की जाएगी. परिसीमन के बाद, विधानसभा की ताकत 83 से बढ़कर 90 होने की उम्मीद है.
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