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Thursday, 7 November, 2024
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सोहराबुद्दीन मामले में पूरी जांच गढ़ी गई कहानी पर केंद्रित थी: अदालत

विशेष न्यायाधीश शर्मा ने कहा, 'यह साफ प्रतीत होता है कि सीबीआई सच का पता लगाने से कहीं ज्यादा पहले से गढ़ी गई कहानी को सही ठहराने की कोशिश में जुटी थी.'

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मुंबई: फर्जी मुठभेड़ में सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति और कौसर बी की कथिततौर पर हत्या के मामले में आए आदेश में कहा गया है कि सीबीआई की पूरी जांच में किसी तरह नेताओं को फंसाने के लिए एक कहानी गढ़ी गई थी. फैसला 21 दिसंबर को सुनाया गया और फैसले की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस. जे. शर्मा ने सीबीआई पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘पूरी जांच एक किसी तरह राजनेताओं को फंसाने के क्रम में गढ़ी गई कहानी पर केंद्रित थी. सीबीआई ने किसी तरह साक्ष्य तैयार किया और आरोपपत्र में गवाहों का बयान आपराधिक दंड प्रकिेया की धारा 161 या धारा 164 के तहत दर्ज किया गया झूठा बयान पेश किया.’

विशेष न्यायाधीश शर्मा ने कहा, ‘यह साफ प्रतीत होता है कि सीबीआई सच का पता लगाने से कहीं ज्यादा पहले से गढ़ी गई कहानी को सही ठहराने की कोशिश में जुटी थी.’

पिछले सप्ताह 12 साल पुराने हाई प्रोफाइल मुकदमे में आए फैसले में मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया, जिनमें गुजरात, राजस्थान और आंध्रप्रदेश के 21 पुलिसकर्मी शामिल हैं.

फैसले में सीबीआई की आलोचना करते हुए कहा गया है कि जांच में गवाहों के गलत बयान रिकॉर्ड किए गए और एजेंसी सच का पता लगाने के बजाय कुछ और कर रही थी.

न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई जैसी प्रमुख एजेंसी किसी तरह राजनेताओं को फंसाने के लिए गढ़ी हुई कहानी पर काम कर रही थी और उसने कानून के अनुसार जांच करने के बजाय वही किया जो उसको लक्षित कहानी के लिए करना आवश्यक था.

अपने अंतिम आदेश में विशेष न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई द्वारा रिकॉर्ड किए गए बयान से गवाह मुकर गए.

विशेष न्यायाधीश शर्मा ने कहा, ‘मैंने गवाहों के बयान सुने जो साफ लगता था कि वे अदालत के सामने सच बोल रहे हैं.’

इस संदर्भ में उन्होंने अपने पूर्व न्यायाधीश (पूर्व विशेष न्यायाधीश एम. बी. गोसावी) का जिक्र किया जिन्होंने आरोपी संख्या 16 (भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह) को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि जांच राजनीति से प्रेरित है.

वर्ष 2005 और 2006 के कथित शोहराबुद्दीन और प्रजापति फर्जी मुठभेड़ और कौसर के लापता होने, दुष्कर्म और 2005 में हत्या के मामले में कुल 38 आरोपी थे.

उनमें से 15 आरोपियों को दिसंबर 2014 में मुंबई की विशेष अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया था, जिनमें अमित शाह जैसे राजनेता और कुछ आईपीएस अधिकारी शामिल थे. एक आरोपी को बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने आरोप मुक्त कर दिया था. बाकी 22 को पिछले सप्ताह अदालत ने बरी कर दिया. फंसे राजनेताओं को बचाए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए, गुस्से में कहा था, ‘इन्हें किसी ने नहीं मारा, वे बस मर गए.’

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