नई दिल्ली: गुलाबी रंग की टी-शर्ट और हरे रंग का पाजामा पहने उस छोटी सी लड़की की उम्र लगभग दो साल के आस-पास रही होगी. चेहरे पर खून के धब्बे थे और शरीर पर खरोचों के निशान. उसकी बेजान लाश मई में दिल्ली के बाहरी इलाके के एक नाले में मिली थी. पुलिस को शक है कि उसकी हत्या से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया गया था. इस घटना को सात महीने बीत चुके हैं, लेकिन उसकी या उसके हत्यारों की पहचान का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है.
सूत्रों ने के मुताबिक, बच्ची के लापता होने की कोई शिकायत दर्ज नहीं है. इस वजह से जांच अधर में लटकी हुई है.
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि जांच दल ने दो महीने तक बच्चे के माता-पिता का पता लगाने की कोशिश की. लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी जब कुछ पता नहीं चला, तो उन्होंने जुलाई में पश्चिम विहार पूर्वी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की.
प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 201 (अपराध के सबूत मिटाने) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 6 (यौन हमला) के तहत दर्ज की गई थी.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘ऑटोप्सी में उसके निजी अंगों से छेड़-छाड़ और उसके माथे पर खरोच का खुलासा हुआ था. उसके शरीर पर और भी चोटें लगी थीं, जो यौन हमले की ओर इशारा कर रहीं थीं. मौत का वजह दिमाग में लगने वाली चोट थी. कानूनी राय लेने के बाद, POCSO की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. बच्चे के डीएनए सैंपल सुरक्षित रख लिए गए हैं.’
पुलिस ने बच्चे की शिनाख्त के लिए कई प्रयास किए, लेकिन अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा पाया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘मामले में न तो पीड़िता की और न ही आरोपी की पहचान हो पाई है.’
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बच्चे की पहचान के लिए खोजबीन
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने लापता व्यक्तियों की शिकायतों के लिए दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के रिकॉर्ड खंगाले हैं. लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.
बाहरी जिले के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हरेंद्र कुमार सिंह ने कहा, ‘पुलिस टीमों ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सभी पड़ोसी और सीमावर्ती क्षेत्रों में झुग्गी बस्तियों में जाकर खोजबीन की है. इन इलाकों में ज्यादातर मजदूर रहते हैं. पीड़ित की पहचान के लिए वहां कई परिवारों से बात गई. मगर अभी तक कुछ भी ठोस नहीं मिला है.’
उन्होंने कहा, ‘इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए हैं. जांच जारी है.’
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, अखबारों में तस्वीरें छपने और जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (जिपनेट) पर अपलोड होने के बाद भी किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया है.
गुलाबी टी-शर्ट पहने हुए ये बच्ची भी अब उन सैकड़ों अज्ञात शवों में शामिल हो गई है जो हर साल दिल्ली में पाए जाते हैं और उनकी पहचान नहीं हो पाती है. इनमें से कुछ की हत्या की गई होती है तो कुछ सहज मौत का शिकार होते हैं.
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि हत्या के मामलों में आरोपियों को पकड़ने के लिए पहले पीड़ित व्यक्ति की पहचान करना महत्वपूर्ण होता है. इस साल, 30 नवंबर तक, दिल्ली में हत्या के 14 अनसुलझे मामले थे, जहां पीड़ितों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है.
(संपादनः शिव पाण्डेय । अनुवादः संघप्रिया मौर्या)
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