नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच इस साल का रमज़ान अप्रैल से लेकर मई तक चलने वाला है. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे मनाने वालों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए आंतरिक सलाह दी है.
डब्ल्यूएचओ की सलाह है कि इस साल के रमज़ान के दौरान लोगों को एक जगह इकट्ठा होने से रोकने से जुड़ा फ़ैसला लेने पर ज़रूर विचार किया जाना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, ‘ये फ़ैसले उन नमाज़ों का हिस्सा हो सकते हैं जो मुस्लिम ईशा की नमाज़ के बाद रात के पहले पहर में अदा करते हैं.’
ये नमाज़ लोग समूह में अदा करते हैं. सालह देते हुए कहा गया है कि अगर इन नमज़ों को समूह में अदा करना हो तो इसके लिए टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बावजूद अगर लोगों को इकट्ठा होने दिया जाता है तो सोशल डिस्टेंसिंग के तय मानकों का पालन करने की सलाह दी गई है.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि धार्मिक अगुआओं को ऐसे फ़ैसले लेने में जल्द शामिल किया जाना चाहिए ताकि वो ये संदेश लोगों तक पहुंचा सकें.
इसके बाद पहले से सोशल डिस्टेंसिंग के तय मानकों को बताते हुए संस्था ने कहा है कि लोगों को कम से कम एक दूसरे से एक मीटर या तीन फ़ीट की दूरी पर रहना चाहिए. एक दूसरे से मिलते समय दूर से ही अभिवादन करने को भी कहा गया है ताकि कोई शारीरिक संपर्क न हो.
उम्रदराज लोगों को आयोजन से रखें दूर
रमज़ान से जुड़े किसी आयोजन के लिए किसी बड़ी जगह के इस्तेमाल से बचने को कहा गया है. उम्रदराज़ लोगों को ख़ासतौर से किसी भी धार्मिक आयोजन से दूर रहने को कहा गया है. कोमॉर्बिड कंडिशन यानी पहले से दिल की बीमारी, कैंसर, सांस की बीमारी या डायबिटीज़ से जूझ रहे मरीज़ों को ऐसे आयोजनों से पूरी तरह से दूर रहने को कहा गया है.
यह भी पढ़ें: नव-प्रगतिशील सेक्युलर लोगों से पूछा जाना चाहिए कि तबलीगी जमात का मतलब मुसलमान कैसे हो गया
आपको बता दें कि दुनिया भर से मृतकों के जो आंकड़े आए हैं उनमें एक बड़ी बात पुख़्ता तौर से स्थापित हुई है कि उम्रदराज़ लोग और कोमॉर्बिड कंडिशन वाले लोगों की कोविड-19 से सबसे ज़्यादा मौतें हुई हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोई भी सामूहिक आयोजन अगर होता ही है तो इसे खुले में आयोजित किया जाना चाहिए.
संस्था ने कहा है कि अगर ये खुले में नहीं हो सकता तो जिस परिसर में ये हो रहा है वो काफ़ी हवादार या खुला होना चाहिए. आयोजन को जितने कम समय में निपटाया जा सके उतना बेहतर होगा. काफ़ी लोगों के साथ बड़े आयोजन की जगह छोटे-छोटे समूहों में कम लोगों के साथ आयोजन की सलाह दी गई है.
एक जगह होने पर पर्याप्त दूरी बनाए रखने के अलावा बैठने, खड़े होने, सामूहिक जगह पर वुज़ू करने और जहां जूते जमा होते हैं वहां भी एक-दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखने को कहा गया है. कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए पहले से तैयारी करने की भी सलाह है ताकि अगर कोई व्यक्ति बीमार पाया जाए तो बाकियों का पता तुरंत लगाया जा सके.
जहां लोग इकट्ठा हों वहां आयोजन समाप्त होने के बाद तुरंत सफ़ाई की सलाह दी गई है. मस्ज़िद में वुज़ू की जगह को साफ़ रखने को कहा गया है. बोर्ड पर लगे स्विच से लेकर दरवाज़े के हैंडल और सीढ़ियों के हैंडरेल जैसी बार-बार छुए जाने वाली चीज़ों को लगातार साफ़ करते रहने को कहा गया है.
सदका और जख़ा देने के दौरान से लेकर इफ़्तार के दौरान तक दूरी बनाए रखने को कहा गया है और ये भी कहा गया है कि सबसे बेहतर ये होगा कि इफ़्तार के लिए पहले से पैक किया हुआ खाना लेकर आएं. पैक खाने को उपलब्ध कराने का ज़िम्मा किसी संस्था को दिए जाने की भी सलाह है जो सफ़ाई और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखे.
यह भी पढ़ें: नोट छापना जोखिम भरा लेकिन कोविड-19 से अर्थव्यवस्था पर आए संकट के दौरान भारत के पास यही उपाय बचेगा
अगर कोई कोविड-19 का मरीज़ रोज़े रखता है तो उसे डॉक्टर से खाने-पीने की सलाह लेनी चाहिए. ताज़ा खाना खाने और पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी गई है. गुटखा, सिगरेट और हुक्के से भी दूर रहने को कहा गया है.
लॉकडाउन की वजह से महिला, बच्चों और असहाय लोगों के साथ हिंसा बढ़ने की जानकारी सामने आई है. डब्ल्यूएचओ ने धार्मिक अगुआयों से कहा है कि वो इसके ख़िलाफ़ बोलें, जागरुकता फ़ैलाएं और जो इसका शिकार हो रहे हैं उन्हें आगे आकर न्याय मंगने को प्रेरित करें.