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Thursday, 19 December, 2024
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कौन है ज़हूर वटाली? बिजनेसमैन, जिसने कई फर्म्स और हवाला के जरिए J&K में की टेरर फंडिंग

वटाली को अगस्त 2017 में एनआईए की टेरर फंडिंग जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. जांचकर्ताओं के अनुसार, उसने कंपनियों का एक जाल फैला रखा था, जिसका इस्तेमाल उसने पाकिस्तान से धन प्राप्त करने के लिए

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नई दिल्ली: एक औसत कश्मीरी के लिए, जहूर अहमद शाह वटाली एक प्रसिद्ध व्यवसायी हैं, जिसकी रुचि कॉन्स्ट्रक्शन, ड्राई फ्रूट्स से लेकर वुडवर्क की यूनिट्स तक है.

लेकिन कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में वटाली से संबंधित 17 संपत्तियों को सोमवार को कुर्क करने वाले एनआईए का दावा है कि उसका एक और व्यवसाय था -कश्मीर आधारित राजनीतिक और सामाजिक गठबंधन से बने अलगाववादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को पाकिस्तानी धन की कथित फ़नलिंग.

वटाली को अगस्त 2017 में एनआईए की टेरर फंडिंग जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. जांचकर्ताओं के अनुसार, उसने कंपनियों का एक जाल फैला रखा था, जिसका इस्तेमाल उसने पाकिस्तान से धन प्राप्त करने के लिए “फ्रंट्स” के रूप में किया, जिसे बाद में उसने हुर्रियत को भारत-विरोधी फंडिंग के लिए भेज दिया.

कश्मीर में जन्मे, 71 वर्षीय वटाली का हुर्रियत के साथ एक लंबा संबंध रहा है –  एनआईए के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यह 1992 में शुरू हुआ जब उन्होंने पूर्व कश्मीरी-अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन से मिलना शुरू किया. लोन की 2002 में श्रीनगर के ईदगाह में कश्मीरी नेता मीरवाइज मौलवी फारूक की 12वीं स्मृति सभा में भाग लेने के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

एनआईए के अनुसार, वटाली एक बिचौलिए के रूप में कार्य कर रहा था और हाफिज मुहम्मद सईद, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और पाकिस्तान उच्चायोग से धन प्राप्त कर रहा था.

हाफिज सईद आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर और लश्कर की राजनीतिक शाखा, जमात उद दावा (JuD) का प्रमुख है. वह 26/11 के मुंबई हमलों के प्रमुख संदिग्धों में से एक है.

NIA के अनुसार, वटाली की कंपनियों में ट्राइसन एंड कॉन्सट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (TPFCL), ट्राइसन इंटरनेशनल, यासिर एंटरप्राइजेज, 3Y, कश्मीर विनियर इंडस्ट्रीज और थ्री स्टार शामिल हैं. उसने कथित तौर पर इन कंपनियों का इस्तेमाल ऑफ-शोर लोकेशंस से पैसे निकालने के लिए किया था.

सुरक्षा बलों और सरकारी प्रतिष्ठानों पर बार-बार हमले करके और स्कूलों सहित सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने में उनकी मदद करने के लिए कथित रूप से हुर्रियत को पैसा हस्तांतरित किया गया था.

एनआईए के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “वटाली अपने पास मौजूद फर्मों और कंपनियों के स्कोर के माध्यम से इसे विदेशों से भारत में लाया था.”

सूत्र ने कहा: “उसने जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए धन लाने के लिए एक मध्यस्थ के रूप में काम किया. वह कश्मीर में एक प्रसिद्ध रियल एस्टेट व्यवसायी था जो हवाला लेन-देन करता था. उसने आतंकी संगठनों के लिए फाइनेंसर के रूप में काम किया और उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे, जिनकी जांच सहयोगी जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही थी.

जिस मामले के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था, वह 2017 में जमात-उद-दावा, दुख्तरान-ए-मिल्लत, लश्कर, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्य में अन्य अलगाववादी नेताओं के खिलाफ “वित्त पोषण के लिए धन जुटाने, प्राप्त करने और एकत्र करने” के लिए दायर किया गया था. एनआईए ने जनवरी 2018 में अपनी चार्जशीट में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियां और कश्मीर घाटी में व्यवधान पैदा करने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए एक बड़ी साजिश में शामिल होना.” चार्जशीट की एक प्रति दिप्रिंट के पास है.

एक ट्रायल कोर्ट ने मई 2022 में वटाली और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए. जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के कमांडर यासीन मलिक को इसी मामले में दोषी ठहराया गया था और वह फिलहाल आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

मलिक के अलावा, हाफिज सईद और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन सहित 17 अन्य लोगों को भी इस मामले में चार्जशीट किया गया था.

अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम भट, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा महराजुद्दीन, कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर सहित कई कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे.

सोमवार को कुर्क की गई संपत्तियां इसी कार्रवाई का हिस्सा थीं.


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फर्जी कंपनियां, रिकॉर्ड, ‘अज्ञात स्रोतों’ से फंड

एनआईए के सूत्रों के अनुसार, वटाली की कंपनियों को कई मौकों पर अलग-अलग खातों में “अज्ञात स्रोतों” से धन प्राप्त हुआ.

यह भेजी गई राशि 93,87,639.31 रुपये थी,  जो उसने कथित तौर पर 2011 और 2013 के बीच जम्मू-कश्मीर बैंक में एक अनिवासी भारतीय (एनआरई) खाते में “अज्ञात स्रोतों” से प्राप्त किया.

एक एनआरआई खाता वह है जिसका उपोयग अनिवासी भारतीय भारत में लेनदेन के लिए अपनी विदेशी आय जमा करने के लिए करता है.

इसके अलावा, एनआईए के सूत्रों ने दावा किया कि वटाली ने कथित रूप से 2011 और 2016 के बीच 2,26,87,639.31 रुपये का फॉरेन रेमिटेंस भी प्राप्त किया.

इनके अलावा, जम्मू के एक मेडिकल कॉलेज के खाते में कथित रूप से उनके बेटे की फीस के रूप में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) के जरिए 14 लाख रुपये भेजे गए और 5 लाख रुपये कथित तौर पर उनकी कंपनी टीएफसीपीएल में स्थानांतरित किए गए थे. ये सभी लेन-देन कथित तौर पर 2013 में हुए थे और तीनों मामलों में पैसा अज्ञात स्रोतों से आया था.

सूत्र ने दावा किया, “इसके लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था.”

वटाली ने कथित तौर पर एक जमीन को लीज पर भी दिया, जिसके बारे में उसने दावा किया कि वह टीएफसीपीएल के नाम पर है, और संयुक्त अरब अमीरात के निवासी नवल कपूर नाम के व्यक्ति से 5.5 करोड़ रुपये लिए.

लेकिन सूत्रों ने दावा किया एनआईए की जांच से पता चला कि जमीन कंपनी के नाम पर पंजीकृत नहीं थी.

एक दूसरे सूत्र ने कहा,“2014 में, संयुक्त अरब अमीरात के निवासी नवल किशोर कपूर नाम के एक व्यक्ति का वटाली के TFCPL के साथ एक समझौता हुआ था, जिसमें जम्मू-कश्मीर के बडगाम में 20 कनाल जमीन को 6 करोड़ रुपये के प्रीमियम और 1,000 रुपये वार्षिक किराए पर 40 सालों के लिए लिया गया था, जिसे बाद मे आपसी समझौते के जरिए बढ़ाया जा सकता था.”

सूत्र ने दावा किया कि टीएफसीपीएल को जमीन का पूर्ण मालिक घोषित किया गया था और कपूर ने 2013 और 2016 के बीच वटाली को 22 किश्तों में कुल 5.579 करोड़ रुपये की राशि भेजी थी.

सूत्र ने कहा, ‘हालांकि जांच के दौरान यह पाया गया कि कंपनी की बैलेंस शीट के मुताबिक टीएफसीपीएल के नाम पर कोई जमीन मौजूद नहीं है.’

इसके अलावा, जांचकर्ताओं ने पाया कि कपूर ने अज्ञात स्रोतों से 5.57 करोड़ रुपये जुटाए थे और इसे वटाली को एक ऐसी जमीन के लिए भेजा गया था जिसका “वजूद ही नहीं है”.

सूत्र ने कहा, “यह समझौता अज्ञात स्रोतों से भारत में फॉरेन रेमिटेंस लाए जाने को ढकने के लिए था.”

अपने रिकॉर्ड को साफ रखने के लिए, वटाली ने कथित तौर पर अपनी कंपनियों की बैलेंस शीट में जालसाजी की और बिना कोई दस्तावेज दिए उन पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए.

स्रोत ने आरोप लगाया, “हमने ऑडिट करने वालों से पूछताछ की और हमें बताया गया कि उन्होंने वेरीफिकेशन के लिए बुक्स पेश किए बिना उन्हें रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया. तथ्य यह है कि उसने विदेशों से धन प्राप्त किया, जिसे भेजने में हाफिज सईद, पाकिस्तान के उच्चायोग और अन्य का हाथ था, और यह धन हुर्रियत नेताओं को दिया जाना बताता है कि वह इस साजिश का हिस्सा है.“

एनआईए सूत्रों ने आगे कहा कि मामले में तलाशी के दौरान, जांचकर्ताओं को आईएसआई अधिकारियों की एक सूची और पाकिस्तान स्थित अल शफी ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक तारिक शफी का एक पत्र मिला, जो पाकिस्तान उच्चायोग को संबोधित था, जिसमें वटाली के लिए वीजा की सिफारिश की गई थी. सूत्रों ने दावा किया, यह “पाकिस्तानी इस्टैब्लिशमेंट के साथ उनकी निकटता को दर्शाता है”.

सूत्र ने दावा किया, “वह पाकिस्तानी इस्टैब्लिशमेंट के साथ लगातार संपर्क में था. कॉल डिटेल रिकॉर्ड से यह भी पता चला है कि वटाली और अन्य आरोपी एक-दूसरे के संपर्क में थे और कुछ उग्रवादियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स के साथ थे.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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