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Sunday, 22 December, 2024
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कौन हैं ‘फिनफ्लुएंसर’ रविसुतंजनी कुमार, जिन्हें कभी मोदी ने टैग किया था- अब फर्जी डिग्री के आरोपी

रविसुतंजनी कुमार, एक फाइनेंस इन्फ्लुएंसर हैं, जिन्होंने इस महीने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का भी ध्यान खींचा था, ने उन दावों को नकार दिया कि उन्होंने अपनी क्वालिफिकेशन के बारे में झूठ बोला था.

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नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर अपने 125,000 फॉलोअर्स को फाइनेंस इन्फ्लुएंसर (फिनफ्लुएंसर) रविसुतंजनी कुमार अपना ड्रीम लाइफ जीने वाले व्यक्ति हैं. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 15 देशों के 525 शहरों की यात्रा की हैं, उनके पास 30 से अधिक क्रेडिट कार्ड्स होने को दावा किया, टीवी चैनलों पर वित्तीय सलाह दी और यहां तक कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रभावित करने में भी कामयाब रहे.

इस महीने की शुरुआत में, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने फिनफ्लुएंसर का एक वीडियो शेयर किया, जिसका शीर्षक था “फिनटेक का भविष्य”. वीडियो में कुमार को सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर प्रचारित यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग करके 500 रुपये की कार्डलेस नकद निकासी करते हुए दिखाया गया है. जनवरी में, पीएम ने खुद एक सोशल मीडिया पोस्ट में कुमार को टैग करते हुए कहा था, “मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि किस तरह आप यूपीआई की लोकप्रियता को सामने लेकर आए.”

लेकिल इस सप्ताह, यह सुहाना सपना टूटता हुआ नज़र आया. एक अनजान एक्स यूज़र, @SatarkAadmi ने 12 सितंबर को एक के बाद एक पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि कुमार की शैक्षिक योग्यताएं फर्जी हैं.

कुमार के एक पूर्व सहयोगी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए यह भी दावा किया कि उन पर कथित तौर पर यौन उत्पीड़न रोकथाम (पीओएसएच) अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था, हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह कथित घटना कब हुई थी.

पूर्व सहकर्मी ने दावा किया, “लगभग दो साल तक काम करने के बाद उन्होंने यह कंपनी छोड़ दी थी और एक अन्य स्टार्टअप में शामिल हो गए थे. कुछ महीनों बाद वह दूसरी कंपनी से लौट आए, लेकिन एक महिला कर्मचारी ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया और उन्हें जाने के लिए कहा गया.”

उन्होंने आगे कहा, एमडीआई (मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट) से ली गई उनकी डिग्री के फर्जी होने की अफवाहें थीं, लेकिन शीर्ष प्रबंधन ने वास्तव में इस पर चर्चा नहीं की.

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए ईमेल पर पूर्व सहयोगी द्वारा संदर्भित कंपनी का पती लगाया है. प्रतिक्रिया मिलते ही रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.

विशेष रूप से, विवाद उत्पन्न होने के बाद, कुमार का एक्स अकाउंट, लिंक्डइन पेज और फिनटेक ब्लॉग अचानक बंद हो गए हैं.

फिलहाल यह पहा नहीं है कि कुमार के खिलाफ कोई पुलिस शिकायत दर्ज की गई है या नहीं.

इस बीच, आरोपों ने कई लोगों को उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर के लड़के होने की कुमार की सावधानीपूर्वक बुनी गई कहानी की सटीकता के बारे में आश्चर्यचकित कर दिया है, जिसने फिनटेक की दुनिया को जीतने के लिए 15 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था, और अब वह पीएचडी करने को दावा करता है.

विवाद ने यह सवाल भी उठाया है कि इन्फ्लुएंसर कैसे महत्व प्राप्त करते हैं, राजनेता और व्यापारिक नेता उन्हें बढ़ावा देने से पहले उसके सही होने के बारे में कितना जानते है, और क्यों लाखों लोग उन दावों पर विश्वास करते हैं जिन्हें कभी सत्यापित नहीं किया गया है.

दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि कैसे कुछ वित्तपोषकों का मानना है कि सरकार को इस बढ़ते क्षेत्र को किसी तरह से विनियमित करना चाहिए.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अप्रैल में अनैतिक फाइनेंसरों की व्यापकता के बारे में चेतावनी दी थी और सुझाव दिया था कि ऑनलाइन सामग्री के उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और फाइनेंसरों की सलाह का पालन करते समय अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए.


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सवालों के घेरे में 

कुमार की लिंक्डइन प्रोफ़ाइल के अनुसार, जो इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के समय भी बंद थी, उन्होंने फिनटेक उद्योग, जार, ओयो और ज़ोमैटो सहित विभिन्न स्टार्टअप में अब तक एक सफल प्रदर्शन किया है. उनके बायो में कहा गया है कि वह वर्तमान में टेस्टबुक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करते हैं – एक वेबसाइट जो उम्मीदवारों को सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करने का दावा करती है.

कुमार ने खुद को एक साहसी व्यक्ति के रूप में भी चित्रित किया, जिसने कमाई और खर्च करने की कला में महारत हासिल करने के लिए 15 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था.

उनकी प्रोफ़ाइल में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि उन्होंने “TED टॉक” में अपनी कहानी के बारे में बताया है और करियर और उद्योग विकास पर तीन टेलीविज़न साक्षात्कारों में भाग लिया था.

लिंक्डइन पर, कुमार ने अपनी शिक्षा योग्यता प्रबंधन विकास संस्थान, गुरुग्राम, एचईसी पेरिस और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT), इलाहाबाद से स्नातक के रूप में सूचीबद्ध की है.

हालांकि, एक्स यूजर SatarkAadmi ने अपने थ्रेड में बताया कि IIIT इलाहाबाद कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) की डिग्री प्रदान नहीं करता है, जैसा कि कुमार ने अपने लिंक्डइन प्रोफाइल पर बताया है.

संस्थान की वेबसाइट वर्तमान में केवल सूचना प्रौद्योगिकी और बिजनेस इंफॉर्मेटिक्स को बीटेक पाठ्यक्रमों के रूप में सूचीबद्ध करती है.

एक्स यूज़र ने यह भी आरोप लगाया कि कुमार ने एमडीआई गुड़गांव में बिज़नेस मैनेजमेंट और मार्केटिंग में पोस्टग्रेजुएट कार्यक्रम पूरा करने का झूठा दावा किया. उनके अनुसार, 2016 और 2021 के बीच अध्ययन करने वाले संस्थान के पूर्व छात्रों ने इस बात से इनकार किया कि कुमार ने कभी वहां अध्ययन किया था.

इसके अतिरिक्त, SatarkAadmi ने नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग से कुमार का प्रमाण पत्र पोस्ट किया. प्रमाणपत्र ने संस्थान को “औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान” के रूप में पहचाना और व्यापार विशेषज्ञता को “वायरमैन” के रूप में जाना.

एक अन्य थ्रेड में, उन्होंने 2015 में टीईएस 35 10+2 तकनीकी प्रवेश योजना के लिए साक्षात्कार के लिए योग्य लोगों के नामों की सूची में “रविसुतांजनी कुमार” नाम के साथ एक दस्तावेज़ साझा किया.

यह एक कार्यक्रम है जो भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित (पीसीएम) विषयों के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को तकनीकी अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में शामिल होने की अनुमति देता है.

SatarkAadmi ने पूछा, “क्या आप इसके योग्य थे या वह भी नकली था?”

कुमार की कथित ब्लॉग पोस्ट में उनके द्वारा बायोडाटा तैयार करने के तरीके के बारे में लिखा गया था. यहां, उन्होंने 2016 से 2020 तक की अवधि के लिए स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली से एक अतिरिक्त डिग्री – लैंडस्केप और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में बी.आर्क का दावा किया.

पिछली एक्स पोस्ट में, कुमार ने अपने पसंदीदा आईआईटी में दाखिला लेने के अपने अधूरे सपने का उल्लेख किया था, लेकिन ध्यान देने लायक बात यह है कि वह वर्तमान में आईआईटी और आईआईएम से स्नातकों को काम पर रख रहे थे.

सोशल मीडिया पर मचे बवाल के बीच कई एक्स यूजर्स ने अपना संदेह व्यक्त किया.

एक सोशल मीडिया यूज़र, अभिषेक अस्थाना, जिन्हें एक्स पर गब्बर सिंह के नाम से जाना जाता है, ने कुमार की पहचान “फिनटेक क्षेत्र में आप कितनी धोखाधड़ी कर सकते हैं इसका एक बड़ा नमूना” के रूप में की.

एक अन्य यूज़र ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे कुमार एक बार डिजिटल परामर्श और प्रशिक्षण के लिए प्रति दिन ₹30,000 लेते थे “और अब सब कुछ बंद हो गया है”.

दिप्रिंट ने कुमार के पूर्व नियोक्ता और स्वचालित निवेश ऐप जार के संस्थापक निश्चय एजी से ईमेल के माध्यम से संपर्क किया. हालांकि, उन्होंने कंपनी की नीति का हवाला देते हुए कुमार के खिलाफ फर्जी डिग्री के आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

(संपादन: अलमिना खातून)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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