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Friday, 20 December, 2024
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‘ईडी कौन है यह अहम नहीं,’ कांग्रेस के ‘मुंह पर तमाचा’ वाले बयान पर बोले शाह-भ्रष्टाचार पर वार जारी रहेगा

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा के हुए तीसरे कार्यकाल के विस्तार को अवैध करार दिया. संजय मिश्रा को मिला 18 नवंबर 2022 का सेवा विस्तार गैरकानूनी मान लिया गया.

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा के तीसरे सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार दिए जाने के बाद मंगलवार को कांग्रेस पार्टी ने इसे सरकार के ‘मुंह पर तमाचा’ कहा है.

जिसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी मनाने वालों को कहा है कि वह कई कारणों से “भ्रमित” हैं.

उन्होंने ट्वीट कर बताया कि ईडी की शक्तियां अब भी पहले की तरह ही बरकरार हैं. जिससे वह उन लोगों पर प्रहार जारी रखेगी जो भ्रष्ट हैं और कानून का उल्लंघन कर रहे हैं.

गृहमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है, ” सीवीसी अधिनियम में संशोधन, जो संसद की ओर से विधिवत पारित किया गया था, उसको बरकरार रखा गया है. भ्रष्ट और कानून के गलत पक्ष पर काम करने वालों पर कार्रवाई करने की ईडी की शक्तियां वही रहेंगी.”

केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे लिखा है “ईडी एक ऐसी संस्था है जो किसी एक व्यक्ति विशेष से ऊपर है और अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करने पर केंद्रित है यानी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच करना उसका काम है.”

शाह ने आगे कहा, ” ईडी निदेशक कौन है – यह महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि जो कोई भी इस भूमिका को ग्रहण करता है वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले हकदार राजवंशों के एक आरामदायक क्लब के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पर ध्यान देगा.”

बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा के हुए तीसरे कार्यकाल के विस्तार को अवैध करार दिया. संजय मिश्रा को मिला 18 नवंबर 2022 का सेवा विस्तार गैरकानूनी मान लिया गया.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के मुंह पर तमाचा: कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि जो फैसले संजय मिश्रा के बतौर निदेशक रहते लिए गए, उनको एक बार फिर से जांचा जाए.

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार का यही मकसद था कि ईडी निदेशक को गैरकानूनी तरीकों से सेवा विस्तार दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा के तीसरे सेवा विस्तार को मंगलवार को अवैध करार दिया तथा उनका विस्तारित कार्यकाल घटाकर 31 जुलाई तक कर दिया.

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा कि इस साल वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा की जा रही संबंधित समीक्षा के मद्देनजर और सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई तक रहेगा.

वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उससे कांग्रेस के रुख की पुष्टि हुई है. हमारा शुरू से कहना रहा है कि ईडी निदेशक को सेवा विस्तार दिया जाना पूरी तरह गैरकानूनी था.’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘यही मकसद था कि ईडी निदेशक को गैरकानूनी तरीकों से सेवा विस्तार दिया जाए. यह फैसला सरकार के मुंह पर तमाचा है.’’

ईडी निदेशक के सेवा विस्तार के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में शामिल कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को ईडी व सीबीआई निदेशक के सेवा विस्तार के क़ानून की वैधता को सही ठहराने वाले निर्णय पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आज़ मेरे द्वारा दायर की गई याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने ईडी निदेशक के सेवा विस्तार को पूरी तरह अवैध ठहराया है ! दरअसल विपक्ष के जरिए लगातार उठती जनता की आवाज को दबाने, राज्यों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने और विपक्ष के नेताओं को डरा धमका कर अपनी पार्टी में शामिल कराने के लिए मोदी सरकार जांच एजेंसियों को कैसे बीजेपी की सहयोगी इकाई की तरह इस्तेमाल करती आ रही है, यह पूरा देश देख रहा है !’’

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि आज न्यायालय के इस फैसले ने भी फिर से साबित किया है कि ’’मोदी सरकार संविधान और कानून को ताक पर रखकर, दिनदहाड़े लोकतंत्र का गला घोटने में जुटी है!’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मेरे विचार में माननीय उच्चतम न्यायालय को ईडी व सीबीआई निदेशक के सेवा विस्तार के क़ानून की वैधता को सही ठहराने वाले निर्णय पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.’’


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