वाराणसीः सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के रूप में, अफसगंज में रहने वाला एक हिंदू परिवार रमजान के उपवास के महीने के दौरान अपने मुस्लिम भाइयों के लिए पारंपरिक सेवइयां बना रहा है.
चिलचिलाती गर्मी के बावजूद, महिला और पुरुषों को सेवइयां सुखाते देखा गया, जिसका इस्तेमाल शीर खुरमा बनाने के लिए किया जाता है, जो जो ईद पर उपवास तोड़ने वाली एक प्रसिद्ध मिठाई है, भोजन का एक हिस्सा है. दुकानदार अनंत लाल केसरकानी ने कहा ‘हम रमजान से 3 महीने पहले सेंवई बनाना शुरू करते हैं. मुस्लिम भाई इसे खरीदने के लिए हमारे पास आते हैं. यहां, हम लोगों को उनके धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं. कुछ मुस्लिम ग्राहक भी हमें आशीर्वाद देते हैं. हम अपने उत्पादों को दूसरे देशों में भी निर्यात करते हैं.’
अशर्फी लाल केसरी ने कहा, ‘हर मौसम में, हर तरह के सेंवई से, रुमानी सेमिया ग्राहकों का सबसे पसंदीदा उत्पाद है. वर्तमान में, हम तीन प्रकार के सेमिया बना रहे हैं, जो आकार में भिन्न हैं.’
पिछले हफ्ते, एक सद्भावना के संकेत के रूप में, बिहार के दरभंगा शहर के एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपने धर्म से ऊपर मानवता को चुना जब उसने अपना रमजान उपवास तोड़ा और दो साल के बच्चे की जान बचाने के लिए अपना रक्त दान किया. वह व्यक्ति, मोहम्मद अशफाक, हाल ही में एक फेसबुक पोस्ट पर आया था, जहां शिशु के परिवार ने एक संदेश पोस्ट किया था जिसमें उसने यूजर्स से बच्चे के लिए रक्त दान करने का आग्रह किया था.