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Saturday, 16 November, 2024
होमदेशमामला संदर्भित किए जाने पर 22वें विधि आयोग के पास समान नागरिक संहिता मुद्दे की पड़ताल के लिए कम समय होगा

मामला संदर्भित किए जाने पर 22वें विधि आयोग के पास समान नागरिक संहिता मुद्दे की पड़ताल के लिए कम समय होगा

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नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) यदि सरकार समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर 22वें विधि आयोग की सिफारिश लेने का फैसला करती है तो कानूनी निकाय को इस संवेदनशील विषय की पड़ताल करने के लिए बहुत कम समय मिलेगा।

सरकार के सूत्रों ने कहा कि विधि आयोग का गठन तीन साल के लिए किया गया है और 22 वें विधि आयोग को 24 फरवरी, 2020 को अधिसूचित किया गया था, लेकिन इस निकाय में अध्यक्ष सहित प्रमुख रिक्तियों को भरा जाना है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे ने पिछले साल दिसंबर में शून्यकाल में समान नागरिक संहिता के महत्व का मुद्दा उठाया था।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जनवरी में दुबे को लिखा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।

उन्होंने कहा, ‘विषय वस्तु के महत्व और संवेदनशीलता को देखते हुए तथा विभिन्न समुदायों से संबंधित विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों के प्रावधानों के गहन अध्ययन की आवश्यकता को देखते हुए, समान नागरिक संहिता से संबंधित मुद्दों की जांच करने और सिफारिशें करने के लिए एक प्रस्ताव भारत के 21वें विधि आयोग को भेजा गया था।’

रिजिजू ने कहा कि हालांकि, 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2018 को समाप्त हो गया और ‘यह मामला भारत के 22वें विधि आयोग द्वारा देखा जा सकता है।’

केंद्रीय विधि मंत्रालय ने जून 2016 में 21वें विधि आयोग को समान नागरिक संहिता से संबंधित मामलों की पड़ताल करने को कहा था।

विस्तृत शोध और दो वर्षों के दौरान कई परामर्शों के बाद, आयोग ने भारत में पारिवारिक कानूनों में सुधार पर एक परामर्श पत्र जारी किया था।

विधि आयोग जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है।

समान नागरिक संहिता का मुद्दा भाजपा के चुनावी घोषणापत्रों का लगातार हिस्सा रहा है।

भाषा नेत्रपाल अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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