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मंगलवार, 10 जून, 2025
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सीवर में मारे गये लोगों के परिजनों को क्षतिपूर्ति नहीं मिलने पर न्यायाधीश ने कहा: शर्म से सिर झुका

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नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) इस साल सीवर के अंदर मारे गये दो लोगों के परिवारों के प्रति दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के ‘सर्वथा असहानुभूति रवैये’ पर खेद प्रकट करते हुए मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ मेरा सिर शर्म से झुक गया है।’’

उच्च न्यायालय छह अक्टूबर के उसके आदेश का पालन नहीं किये जाने के लेकर अप्रसन्न था। उस आदेश में डीडीए को मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में देने का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने आज कहा कि उसने अधिकारियों से मृतक के परिवारों को इस राशि का भुगतान करने को कहा था क्योंकि उन्होंने इस घटना में पीड़ित परिवारों ने आय अर्जित करने वाले अपने एकमात्र सदस्य को गंवा दिया था।

उच्च न्यायालय के आदेश पर आज डीडीए के उपाध्यक्ष मनीष गुप्ता सुनवाई के दौरान मौजूद थे।

बाहरी दिल्ली के मुंडका में नौ सितंबर को सीवर के अंदर जहरीली गैस से दम घुटने के कारण एक सफाईकर्मी एवं एक सुरक्षागार्ड की मौत हो गयी थी।

सीवर की सफाई करने उतरा सफाईकर्मी बेहोश हो गया था और जब उसे बचाने के लिए सुरक्षाकर्मी गया, वह भी बेहोश हो गया। इस तरह दोनों की मौत हो गयी।

उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मृतकों के परिवारों को डीडीए द्वारा 10-10 लाख रुपये नहीं दिये जाने पर नाखुशी प्रकट की और कहा कि प्राधिकरण की ओर से ‘ एक भी पैसा जारी नहीं किया गया।’ उच्च न्यायालय ने इस घटना पर प्रकाशित/प्रसारित खबरों का जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान लिया था।

उसने हालांकि यह भी कहा कि पृथक मुआवजे के तौर पर दिल्ली सरकार ने दोनों परिवारों को एक-एक लाख रुपये दिये हैं तथा बाकी नौ-नौ लाख रूपये उन्हें 15 दिनों में दिये जाएं।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीशचंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘ हम ऐसे लोगों से बर्ताव कर रहे हैं जो हमारे लिए काम कर रहे हैं ताकि हमारी जिंदगी आसान हो। और यह वह तौर -तरीका है जिससे अधिकारी उनके साथ व्यवहार कर रहे हैं।’’

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ मेरा सिर शर्म से झुक गया।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ छह अक्टूबर से अब हम 15 नवंबर पर आ गये हैं। जब इस अदालत ने डीडीए को धनराशि का भुगतान करने का निर्देश दिया था तब ऐसा क्यों नहीं किया गया। यह प्रश्न है।’’

डीडीए के वकील ने कहा कि रकम का भुगतान करना दिल्ली सरकार का दायित्व है। इस पर दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि डीडीए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर दी जाने वाली क्षतिपूर्ति में लीपापोती करने की चेष्टा कर रहा है और यह कि दिल्ली सरकार द्वारा दिया जाने वाला 10 लाख रुपये पांच मार्च, 2020 का मंत्रिमंडल के निर्णय के तहत उठाया जाने वाला कदम है।

पीठ ने कहा कि जवाबदेही का प्रश्न बाद में तय किया जा सकता था लेकिन इस अदालत की चिंता यह थी कि तत्काल उपाय के तौर पर प्रभावित परिवारों को कुछ देने की जरूरत थी।

पीठ द्वारा डीडीए का वार्षिक बजट के बारे में पूछे जाने पर उपाध्यक्ष ने कहा कि यह 3000 करोड़ रुपये है।

पीठ ने कहा, ‘‘ आपका 3000 करोड़ रुपये का बजट है और हमने आपसे तत्काल राहत के तौर पर महज 10 लाख रुपये देने का अनुरोध किया था, उस पर आप सभी प्रकार के बहाने के साथ सामने आ गये। बाद में हम जवाबदेही तय कर इस रकम को समायोजित कर देते। हमने आपसे भुगतान करने कहा था ताकि अपने जीविकोपार्जक को खोने वाले इन परिवारों को कुछ वित्तीय एवं संवेदनात्मक सुरक्षा बोध तो मिलता। ’’

भाषा

राजकुमार माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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