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Monday, 23 December, 2024
होमदेशजब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं: किसान नेता राकेश टिकैत

जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं: किसान नेता राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता टिकैत ने चेताया कि अगर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो सरकार का सत्ता में रहना मुश्किल हो जाएगा.

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सोनीपत: किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान पर सोमवार को हरियाणा के सोनीपत जिले में पलटवार करते हुए कहा कि जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं.

तोमर ने कहा था कि सिर्फ भीड़ के जमा होने से कानून रद्द नहीं होंगे.

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता टिकैत ने चेताया कि अगर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो सरकार का सत्ता में रहना मुश्किल हो जाएगा.

वह इस महीने हरियाणा में किसान महापंचायत कर रहे हैं.

सोनीपत जिले के खरखौदा की अनाज मंडी में किसान महापंचायत में टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा.

केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने रविवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कहा था कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करने को तैयार है लेकिन महज़ भीड़ जमा हो जाने से कानून रद्द नहीं होंगे.

उन्होंने किसान संघों से सरकारों को यह बताने का आग्रह किया कि इन नए कानूनों में कौन सा प्रावधान उन्हें किसान विरोधी लगता है.

इस पर पलटवार करते हुए टिकैत ने महापंचायत में कहा, ‘राजनेता कह रहे हैं कि भीड़ जुटाने से कृषि कानून वापस नहीं हो सकते. जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि भीड़ तो सत्ता परिवर्तन की सामर्थ्य रखती है. यह अलग बात है कि किसानों ने अभी सिर्फ कृषि कानून वापस लेने की बात की है, सत्ता वापस लेने की नहीं.’

दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर बीते साल 28 नवंबर से किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें अधिकतर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान हैं.

टिकैत ने कहा, ‘उन्हें (सरकार को) मालूम होना चाहिए कि अगर किसान अपनी उपज नष्ट कर सकता है तो आप उनके सामने कुछ नहीं हो.’

उन्होंने कहा, ‘कई सवाल हैं. सिर्फ कृषि कानून नहीं है लेकिन बिजली (संशोधन) विधेयक है, बीज विधेयक है…. वे किस तरह के कानून लाना चाहते हैं?’

टिकैत ने पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के लिए सरकार की आलोचना भी की.

किसान नेता ने कहा, ‘मौजूदा आंदोलन सिर्फ उस किसान का नहीं है, जो फसल उगाता है, बल्कि उसका भी है, जो राशन खरीदता है. उस छोटे से छोटे किसान का भी है, जो दो पशुओं से आजीविका चलाता है. उन मजदूरों का भी है ,जो साप्ताहिक बाजार से होने वाली आय से अपना गुजारा करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘ये कानून गरीब को तबाह कर देंगे. यह सिर्फ एक कानून नहीं है, इस तरह के कई कानून आएंगे.’

टिकैत ने कहा कि सरकार को 40 सदस्यीय समिति से ही बातचीत करनी होगी.

सरकार और प्रदर्शनकारी संघों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन समाधान नहीं निकल सका.

दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा है जिसमें किसानों के 40 संघ शामिल हैं.

टिकैत ने कहा, ‘अब किसान सभी मोर्चों पर डटेंगे. वे खेती भी करेंगे, कृषि नीतियों पर भी निगाह रखेंगे और आंदोलन भी करेंगे.’

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून की मांग करते हुए, उन्होंने कहा, ‘जब एमएसपी पर कानून बनेगा तब किसानों का संरक्षण होगा. यह आंदोलन उसके लिए है. यह किसानों के अधिकार के लिए है.’


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