नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 26 वर्षों से अधिक के अंतराल के बाद राष्ट्रीय राजधानी में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ की कठिन चुनौती को खारिज करते हुए सत्ता हासिल की।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन अपनी-अपनी विधानसभा सीट हार गए जबकि भाजपा के नेता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर दिग्गज नेता के रूप में उभरे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए क्या कारगर रहा और ‘आप के खिलाफ क्या रहा, इसका विवरण यहां दिया गया है।
भाजपा के लिए क्या कारगर रहा:
* देशभर के नेताओं – मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और राजग के घटक दलों के साथ एक केंद्रित अभियान के तहत राष्ट्रीय राजधानी में विशिष्ट क्षेत्रीय समूहों तक पहुंच बनाई गई।
* आम आदमी पार्टी द्वारा दी गई मुफ्त सुविधाओं का मुकाबला ‘‘मोदी की गारंटी’’ से हुआ, जो मतदाताओं को पसंद आई।
*आरएसएस और समान विचारधारा वाले संगठनों द्वारा जमीनी स्तर पर किया गया काम।
*केन्द्रीय बजट में आयकर में राहत की घोषणा से मध्यम वर्ग को लुभाया गया।
*भाजपा ने स्थानीय स्तर पर अभियान चलाकर सड़कों की खराब हालत, अनियमित जलापूर्ति, वायु प्रदूषण और मोहल्ला क्लीनिकों का संचालन नहीं होने जैसे जनता से जुड़े मुद्दों को उजागर किया।
‘आप’ के खिलाफ क्या रहा?
* भ्रष्टाचार के खिलाफ होने तथा सादगीपूर्ण जीवनशैली में विश्वास रखने के इसके वादों में विरोधाभास होना।
*भ्रष्टाचार के आरोपों और शराब घोटाले के कारण ‘ब्रांड’ केजरीवाल का प्रभाव कम होता दिखाई दिया। शराब घोटाले में उन्हें और उनके कई मंत्रियों को जेल जाना पड़ा।
*शासन के विभिन्न मुद्दों पर केंद्र के साथ लगातार टकराव।
*नागरिक सुविधाओं की कमी तथा बेहतर स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के वादे को पूरा करने में कथित विफलता ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया।
*कांग्रेस द्वारा कम से कम 14 सीट पर बेहतर प्रदर्शन ने ‘आप’ के मत प्रतिशत को कम कर दिया, जिससे उसके उम्मीदवारों की हार हुई। कांग्रेस और ‘आप’ लोकसभा चुनाव में गठबंधन सहयोगी थे।
भाषा देवेंद्र रंजन
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