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Sunday, 3 November, 2024
होमदेश‘इज़रायल-हमास युद्ध का क्या असर होगा, कुछ स्पष्ट नहीं’, बोले जयशंकर— दुनिया में भेदभाव साफ नज़र आ रहा है

‘इज़रायल-हमास युद्ध का क्या असर होगा, कुछ स्पष्ट नहीं’, बोले जयशंकर— दुनिया में भेदभाव साफ नज़र आ रहा है

दुनिया के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों का जिक्र करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि संघर्ष और आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोके जा सकने की कोई भी उम्मीद अब संभव नहीं है.

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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि पश्चिम एशिया में अभी जो कुछ हो रहा है उसका असर क्या होगा, वह अबतक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. उन्होंने यह टिप्पणी हमास-इज़रायल के बीच जारी संघर्ष को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंता की पृष्ठभूमि में की.

जयशंकर ने एक कार्यक्रम में, दुनिया के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि संघर्ष और आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोके जा सकने की कोई भी उम्मीद अब संभव नहीं है.

विदेश मंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का हवाला देते हुए कहा कि वैश्वीकृत दुनिया में विभिन्न संघर्षों के परिणाम उस भौगोलिक क्षेत्रों से कहीं अधिक दूर तक फैले हुए हैं. उन्होंने कोविड-19 महामारी से हुई तबाही को रेखांकित करते हुए कहा कि कैसे संकट के दौरान वैश्वीकरण की असमानताएं स्पष्ट रूप से सामने आई.

जयशंकर ने कहा, ‘‘कोविड-19 के टीकों की उपलब्धता को लेकर भेदभाव इसका स्पष्ट उदाहरण है, जब कुछ देशों के पास उनकी आबादी का आठ गुना टीके की खुराक थी जबकि अन्य देश अपने नागरिकों के लिए पहली खुराक का इंतजार कर रहे थे.’’

मंत्री ने रेखांकित किया, ‘‘अस्थिरता में दूसरा योगदान वैश्वीकृत विश्व में संघर्ष देता है, जिसके परिणाम क्षेत्र से कहीं दूर तक पड़ते हैं. हम यूक्रेन के मामले में यह पहले ही देख चुके हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम एशिया में अभी जो कुछ हो रहा है उसका प्रभाव पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. विभिन्न क्षेत्रों में, छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं जिनका प्रभाव महत्वहीन नहीं होता है.’’

विदेश मंत्री ने विभिन्न आतंकी समूहों को पाकिस्तान से मिल रहे समर्थन के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखी जाने वाली अपनी टिप्पणियों में आतंकवाद की चुनौती और इसे एक शासन कला के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है, इस पर भी चर्चा की.

उन्होंने कहा, ‘‘हिंसा के क्षेत्र में, इसका एक कम औपचारिक संस्करण भी है जो बहुत व्यापक है. मैं यहां आतंकवाद की बात कर रहा हूं जिसे लंबे समय से एक शासन कला के रूप में विकसित और प्रचलित किया गया है.’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘जब कट्टरपंथ और अतिवाद की बात आती है तो इसके रूप बदलने के खतरे को कम मत आंकिए. अब कोई भी ख़तरा दूर नहीं है.’’

भू-राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में रिण में वृद्धि देखी गई है, जो अक्सर अविवेकपूर्ण विकल्पों और अस्पष्ट परियोजनाओं के संयोजन के कारण होता है.

जयशंकर ने कहा कि सबसे शक्तिशाली राष्ट्र तुलनात्मक रूप से उतने शक्तिशाली नहीं रहे जितने अतीत में हुआ करते थे, और कई ‘मध्यम शक्तियां’ भी उभरी हैं.

(भाषा के इनपुट के साथ)


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