नई दिल्ली : निजी जेट, महिलाएं, हीरे और ‘लालच, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार’ को सामने लाने का वादा, नेटफ्लिक्स का बैड बॉय बिलियनेयर यही सब दिखाने की बात करता है.
शो का ट्रेलर चार ‘बैड बॉय बिलियनेयर्स’ की तस्वीरों के साथ शुरू होता है–विजय माल्या, सुब्रत रॉय, नीरव मोदी और रामलिंगा राजू – जो नाटकीय बैकग्राउंड म्यूजिक स्कोर के बीच पूरे स्क्रीन पर चमकती नजर आ रही हैं.
अगले दो मिनट के लिए ट्रेलर इन चार लोगों के जीवन के नैरेटिव का बखान करता है, यह उनकी आलीशान जीवनशैली की एक झलक दिखाता है और पत्रकारों, लेखकों और उनके साथ काम करने वाले लोगों की टिप्पणियों के जरिये उनके पतन की कहानी की कड़ियां भी जोड़ता नजर आता है.
एक डॉक्यूमेंट्री सीरिज बताया जा रहा यह शो 2 सितंबर को रिलीज होने वाला था. हालांकि, 19 अगस्त को ट्रेलर जारी होने के बाद यह कानूनी पचड़े में फंस गया है, जिसके बाद ट्रेलर हटा लिया गया और रिलीज भी रोक दी गई.
शो का भविष्य अधर में होने के बीच एक झलक यह बताती है कि सीरिज के जरिये दर्शकों के सामने क्या परोसने का इरादा है, नेटफ्लिक्स को किन आपत्तियों को दूर करने की जरूरत है, और इस समय ‘बैड बॉय बिलियनेयर्स’ कहां हैं.
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डॉक्यूमेंट्री में क्या है?
नेटफ्लिक्स ने डॉक्यूमेंट्री के कंटेंट पर अब तक चुप्पी साध रखी है, उनकी पीआर टीम के साथ-साथ वकील भी अगले कदम को लेकर मौन साधे हुए हैं. लेकिन हम अब तक जो जानते हैं वही सामने रख रहे हैं.
शो के बारे में ब्योरा देते हुए नेटफ्लिक्स ने इसे ‘इस्वेस्टिगेटिव डॉक्यूसीरिज’ बताया है जिसमें दिखाया गया है कि ‘भारत के ये सबसे बदनाम टाइकून किस तरह लालच, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के रास्ते पर चलकर अपना साम्राज्य खड़ा करते हैं और कैसे उनका पतन होता है.’
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे अपने पक्ष में इस फ्लेटफॉर्म ने कहा है कि बैड बॉय बिलियनेयर्स एक ‘इन्वेस्टिगेटिव डॉक्यूमेंट्री सीरिज है जो भारत के चार जाने-माने अरबपतियों की जिंदगी, उनकी उपलब्धियों और व्यावसायिक सफलताओं के बारे में बताती है.’
उसका कहना है कि यह डॉक्यूमेंट्री सीरिज ‘इन अरबपतियों से संबंधित ऐसे तथ्यों, सूचनाओं, फुटेज और स्निपेट्स पर आधारित है जिसकी जानकारी पब्लिक डोमेन में है या फिर पहले से ही लोगों की जानकारी में है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि यह सीरिज ‘सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध सामग्री पर आधारित तथ्यों और सूचनाओं पर पत्रकारों/विशेषज्ञों के साथ चर्चा दिखाती है.’
ट्रेलर में भी लेखक पवन सी. लाल सहित विशेषज्ञों, पत्रकारों और अन्य लोगों के बयानों और टिप्पणियों को शामिल किया गया है, जो वर्षों से इन अरबपतियों के कामकाज के गवाह रहे हैं.
बैड बॉय बिलियनेयर-1 : विजय माल्या
ट्रेलर की शुरुआत महिलाओं के बीच मुस्कुराकर पोज देते नजर आ रहे विजय माल्या के साथ होती है.
कभी ‘भारत के हाई-फ्लाइंग लिकर किंग’ कहे जाने वाले माल्या एकदम धड़ाम से अर्श से फर्श पर आ गए थे. उन्होंने 2005 में किंगफिशर एयरलाइंस लांच की थी. लेकिन पहले ही दो वर्षों के अंदर एयरलाइंस को बड़ा घाटा लगा और अंततः 2012 में वह जमीन पर आ गई.
इसके बाद ही माल्या 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक कर्ज मामले में अभियुक्त बनाए गए, उनके भारत छोड़ने के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है, भारत ने ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण के लिए अपील कर रखी है, और वह 2018 के आर्थिक अपराध भगोड़ा कानून के तहत ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित किए जाने वाले पहले व्यक्ति हैं.
ट्रेलर में कई लोगों को यह बताते दिखाया गया है कि 64 वर्षीय माल्या ने कैसे ‘किंगफिशर एयरलाइंस का विस्तार करने के लिए सरकारी बैंकों से अधिक से अधिक पैसा उधार लिया’ और यह कि ‘किसी अन्य अपराधी और विजय माल्या के बीच एकमात्र अंतर यह है कि वह एक सूट पहनता है और आलीशान पार्टियां आयोजित करता है.’
मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए 40 मिलियन डॉलर अपने बच्चों को ट्रांसफर करने के मामले में अदालत की अवमानना का दोषी पाया. वह इस समय ब्रिटेन में हैं, लेकिन अवमानना मामले में सजा पर सुनवाई के लिए 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित होने को कहा गया है.
बैड बॉय बिलियनेयर-2 : सुब्रत रॉय
नेटफ्लिक्स के ट्रेलर में कहा गया है, ‘सुब्रत रॉय की खासियत यह थी कि वह बूंद-बूंद से सागर बनने का महत्व अच्छी तरह समझते थे.’
रॉय की कहानी को अक्सर रंक से राजा बनने के उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है—यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपनी जेब में 2,000 रुपये लेकर शुरुआत की थी और 73,000 करोड़ रुपये का व्यासायिक साम्राज्य खड़ा कर दिया. वह सहारा इंडिया परिवर के प्रबंध कार्यकर्ता और अध्यक्ष हैं.
72 वर्षीय सुब्रत राय की मुश्किलें तब शुरू हुईं जब सहारा समूह द्वारा तीन करोड़ से अधिक निवेशकों से 24,000 करोड़ रुपये जुटाने में बरती गईं ‘तमाम अनियमितताओं’ को लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2010 में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) पर शिकंजा कसा.
ट्रेलर ने इस बारे में टिप्पणीकारों को यह कहते दिखाया गया है, ‘सुब्रत रॉय ने भारत में सबसे गरीब लोगों से पूंजी जुटाने के लिए लगभग एक लाख एजेंट नियुक्त कर रखे थे.’
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2014 में रॉय को तिहाड़ जेल भेज दिया था और वह 2016 में अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दो साल बाद ही पैरोल पर बाहर सके. तब से बाहर ही हैं.
इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए रॉय ने बताया था कि उन्होंने सेबी की तरफ से बताई गई अधिकांश बकाया राशि चुका दी है, और अदालत से उनके साथ तैनात किए गए सुरक्षा कर्मियों को हटाने को कहा था.
हालांकि, सेबी के वकीलों के इस तर्क के बाद शीर्ष अदालत ने इससे इनकार कर दिया, कि सुरक्षाकर्मी उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए नहीं हैं, बल्कि उन पर नजर रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि जब भी जरूरत होगी वह कोर्ट में पेश होंगे.
बैड बॉय बिलियनेयर-3 : नीरव मोदी
ट्रेलर में दर्शकों के सामने 49 वर्षीय मोदी का परिचय ‘ज्वैलर एक्स्ट्राआर्डिनेयर नीरव मोदी’ के तौर पर दिया गया है.
लग्जरी डायमंड ज्वेलर मोदी मौजूदा समय में ब्रिटेन की जेल में बंद हैं, और भारत को प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
तीसरी पीढ़ी के हीरा कारोबारी मोदी ने 2010 में बिजनेस में ऊंचाइयां छूनी शुरू कीं. 2013 में उन्होंने पहली बार फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में जगह बनाई. 2017 में फोर्ब्स ने उन्हें भारतीय अरबपतियों की सूची में 85वें स्थान पर रखा.
हालांकि, 2018 में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में करोड़ो रुपये का घोटाला सामने आने के बाद उनके कैरियर की सारी चमक धूमिल हो गई और उन पर 28,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप लगा. जल्द ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) समेत तमाम कानून प्रवर्तन एजेंसियों और यहां तक कि अवैध लेनदेन और कथित धोखाधड़ी के लिए कर विभाग की वांछितों की सूची में शामिल हो गए. मोदी ने तभी 2018 में ही भारत छोड़ दिया.
ट्रेलर यह सारी बातें कुछ ऐसे स्टेटमेंट के साथ दर्शाता है, ‘नीरव मोदी ने अधिकारियों को घूस खिलाकर एक के बाद एक लोन लेने शुरू कर दिए’ और ‘नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक को 1.8 बिलियन डॉलर का चूना लगा रहे थे.’
बैड बॉय बिलियनेयर-4 : रामलिंग राजू
‘असुरक्षा और बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच राजू ने खातों में हेरफेर शुरू की.’
सत्यम कंप्यूटर्स के प्रमुख के बारे में ट्रेलर कहता है, ‘राजू समय से आगे निकलने की कोशिश कर रहे थे. यह एक विशाल बुलबुले की तरह था….और कुछ समय के लिए उसमें बूम आ गया! एक बिलियन डॉलर देखते-देखते गायब हो गए’
यह लगभग 11 साल पहले की बात है जब बी. रामलिंग राजू ने पहली बार माना कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कंपनी के राजस्व को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था. तब सत्यम कंप्यूटर्स के सीईओ और चेयरमैन रहे राजू ने 7,136 करोड़ रुपये के आर्थिक गबन की बात स्वीकार करते हुए पद छोड़ दिया था, जिसमें 5,040 करोड़ रुपये की गैर-मौजूद नगदी और बैंक की बकाया राशि भी शामिल थी.
‘भारत में एनरॉन’ जैसे करार दिए गए इस घोटाले ने पूरे कॉरपोरेट जगत को हिलाकर रख दिया और यह भारत में कई नीतिगत बदलावों की वजह भी बना.
65 वर्षीय को राजू को 2015 में हैदराबाद की अदालत ने धोखाधड़ी का दोषी ठहराया था, और बाद में सात साल जेल की सजा भी सुनाई गई. हालांकि, बाद में उनकी सजा निलंबित कर दी गई थी और अपील दायर करने के बाद जमानत दे दी गई.
ट्रेलर का अंत एक नैरेटर के यह कहने के साथ होता है, ‘यह किसी बाघ की सवारी जैसा था, जिसमें यह नहीं पता कि उसका शिकार बनने से कैसे बचा जाएगा.’
राजू ने यह बताने के लिए कि वास्तव में क्या हुआ था 2009 में अपने निदेशक मंडल को लिखे एक पत्र में यही वाक्य लिखा था.
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अब आगे क्या?
अब तक नेटफ्लिक्स को सहारा की याचिका पर बिहार की एक अदालत से और राजू की याचिका पर हैदराबाद की एक अन्य अदालत से प्रतिकूल आदेश मिला है, जबकि नीरव मोदी के मामा मेहुल चोकसी की तरफ से दायर एक अन्य याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट में खारिज किया जा चुका है.
सहारा इंडिया ने अपने एक सेक्टर मैनेजर के जरिये 27 अगस्त को बिहार के अररिया में एक अदालत में मुकदमा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि डॉक्यूमेंट्री मानहानिकारक है और रॉय की छवि ‘खराब और बदनाम’ करने वाली है.
बिहार कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दलील में कहा गया है कि ‘सहाराश्री को उसी श्रेणी में रखना’ जिसमें अन्य तीन लोगों को रखा गया है और उन्हें ‘तीन भगोड़ों’ के साथ दिखाना ‘स्पष्ट रूप से मानहानि, दुर्भावनापूर्ण और आपत्तिजनक’ है.
अदालत ने इस तर्क से सहमति जताते हुए नेटफ्लिक्स और अन्य पक्षों को डॉक्यूसीरिज में रॉय का नाम इस्तेमाल करने से रोक दिया. हालांकि, यह एक पक्षीय आधार पर लगाई गई रोक थी जिसमें आदेश पारित करते समय प्रतिवादी का पक्ष नहीं सुना गया. प्रतिवादियों को 2 दिसंबर को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है.
नेटफ्लिक्स ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन बिहार की अदालत के फैसले को चुनौती देने की मंशा होने पर पटना हाई कोर्ट जाने की शीर्ष कोर्ट की सलाह के बाद इसे वापस ले लिया गया.
हैदराबाद में राजू की ओर से दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि यदि वेब सीरिज प्रसारित होती है तो निष्पक्ष अदालती कार्यवाही का उनका अधिकार बाधित होगा, क्योंकि उनके खिलाफ मामले अब भी लंबित हैं. इससे सहमति जताते हुए कोर्ट ने 1 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर यह डॉक्यूसीरिज प्रसारित होने पर रोक लगा दी.
हैदराबाद की अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर के लिए निर्धारित की है.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने भी नेटफ्लिक्स की उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें इस सीरिज को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज मामलों को एक ही अदालत में ट्रांसफर किए जाने की मांग की गई है.
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तुम लोग देश को एसे पत्रकारिता से बर्बाद कर दोगे सुब्रत रॉय के बारे में गलत बोल के सरम नही आती जो ब्यक्ति अपनी जिंदगी देश को आगे ले जाने में लगा दी उसकी तुलना तुम विजय माल्या से कर रहे हो धिक्कार है तुम जैसे पत्रकार पर सुब्रत रॉय वो ब्यक्ति है जो 26 माह जेल में रहने के बाद भी कोर्ट का संम्मान देस सेवा नही छोड़ा आज भी उसी सन से खड़ा है लोगो का पैसा भी कुछ न कुछ दे रहा है प्रतिबंध के बाद भी कही भाग के नही गये आज 12 लाख लोग को रोजी रोटी दिया है और तुम जैसे पत्रकार उनको बदनाम कर रहे हो भगोड़ों से तुलना कर रहे हो धिकार है तुम्हारे पत्रकारिता पर
Bilkul sahi bola aapne sari midiya bik chuki hai तुम्हारी सरकार ही कम्पनियों को लाइसेंस देती है फिर कहती है सारे jamakrta फर्जी है काला धन है जब 128 ट्रक बाउचर जाता है सेवी के पास उन कागजों को जांच नहीं करती है सेवी कुछ दिनों के बाद लौटा देती है ।आज 9 वर्षों से सहारा इंडिया परिवार को परेशान किया जा रहा है 12 लाख कार्यकर्तओं को सहारा ने रोज़ी रोटी घर बैठे कमाने का जरिया दिया था आज सेवी ने ओ अधिकार कार्यकर्ताओं से छीन लिया। सहाराश्री जी के बातों को मानकर आज एक भी कार्यकर्ता नहीं बोल रहा है ।सहाराश्री छूट दे देते तो सेवी की एक भी ईंट का पता नहीं चलता ।कहां सेवी गई पता नहीं चलता । सहारा बंद करने का साजिश नहीं किया होता सेवी तो आज जीडीपी -24% नहीं होता ।