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Friday, 22 November, 2024
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क्या है टूलकिट? टेक युग के विरोध प्रदर्शनों के डॉक्युमेंट की वो चाबी, जिसने दिशा-निकिता को मुसीबत में फंसा दिया

टूलकिट्स आमतौर से सोशल मीडिया अभियानों के लिए बनाई जाती हैं. उनमें जानकारी होती है कि अलग अलग सोशल मीडिया वेबसाइट्स के ज़रिए, प्रचार को किस तरह बढ़ावा दिया जाए.

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नई दिल्ली: जलवायु कार्यकर्त्ता ग्रेटा थनबर्ग की ओर से, 2 फरवरी को ट्वीट किए गए एक डॉक्युमेंट ने, एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है- जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह की जांच शुरू की, और एक 21 वर्षीय बेंगलुरू स्थित कार्यकर्त्ता, दिशा रवि को गिरफ्तार कर लिया गया.

रवि के अलावा, हाईकोर्ट वकील निकिता जेकब, और एक व्यक्ति शांतनु मुलुक पर भी दिल्ली पुलिस ने, डॉक्युमेंट बनाने में शामिल होने का आरोप लगाया है.

लेकिन ये डॉक्युमेंट आख़िर है क्या, जिसे ‘टूलकिट’ के नाम से जाना जाने लगा है? टूलकिट्स ने आधुनिक विरोध प्रदर्शनों में, पर्चों और फ्लायर्स का काम किया है, जिससे टेक की समझ वाले समय में, विरोधियों को लामबंद करने, और किसी विशेष प्रचार के अभिप्राय, और प्रकृति को लेकर उनकी निगरानी करने में मदद मिली.

टूलकिट्स का इस्तेमाल 2011 के ऑक्युपाई वॉल स्ट्रीट विरोध में किया गया, और 2019 में हॉन्ग कॉन्ग में, एक प्रस्तावित क़ानून के खिलाफ आंदोलन में भी, जिससे चीन को प्रत्यपर्ण की अनुमति मिल जाती (जिसे बाद में ख़ारिज कर दिया गया).

पिछले साल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारित, तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में, कथित ‘टूलकिट’ पाठकों का – जो विदेश में भी थे- मार्गदर्शन करने के लिए थी, कि वो भारत में कृषि क़ानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का, किस तरह समर्थन कर सकते थे. डॉक्युमेंट से जुड़ा प्रमुख विवाद एक वर्ज़न से शुरू हुआ, जिसे थनबर्ग ने हटा दिया- बाद में उसने एक अपडेट किया हुआ वर्ज़न ट्वीट किया. पुलिस का कहना है कि टूलकिट का उस हिंसा से ताल्लुक़ है, जो 26 जनवरी को दिल्ली में, आंदोलनकारी किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान फूट पड़ी थी.


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क्या होती है टूलकिट?

टूलकिट दिशानिर्देशों का एक सेट होता है, जो सुझाव देता है कि किसी निश्चित लक्ष्य को, कैसे हासिल किया जा सकता है. टूलकिट्स में एक कार्य योजना होती है, जिसमें संबंधित विषय को समझाया जाता है, और कुछ सुझाव दिए जाते हैं, जिनपर अमल करके इस विशेष लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.

टूलकिट्स आमतौर से सोशल मीडिया अभियानों के लिए बनाई जाती हैं. इन टूलकिट्स में जानकारी दी जाती है, कि अलग अलग सोशल मीडिया वेबसाइट्स के ज़रिए, प्रचार को किस तरह बढ़ावा दिया जाए.

इन्हें सिर्फ विरोध करने वाले ही नहीं बनाते, बल्कि सरकारी संस्थाएं भी बनाती हैं. मसलन, भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की एक टूलकिट है, कि बौद्धिक संपदा अधिकारों को कैसे लागू किया जाए.

अमेरिकन एसोसिएशन के एक अंग, दि यंग एडल्ट लाइब्रेरी सर्विसेज़ एसोसिएशन ने, एक ‘टूलकिट क्रिएशन गाइड’ अपलोड की है. इसमें टूलकिट को इस तरह परिभाषित किया गया है, ‘फ्रंट लाइन स्टाफ के लिए, आधिकारिक और अनुकूलनीय संसाधनों का संकलन, जिससे वो किसी मुद्दे के बारे में जान सकें, और उसके समाधान के उपायों की पहचान कर सकें.

टूलकिट एक डॉक्युमेंट होती है, जिसे कोई भी व्यक्ति बना सकता है, जो किसी संस्था का हिस्सा हो, और उस संस्था के लोग उस टूलकिट की सामग्री में योगदान कर सकते हैं. इस संदर्भ में, संस्था से मतलब कोई विरोध, कोई सोशल मीडिया अभियान, या सरकार भी हो सकता है.

विरोध के लिए, इसका इस्तेमाल आमतौर से पठन सामग्री, समाचार लेखों और विरोध के तरीक़ों की सूची मुहैया कराने के लिए किया जाता है- मसलन, जिसमें हैशटैग्स का इस्तेमाल भी शामिल होता है.

टूलकिट्स कब कब इस्तेमाल हुई हैं

ये डॉक्युमेंट्स हमेशा टूलकिट्स नहीं कहे जाते थे. जैसा कि पहले बताया जा चुका है, पहले ज़माने में ये काम मैनुअल्स, और परचों आदि से लिया जाता था.

अमेरिका के स्वार्थमोर कॉलेज ऑफ वर्ल्डवाइड नॉन-वायलेंट मूवमेंट्स ने, कम से कम 300 विरोध प्रदर्शनों को सूचिबद्ध किया है, जिनमें विरोध करने वालों की जानकारी के स्रोत के तौर पर, वेब पन्नों, किताबों, पुस्तिकाओं का इस्तेमाल किया गया है. इनमें ब्रिटेन में 18वीं-19वीं सदी के दौरान, ग़ुलामों का व्यापार ख़त्म करने की ख़ातिर हुए विरोध, अमेरिका में 1960 में नागरिक अधिकारों के लिए धरने, और 1989 में चीन के टियानमेंट स्क्वेयर पर हुए प्रदर्शन शामिल हैं.

टूलकिट्स को अपने आप ही सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि मिल गई. मसलन, इनका इस्तेमाल 2011 में आर्थिक असमानता के ख़िलाफ, ऑक्युपाई वॉल स्ट्रीट विरोध के दौरान, समर्थकों को लामबंद करने, और उन्हें सूचना देने के लिए किया गया. इसके अलावा 2019 के हॉन्ग कॉन्ग प्रदर्शन, 2018 के जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रदर्शन, और भारत में सीएए-विरोधी प्रदर्शनों में भी, इसका इस्तेमाल किया गया.

2019 में हॉन्ग कॉन्ग प्रदर्शनों के दौरान, टूलकिट्स ने समर्थकों के लिए कई टूल्स, उपकरणों, कपड़ों, और मैसेज के तरीक़ों की सिफारिश की.

2018 में जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ हड़ताल में, जिसे थनबर्ग ने शुरू किया- कई टूलकिट्स सरकुलेट की गईं, जिनमें दिशानिर्देश दिए गए थे, कि कहां विरोध ज़मीन पर किया जाए, और कहां सोशल मीडिया पर किया जाए. उसमें जानकारी दी गई थी कि जलवायु परिवर्तन आंदोलन क्या है, और कैसे उसमें तुरंत एक्शन की ज़रूरत है.

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