अयोध्या: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे बुधवार को होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम से नदारद रहेंगे. 90 के दशक में मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, वीएचपी के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे.
कोरोना काल में उम्र और सेहत के लिहाज से इन नेताओं को दूर रखा जा रहा है. वहीं उमा भारती ने कोरोना के डर की बात कहकर कार्यक्रम से दूरी बना ली है.
वीएचपी के पूर्व नेता रहे प्रवीण तोगड़िया को न्यौता ही नहीं भेजा गया है. इसके अलावा पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा के भी कार्यक्रम में शरीक होने पर संशय बना हुआ है.
इस बीच अयोध्या में चर्चा चल रही है कि मंदिर आंदोलन के बड़े नेता क्यों इस कार्यक्रम से दूर हैं.
ट्रस्ट भले ही कोविड की गाइडलाइंस के कारण कम भीड़ इकट्ठा करने की बात कर रहा हो लेकिन कई अहम चेहरों की गैर-मौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है. 175 इनवाइटीज़ में कौन-कौन कार्यक्रम में शरीक होगा इस पर ट्रस्ट ने चुप्पी साध रखी है.
बता दें कि राम मंदिर आंदोलन के कई बड़े चेहरे जिनमें वीएचपी के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल, महंत रामचंद्र परमहंस, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ शामिल थे, अब इस दुनिया में नहीं हैं.
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कई संत और नेताओं को निमंत्रण नहीं
भूमि पूजन के इनवाइटीज़ में अगर पाॅलिटिकल सर्किल की बात करें तो पीएम मोदी, सीएम योगी, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा, यूपी विधानसभा के स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित को ही निमंत्रण भेजा गया है.
गृह मंत्री अमित शाह और यूपी बीजेपी प्रमुख कोरोना पॉजिटिव होने के कारण इसमें शामिल नहीं होंगे.
पंचमुखी हनुमान गुजराती मंदिर के प्रमुख महंत कमला दास के अनुसार उस दौर के सभी चर्चित चेहरे आते तो बेहतर रहता लेकिन मंदिर का कार्य शुरू हो रहा है ये बहुत खुशी की बात है.
उनका कहना है कि कोरोना काल में अब आश्रम में ही बैठकर देखना पड़ेगा. राम को यही मंजूर है, तो यही सही. अगर कोरोना न होता तो बड़ा इवेंट जरूर होता.
रामादल के अध्यक्ष कल्की राम ने भूमि पूजन के न्यौते पर कहा, ‘न्यौते कि क्या जरूरत, हम तो खुद पीएम मोदी को बुलाना चाहते हैं.’
हनुमान गढ़ी के पास रहने वाले 52 वर्षीय बसंत कुमार का कहना है कि कोरोना गाइडलाइंस को तो फाॅलो करना चाहिए लेकिन अगर वो पुराने चेहरे होते तो अच्छा रहता.
वो कहते हैं, ‘उन्हीं लोगों के नेतृत्व में कारसेवा की थी. अब वो नहीं आ रहे तो थोड़ा अजीब लग रहा है लेकिन राम की शायद यही मर्जी है.’
मणिराम दास की छावनी के पास रहने वाले पारस नाथ बताते हैं, ‘जब राम मंदिर आंदोलन चल रहा था तो वह 21-22 साल के थे. आडवाणी जी से प्रेरित होकर इस आंदोलन से जुड़े थे लेकिन अब पूजन के वक्त वह नहीं आ पा रहे हैं इसका थोड़ा अफसोस जरूर है लेकिन कोरोना का भी खतरा है इसलिए फैसला ठीक है.’
उनका कहना है कि उमा भारती, प्रवीण तोगड़िया आदि को बुलाया जाता तो बेहतर रहता. वे आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे.
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आखिरी वक्त पर काटे गए नाम
वीएचपी से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, पहले 250 से अधिक लोगों को इनवाइट भेजे जाने का प्लान था लेकिन आखिरी वक्त पर कई नाम काटे गए. ऐसा पीएमओ और ट्रस्ट के कुछ पदाधिकारियों के बीच हुई मीटिंग के बाद हुआ.
सूत्र के मुताबिक, ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कई संत व नेताओं को फोन करके भी समझाने की कोशिश की है कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए उन्हें न्यौता नहीं दिया गया है.
उमा भारती के अब अयोध्या पहुंचने की खबर आ रही है. वहीं इससे पहले सूत्रों से पता चला था कि वह निमंत्रण न मिलने से नाराज हैं. इसी कारण से सोमवार को उन्होंने बयान दिया- ‘राम के नाम पर किसी का पेटेंट नहीं हो सकता है. राम अयोध्या या बीजेपी की बपौती नहीं है.
भूमि पूजन के लिए दिए गए इनवाइट कार्ड में सेक्योरिटी कोड लगाया गया है जिसको चेक कराके ही कार्यक्रम में एंट्री मिलेगी.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को कहा कि सिक्योरिटी कोड केवल एक बार ही काम करेगा. इसे लेकर कोई अंदर आया और फिर किसी काम से बाहर गया तो दोबारा यह सिक्योरिटी कोड काम नहीं करेगा.
पीले रंग का इनवाइट लेटर ट्रस्ट की ओर से भेजा गया है. जिसमें में लिखा है- ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर निर्माण का कार्य शुरू किए जाने वाले ऐतिहासिक क्षण का आमंत्रण देते हुए हम उल्लास महसूस कर रहे हैं.’
ट्रस्ट से जुड़े एक सदस्य पीला रंग चुनने की अहम वजह आयोजन के थीम कलर को बताते हैं. अयोध्या में इसी रंग से पुताई भी की गई है.
मंच पर रहेंगे महज़ पांच लोग
5 अगस्त को होने वाले मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर पांच ही लोग बैठेंगे. ट्रस्ट से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि पीएम के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, संघ प्रमुख मोहन भागवत और ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास रहेंगे. यही नहीं सभी पांचों को एक दूसरे से थोड़ा दूर ही बैठाया जाएगा.
पिछले दिनों ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा था कि भूमि पूजन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जाएगा. कार्यक्रम में इनवाइटीज़ को दो गज की दूरी पर बैठाने की कोशिश रहेगी. उन्होंने अयोध्या के आम लोगों से अपील भी की है कि इस पूजन को घर पर टीवी पर ही देखें. मंदिर परिसर में भूमि पूजन के दिन एंट्री नहीं होगी.
हालांकि इसके बावजूद अयोध्या में ये चर्चा का विषय जरूर है कि ऐसी कौन-सी गाइडलाइंस है जो कुछ के लिए तो लागू है लेकिन कुछ पर नहीं.
नाम न छापने की शर्त पर अयोध्या के एक संत कहते हैं कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले इनवाइटीज़ में कई की उम्र 65 से अधिक है तो भी उन्हें बुलाया गया लेकिन कई संतों और आंदोलन के चेहरों को कोविड गाइडलाइंस के नाम पर नहीं बुलाया जा रहा है. ये क्यों किया गया कोई उत्तर देने वाला नहीं है.
ये देश में केवल बड़े बुजुर्गों के सम्मान का ढोंग करने वाले अमित शाह और प्रधान-मंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीति है।
कोरोना और उम्रदराज को बताना इनका एक बहाना है ।
आप ने साही कहा भाई यह सब राजनीति है