नई दिल्ली: रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) ने पिछले दो वर्षों से यौन उत्पीड़न की शिकायतों को देखने के लिए पहलवान साक्षी मलिक के साथ पांच सदस्यीय कमिटी का गठन किया है. हालांकि, कमेटी को अभी तक उत्पीड़न की कोई शिकायत नहीं मिली है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
फेडरेशन की वेबसाइट पर ‘सेक्शुएल हैरासमेंट कमिटी’ के टैब पर लिखा है, ‘‘डोपिंग कम करने, मैच फिक्सिंग, उम्र की धोखाधड़ी और खेल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न सहित नैतिक प्रथाओं और निष्पक्ष खेल को सुनिश्चित करने के लिए, WFI ने एक नैतिकता कमेटी का गठन किया है.’’
डब्ल्यूएफआई के महासचिव एन. प्रसूद इस कमिटी के चैयरमेन हैं, और संयुक्त सचिव जय प्रकाश कन्वेनर हैं, बाकी तीन मेंबर्स में विशाल सिंह, देबेंद्र कुमार साहू और रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक हैं. साहू और सिंह डब्ल्यूएफआई के कार्यकारी सदस्य हैं.
प्रसूद ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘मैं केवल इतना कह सकता हूं कि हमें कभी कोई शिकायत नहीं मिली. मेरे पास आपको देने के लिए और कोई जानकारी नहीं है.’’ उन्होंने इस पर भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या समिति की कभी बैठक हुई है या यह अपनी तरह की पहली बैठक है.
वहीं, समिति के संयोजक जय प्रकाश ने भी जवाब देने से किनारा किया.
डब्ल्यूएफआई के सूत्रों ने पुष्टि की कि कमिटी का गठन दो साल पहले किया गया था, लेकिन यह पुष्टि नहीं हो सकी कि क्या यह इस तरह की पहली कमिटी थी.
पैनल की एकमात्र महिला सदस्य पहलवान साक्षी मलिक पिछले हफ्ते, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के साथ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं थीं. पहलवानों ने न केवल डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए, बल्कि यह भी दावा किया था कि उनके कुछ पसंदीदा कोच कैंप में महिला पहलवानों के साथ के साथ दुर्व्यवहार करते हैं.
‘सैक्शुएल हैरासमेंट कमिटी’ में महिला सदस्यों की कमी और ऐसे पैनल के अस्तित्व के बारे में जागरूकता की कमी, कुश्ती समुदाय द्वारा समस्या से निवारण के लिए उनसे संपर्क न करने के कुछ कारण थे.
एक राष्ट्रीय कोच ने पूछा, अगर साक्षी को इस बारे में जानकारी थी तो कमिटी के मेंबर के तौर पर उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की.
हालांकि, साक्षी ने कॉल और व्हाट्सएप पर बार-बार अनुरोध के बावजूद दिप्रिंट के सवालों का जवाब नहीं दिया. उनके जवाब आने के बाद खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.
इस बीच, डब्ल्यूएफआई यौन उत्पीड़न सहित सभी आरोपों को खारिज करते हुए अपने प्रमुख बृज भूषण के पीछे मजबूती से खड़ा है.
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साक्षी से नाराज़ हुए कोच, WFI के अधिकारी?
उपर्युक्त कोच की तरह, डब्ल्यूएफआई के एक अधिकारी ने भी यह जानने की कोशिश की कि पहलवानों को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की ज़रूरत क्यों है, जबकि विरोध प्रदर्शन में शामिल एक नेता कमिटी का मेंबर था.
अधिकारी ने कहा, “अगर उन्होंने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ इतने गंभीर आरोप लगाए थे, तो उन्होंने उस कमिटी को सूचित क्यों नहीं किया, जिसकी साक्षी मलिक भी मेंबर हैं?”
पूर्व में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में काम करने वाले एक अन्य कोच ने दावा किया कि स्टार पहलवानों ने जंतर-मंतर पर अपने विरोध के माध्यम से सभी कोचों को बदनाम किया है. “अगर हम इतने क्रूर हैं, तो कमिटी में कोई शिकायत क्यों नहीं है? साक्षी ने पैनल के मेंबर के रूप में कुछ क्यों नहीं बोला?”
वहीं, महिला पहलवानों का कहना है कि शिकायत दर्ज करना आसान नहीं है, क्योंकि अधिकांश मेंबर्स पुरुष हैं.
उन्होंने कहा, “हमारे समाज में हम इस तरह की बातों को इतने आराम से नहीं बोलते हैं. कमिटी के पांच में से चार मेंबर्स पुरुष हैं. हम उनके सामने इस तरह के मुद्दों पर बात करने में सहज महसूस नहीं करते हैं.”
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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