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शुक्रवार, 16 मई, 2025
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प.बंगाल : प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने पुलिस से हिंसक झड़प के एक दिन बाद फिर शुरू किया प्रदर्शन

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कोलकाता, 16 मई (भाषा) साल्ट लेक में पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के मुख्यालय में और उसके आसपास आंदोलनकारी स्कूल शिक्षकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पों के एक दिन बाद, प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को इमारत के बाहर अपना प्रदर्शन फिर से शुरू कर दिया।

भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में हजारों नियुक्तियों को रद्द करने के हालिया अदालती आदेश के बाद अपनी नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों ने विकास भवन के बाहर पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए अपना आंदोलन फिर से शुरू कर दिया।

योग्य शिक्षक अधिकार मंच के एक सदस्य ने कहा कि बृहस्पतिवार को झड़पों में घायल हुए कई लोग प्रदर्शन स्थल पर लौट आए और धरने में शामिल हो गए।

वे अपनी नौकरियों की स्थायी बहाली के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं और उनकी मांग है कि 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की परीक्षा पास करने के बाद अब उन्हें नई भर्ती परीक्षा में बैठने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

कई प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि मंच के कई सदस्य रात भर विकास भवन के बाहर बैठे रहे।

मंच के नेता और प्रदर्शनकारी शिक्षक चिन्मय मंडल ने कहा, ‘‘हमने हजारों शिक्षकों, नागरिक समाज के सदस्यों और अन्य लोगों से शुक्रवार को अपराह्न 3 बजे विकास भवन के बाहर इकट्ठा होकर अपना विरोध प्रदर्शन तेज करने का आग्रह किया है। हम मुख्यमंत्री से तत्काल बातचीत की मांग करते हैं।’’

बृहस्पतिवार शाम को विकास भवन के आसपास का इलाका एक तरह से युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया, जब प्रदर्शनकारी स्कूली शिक्षकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक घंटे से अधिक समय तक चली पुलिस कार्रवाई में कई महिलाओं सहित कई शिक्षक घायल हो गए।

पुलिस उपायुक्त (बिधाननगर) अनीश सरकार ने बताया कि शिक्षा विभाग के फंसे हुए कर्मचारियों को घर लौटने देने के लिए शिक्षकों से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार शाम को अपना आंदोलन जारी रखा।

प्रदर्शनकारियों में शामिल महबूब मंडल ने बताया कि घायल शिक्षकों की कुल संख्या करीब 100 है।

उच्चतम न्यायालय ने राज्य-सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था और पूरी चयन प्रक्रिया को ‘दूषित और दागी’ करार दिया था।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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