कोलकाता, 23 फरवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार ने बीरभूम जिले में देवचा पचामी कोयला खनन परियोजना के लिए स्वेच्छा से जमीन देने वाले भू मालिकों को बुधवार को मुआवजे का वितरण करना शुरू कर दिया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं छह परिवारों को मुआवजे के चैक और नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे।
बनर्जी ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि इलाके में करीब 4,200 परिवारों में से 1,600 परिवारों ने 30,000 करोड़ रुपए की कोयला परियोजना के लिए अपनी जमीन देने को लेकर पहले ही रजामंदी दे दी है।
उन्होंने कहा कि राज्य ने देवचा पचामी कोयला ब्लॉक के कारण जमीन गंवाने वालों के लिए 10,000 करोड़ रुपए का राहत एवं पुनर्वास पैकेज तय किया है। उन्होंने कहा कि यह देश की सबसे बड़ी एवं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला परियोजना है और जिस भी भू मालिक ने अपनी जमीन देने पर सहमति जताई है, उसे वंचित नहीं रखा जाएगा।
बनर्जी ने कहा, ‘‘परियोजना शुरू हो जाने के बाद रोजगार के एक लाख से अधिक अवसर पैदा होंगे। बाजार मूल्य को देखते हुए अच्छी कीमत दी जा रही है। अपनी जमीन देने वाले सभी परिवारों को हम मुआवजा देने के अलावा नौकरी में नियुक्ति के पत्र भी सौंपेंगे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयला ब्लॉक के लिए चिह्नित इलाकों में रहने वाले और वहां किसी जमीन या इमारत पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रखने वाले लोगों को भी मुआवजा और मदद मुहैया कराई जा रही है।
परियोजना के तहत मकान निर्माण के लिये दिए जाने वाले मुआवजे को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है और उन्हें दिए जाने वाले घरों का आकार 600 वर्ग फुट से संशोधित कर 700 वर्ग फुट कर दिया गया है। साथ ही सरकार ने मुआवजे के एक और हिस्से को अब एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया है।
जमीन गंवाने वाले परिवार के योग्य सदस्यों को कांस्टेबल या ग्रुप सी कर्मचारियों की तरह बेहतर नौकरी दी जाएगी। इस परियोजना क्षेत्र में 12 गांव हैं और कुल 21,033 आबादी के साथ 4,314 घर हैं।
देवचा पचामी कुल 12.31 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है जो करीब 3,400 एकड़ है। ब्लॉक में करीब 119.8 करोड़ टन कोयला और 140 करोड़ घन मीटर बेसाल्ट (ब्लैक स्टोन) का अनुमानित भंडार है।
भाषा सिम्मी नरेश
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