कोलकाता, तीन जुलाई (भाषा) राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के अधिकार को लेकर खींचतान के बीच पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के लिए एक कुलपति की एकतरफा ढंग से नियुक्ति किया जाना राज्य सरकार के फैसले के विपरीत है।
धनखड़ ने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय (आरबीयू) के नए कुलपति की नियुक्ति की थी, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था।
बसु ने कहा कि बंगाल विधानसभा द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को लेकर पारित एक विधेयक के मद्देनजर नियुक्ति प्रक्रिया की फिर से जांच करने संबंधी राज्य सरकार के फैसले से राज्यपाल को पिछले महीने अवगत कराया गया।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि विधेयक के पारित होने के मद्देनजर प्रस्ताव की फिर से जांच के संबंध में 30 जून को एक विस्तृत बयान जारी किया गया था।
बसु ने ट्वीट किया, ‘‘25 कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में- इस देश के प्रत्येक नागरिक को मौजूदा अधिनियमों और नियमों के प्रावधानों का पालन करना होगा। माननीय कुलाधिपति ने 2019 के नियमों का पालन नहीं करने का निर्णय लिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के सभी कुलपतियों को विश्वविद्यालयों के गठन अधिनियमों और 2019 के नियमों के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार नियुक्त किया गया है।’’
धनखड़ ने सोशल मीडिया पर दिये बयान में कहा था कि यह ‘‘पूरी तरह से अनुचित’’ है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता ने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति किये जाने के संबंध में राज्यपाल / कुलाधिपति के संबंध में ‘‘बिल्कुल गलत बयान’’ दिया था। इस बयान के बाद बसु ने यह ट्वीट किया।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 13 जून को उस विधेयक को पारित किया था, जिसमें राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने का प्रावधान किया गया है।
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देवेंद्र सुरेश
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