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गुरूवार, 5 जून, 2025
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किसान विरोधी हैं कृषि विधेयक, हम संसद से सड़क तक लड़ेंगे: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की सीएम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'देश जहां कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है, केंद्र सरकार इन कृषि विधेयकों के जरिये सूखा लाना चाहती है.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कृषि विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए सभी विपक्षी दलों से इसका विरोध करने का आह्वान किया है. मोदी सरकार को फासीवादी बताते हुए ममता ने बिल के खिलाफ संसद से सड़क तक लड़ने की बात कही.

उन्होंने कहा कि दोनों कृषि विधेयक से किसानों को एमएसपी से वंचित रहना पड़ेगा और इससे देश में सूखे के हाल पैदा होंगे.

ममता ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘देश जहां कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है, केंद्र सरकार इन कृषि विधेयकों के जरिये सूखा लाना चाहती है.’

उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगयाा कि वह कृषि विधेयकों को पारित करा के अकाल पैदा करने का प्रयास कर रही है.

वहीं राज्यसभा में बिल को पास कराने के भाजपा के तरीके को नियमों को खिलाफ बताते हुए पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि जब संसदीय नियमों के अनुसार बिल पर वोटिंग के लिए कहा गया तो भाजपा ने कम सदस्य उपस्थित होने के कारण कृषि बिल पास करने के लिए हिंसा का सहारा लिया. केंद्र सरकार ने राज्यों को किसानों के लिए कीमतों को रेग्युलेट करने की शक्ति छीनी और ‘खाद्य-महामारी’ की योजना बनाई जा रही.

किसानों के हितों की रक्षा के लिए लड़ने वाले 8 सांसदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण है और इस निरंकुश सरकार की मानसिकता को दिखाता है जो लोकतांत्रिक मानदंडों और सिद्धांतों का सम्मान नहीं करती. हम झुकेंगे नहीं संसद में और सड़कों पर इस फासीवादी सरकार के खिलाफ लड़ेंगे.

विपक्ष राज्यसभा के आठ सदस्यों को लेकर सरकार पर बरसी, संसद भवन में धरना

विपक्ष ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला तथा इस कदम के विरोध में संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया.

निलंबित किए गए आठ सांसदों में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य शामिल हैं. उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयक को पारित किए जाने के दौरान ‘‘अमर्यादित व्यवहार’’ के कारण इन सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया है.

निलंबन के खिलाफ कांग्रेस, माकपा, शिवसेना, जनता दल (सेक्यूलर), तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और समाजवादी पार्टी के सांसद संसद भवन परिसर में धरने पर बैठ गए. उनके हाथों में ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ और ‘संसद की मौत’ लिखी तख्तियां थीं.

माकपा नेता इलामारम करीम ने कहा, ‘निलंबन से हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकता. हम किसानों के साथ उनकी लड़ाई में साथ रहेंगे. उपसभापति ने कल संसदीय प्रक्रियाओं का गला घोंटा है. सांसदों के निलंबन ने भाजपा के कायर चहरे को उजागर कर दिया है.’

संजय सिंह ने कहा, ‘देश के किसानों जाग जाओ. भाजपा की सरकार ने आपकी जिंदगी को अडाणी-अंबानी को गिरवी रख दी है. जाग जाओ और इस काले कानून का विरोध करो. हम संसद में प्रदर्शन कर रहे हैं और आप इसके बाहर करो. भाजपा सरकार ने किसानों के खिलाफ काले कानून को पारित किया है. हमें विधेयक का विरोध करने के लिए निलंबित किया गया है.’

आप नेता ने कहा, ‘इसलिए हम यहां धरने पर बैठे हैं और तब तक बैठे रहेंगे जब तक भाजपा सरकार आकर नहीं बताती कि क्यों लोकतंत्र का गला घोंटकर इस काले कानून को पारित किया गया है.’

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