scorecardresearch
Sunday, 17 November, 2024
होमदेशराष्ट्रीय बालिका दिवस पर पटना में वेबिनार आयोजित

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर पटना में वेबिनार आयोजित

Text Size:

पटना, 24 जनवरी (भाषा) महिला एवं बाल विकास निगम (डब्ल्यूसीडीसी) की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा ने सोमवार को कहा कि लड़कियों को कमजोर वर्ग का हिस्सा होने की अवधारणा को अनदेखा करना चाहिए ताकि वे सशक्तिकरण के मूल्य को सीख सकें।

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बम्हरा ने उक्त टिप्पणी राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर समाज कल्याण विभाग के तहत कार्य करने वाले डब्ल्यूसीडीसी, यूनिसेफ और आद्री द्वारा संयुक्त रूप से एडोलेसेंट डेवेलपमेंट- द रोड अहेड विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए की।

उन्होंने कहा कि बचपन से एक लड़की को सिखाया जाता है कि उसे दूसरों की देखभाल करनी चाहिए और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए। वह कमजोर हैं और उन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। इन तथा कथित पाठों को अनदेखा किया जाना चाहिए ताकि वह सशक्तिकरण के मूल्य को सीख सकें।

बम्हरा ने कहा कि एक लड़की सबसे पहले ह्यूमन (मानव) है। किशोरियों की आवाज़ महत्वपूर्ण हैं, यह जरूरी है कि उनके लिए कोई और नहीं बल्कि वे स्वयं आवाज़ उठाएं।

उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यक्रमों की उचित सोशल मार्केटिंग नहीं हो पाती है जबकि आज के दौर में डिजिटलीकरण के कारण अधिक लोगों तक पहुंचना आसान हो गया है, इसका पूरा उपयोग होना चाहिए।

इस अवसर पर यूनिसेफ की बिहार प्रमुख नफीसा शफीक ने सुझाव दिया कि लड़कियों को केंद्र में रख कर बनाई गई नीतियां और कार्यक्रम सभी प्रमुख क्षेत्रों एवं हितधारकों को समान स्तर पर कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगे साथ ही लड़कियों के बेहतरी में परिवार, समुदाय और व्यापक सामाजिक व्यवस्था की भूमिका तय करेंगे।

आद्री के सदस्य सचिव प्रोफेसर पीपी घोष ने एनएफएचएस के आंकड़ों को चिन्हित करते हुए कहा कि उम्र के पहले शादी-गर्भधारण और महिलाओं के प्रजनन दर में पहले से सुधार तो हुआ है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम कृषि, उद्योग, रेल, हवाई अड्डे आदि मामलों को महत्व देते हैं वैसे ही हमें शिक्षा, स्वास्थ और महिलाओं की स्थिति को महत्व देने की जरूरत है।

महिला एवं बाल विकास निगम के परियोजना निदेशक अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि देश की जनसंख्या का पांचवा हिस्सा किशोर-किशोरियों का है। सरकार के द्वारा किशोरियों के समग्र विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जब तक हम महिलाओं को मुख्यधारा से नहीं जोड़ेंगे और कामकाजी महिलाओं की संख्या नहीं बढ़ेगी, विकास का हमारा लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा।

भाषा अनवर अर्पणा

अर्पणा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments