(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि उसने मुंबई में ऐतिहासिक ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के पास यात्री जेटी और टर्मिनल के महाराष्ट्र सरकार के प्रस्तावित निर्माण को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मंगलवार को मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के पास यात्री ‘जेटी’ और टर्मिनल सुविधाओं के निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘(मुंबई) शहर के लिए कुछ अच्छा हो रहा है। हर कोई तटीय सड़कों का विरोध करता है। अब आप देख सकते हैं कि तटीय सड़क का क्या लाभ है। दक्षिण मुंबई से एक व्यक्ति 40 मिनट में वर्सोवा पहुंच सकता है। पहले इसमें तीन घंटे लगते थे।’’
बृहस्पतिवार को प्रधान न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की थी।
पीठ ने कहा,‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि हमने मामले के गुण-दोष पर कुछ भी नहीं कहा है।’’
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय इस याचिका पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय करेगा।
मंगलवार की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने हल्के-फुल्के अंदाज में मुंबई के आम और कुलीन निवासियों के बीच विभाजन पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘यह ‘आमची मुंबई’ और ‘थ्यामची मुंबई’ के बीच है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने भी मजाकिया अंदाज में जवाब दिया था, ‘‘आमची मुंबई कोलाबा में नहीं रहती है। यह केवल ‘‘थ्यामची मुंबई’’ है जो कोलाबा में रहती है। आमची मुंबई मलाड, ठाणे, घाटकोपर में रहती है।’’
बृहस्पतिवार को ‘क्लीन एंड हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन’ (सीएचसीआरए) की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने मीडिया कवरेज पर चिंता व्यक्त की। वह जेटी का विरोध कर रहे 400 से अधिक निवासियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
घोष ने कहा, ‘‘मैं केवल इतना कह रहा हूं कि किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना, उच्च न्यायालय निर्णय ले।’’
भाषा राजकुमार दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.