(कोमल पंचमाटिया)
मुंबई, 28 फरवरी (भाषा) भारत में स्थित यूक्रेन की फिल्मकार दार गाए के मुताबिक वह हर सुबह इस उम्मीद के साथ उठती हैं कि काश उनके देश पर रूस का आक्रमण एक बुरे सपने जैसा साबित हो , लेकिन यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच फंसे हुए अपने माता-पिता, दोस्तों और परिवार के अन्य सदस्यों की गंभीर वास्तविकता के बारे में सोचकर वह चिंतित हो उठती हैं।
निराशा, अविश्वास और कभी-कभी असहाय आंसुओं के दौर से गुजर रहीं निर्देशक ने कहा कि यूक्रेन में उनके बहुत से प्रियजन हैं, जो सबवे स्टेशनों समेत अन्य स्थानों में शरण लेकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
दार गाए के माता-पिता किसी तरह से यूक्रेन की राजधानी कीव छोड़कर सुरक्षित स्थान में शरण लेने में कामयाब हुए हैं।
यूक्रेनी निर्देशक दार गाए ने पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘आखिरी क्षण तक हम विश्वास नहीं कर सके कि 21वीं सदी की इस दुनिया में, एक यूरोपीय देश पर बमबारी की जा सकती है और उस पर आक्रमण किया जा सकता है। मैं प्रत्येक सुबह इस उम्मीद के साथ उठती हूं कि यह एक बुरे सपने जैसा होगा।”
यूक्रेन के विभिन्न शहरों में रूसी सैनिकों की ओर से किए गए हमलों में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है जबकि हजारों लोग अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों में शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं।
दार गाए रूस के इस आक्रमण को लेकर बेहद चिंतित और गुस्से में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक वीडियो देखा, जिसमें एक रूसी टैंक उस स्कूल से गुजर रहा है, जहां मैं कभी पढ़ती थी। यह बेहद डरावना है। ’’
निर्देशक ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का यह सैन्य अभियान एक तरह से युद्ध की घोषणा है।
दार गाए ने हाल ही में निर्देशक शकुन बत्रा की फिल्म “गहराईयां” में अंतरंग दृश्यों को निर्देशित किया था। दार गाए को ‘‘तीन और आधार’’ और ‘‘नामदेव भाऊ: इन सर्च ऑफ साइलेंस’’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।
यूक्रेनी निर्देशक ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि यह मेरे साथ, मेरे परिवार के साथ और मेरे देश के साथ हो रहा है। यह बेहद मुश्किल समय है, मैं किसी के संदेश का जवाब नहीं दे सकती जो मुझसे पूछता है कि क्या मैं ठीक हूं, क्योंकि मैं तुरंत रोने लगती हूं।’’
भाषा रवि कांत उमा
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