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Sunday, 12 May, 2024
होमदेश‘हमें घर से निकाला जा रहा है, किस बात के लिए बजाई थी ताली और थाली?’- पूछ रहे हैं डॉक्टर

‘हमें घर से निकाला जा रहा है, किस बात के लिए बजाई थी ताली और थाली?’- पूछ रहे हैं डॉक्टर

एम्स के डॉक्टरों की चिट्ठी के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन के डॉ एस राजकुमार से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि इस मामले को 'गंभीरता' से लिया जा रहा है. डॉक्टरों नर्सों को तंग करने वाले मकान मालिकों पर 'सख्त एक्शन' के दिए आदेश.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए डॉक्टर और नर्स चौबीसों घंटे मरीजों की तीमारदारी में लगे हैं. बीते रविवार को इन्हीं डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान में आधा घंटा ताली और थाली भी बजाई थी. लेकिन कोरोना से लड़ाई लड़ रहे इन लोगों को सामाजिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों की परेशानी इतनी बढ़ गई है कि हारकर गृहमंत्री को पत्र लिखना पड़ा है. इनमें से तो कई ऐसे डॉक्टर भी हैं जिन्हें उनके मकान मालिकों ने घर खाली करने के लिए कहा है.

एम्स के डॉक्टरों की चिट्ठी के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने एम्स रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन के मुख्य सचिव डॉ एस राजकुमार से बात की. शाह ने आश्वासन दिया कि इस मामले को ‘गंभीरता’ से लिया जा रहा है. इससे मामले को लेकर उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से बात की. उन्होंने डॉक्टरों व नर्सों को तंग करने वाले मकान मालिकों पर सख्त एक्शन लेने की बात भी कही है.

वहीं डॉक्टरों को परेशान किए जाने पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी कहा, ‘मैं दिल्ली, नोएडा, वारंगल, गुजरात में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को परेशान किए जाने को लेकर परेशान हूं. मैं कहना चाहता हूं कि डॉक्टर सारे सुरक्षा मानक अपना रहे हैं. घबराओ मत.’

ये हाल सिर्फ दिल्ली के डॉक्टरों का नहीं है बल्कि देशभर के डॉक्टरों को इस परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है.

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गुजरात के डॉक्टर देवाशीष ने डॉक्टरों के एक ग्रुप का स्क्रीनशॉट शेयर किया है जहां एक डॉक्टर बता रहे हैं कि उनकी सोसायटी के प्रेसिडेंट ने उन्हें हिट लिस्ट में रखा है क्योंकि कि वो सिविल अस्पताल में काम कर रहे हैं. इस ग्रुप की चैट को शेयर करते हुए डॉक्टर देवाशीष ने पीएम मोदी को ट्वीट करते हुए लिखा है कि कई मामले आ रहे हैं जहां सरकारी डॉक्टरों को उनके ही घरों से जाने पर धमकियां मिल रही हैं. सर कृपया इन मामलों को गंभीरता से लें.

आज आठ बजे पीएम मोदी देश को संबोधित करने वाले हैं. अमित शाह को लिखे पत्र में एम्स असोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर आदर्श प्रताप सिंह लिखते हैं, ‘कोरोना के मरीजों के इलाज में लगे नर्स, डॉक्टर और अन्य मेडिकलकर्मियों को उनके किराए के मकानों से निकाला जा रहा है. ये व्यवहार मेडिकल कर्मियों को कोरोना से संक्रमित होने का खतरे को बढ़ाएगा. देश के कई सारे डॉक्टर अपने सामान के साथ सड़कों पर आ गए हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वो कहां जाएं. आपसे अनुरोध है कि जल्द से जल्द एक ऑर्डर पास करें ताकि मकान मालिक दिन रात काम में लगे डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ से घर खाली ना करा सकें. ‘

गृहमंत्री को लिखा पत्र

गुजरात के सूरत ज़िले के न्यू सिविल हॉस्पिटल के साइकियेट्री डिपार्टमेंट में कार्यरत संजीबनी पाणिग्रही के अपने पड़ोसी ही उन्हें अब अजीब सी निगाहों से देखने लगे हैं. कभी रात में बीमार पड़ने पर उन्हें याद करने वाले पड़ोसी की नज़र में वह कोरोनावायरस के वाहक के तौर पर देखी जाने लगी हैं.

संजीबनी दिप्रिंट से अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं, ‘मैं जिस अस्पताल में हूं उसमें फिलहाल तीन कोरोना पॉजिटिव के मरीज हैं. मेरी ड्यूटी अभी आइसोलेशन महकमे में नहीं लगी है. मैं सारे सेफ्टी मेजर्स का इस्तेमाल करती हूं. मास्क पहनकर रखती हूं.’

वो आगे जोड़ती हैं, ‘मेरी सोसायटी के गेट पर दस लोग कुर्सी लगाकर बैठे रहते हैं और आने जाने वालों पर नजर रखते हैं. एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनकी हिट लिस्ट में शामिल हूं. मैं दो साल से सूरत में रह रहीं हूं लेकिन इस तरह का व्यवहार मेरे लिए मेंटल हैरेसमेंट है.’

संजीबनी का मानना है कि उनके पडो़सी उनके मकान मालिक को प्रेशर में डालकर कहीं उनसे घर ना खाली करा लें. ऐसे में उनके पास जाने की कोई जगह नहीं बचेगी.

सूरत के ही एक अन्य डॉक्टर ने बताया, ‘मैं किराणा दुकान पर सामान ख़रीदने गया था. मैं हमेशा उसी दुकान से सामान ख़रीदता रहा हूँ. स्टोर के कर्मी को पता था कि मैं डॉक्टर हूं. उसे ये भी पता था कि मेरी पोस्टिंग सिविल अस्पताल में है. उसने मुझे सामान नहीं दिया और दोबारा न आने को कहा.’

डॉक्टर आगे जोड़ते हैं, ‘जब आप सामान तक नहीं ख़रीदने से रहे थे तो ताली और थाली क्यों बजाई थी? ‘

डॉक्टरों के साथ हो रहे इस दुर्व्यवहार को लेकर दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के रेजिडेंट असोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर असगर अली कहते हैं, ‘लोगों का पैनिक करना भी जायज है. कोरोना को लेकर फेक न्यूज बहुत ज्यादा फैल गई है. कोरोना के फैलने के वक्त डॉक्टर भी सेफ्टी मेजर्स का इस्तेमाल कर पाते उससे पहले ही वो इस वायरस से संक्रमित हो गए. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. डॉक्टर पूरे सुरक्षा इंतजामों के बाद ही इलाज कर रहे हैं.’

संजीबनी की तरह ही देश के अन्य डॉक्टर सोशल मीडिया के जरिए अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर लिख रहे हैं. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में काम कर रहे एक डॉक्टर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, ‘ये आज से शुरू नहीं हुआ. लोग अजीब निगाहों से देखते हैं. बहुत से मेडिकल स्टाफ को ये झेलना पड़ रहा है.’

गौरतलब है कि डॉक्टरों के अलावा एयरलाइन के स्टाफ के साथ भी सोसायटी व पड़ोसी हैरेसमेंट कर रहे हैं. कोलकाता में भी ऐसा मामला सामने आया जब एक प्राइवेट एयरलाइन की महिलाकर्मी ने एक वीडियो के जरिए बताया कि उनकी मां खाने-पीने का सामान तक नहीं खरीद पा रही हैं.

केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता हरदीप सिंह पुरी ने इन घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत में कोरोना के कहर को फैलने से रोक रहे इन लोगों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार निंदनीय है.

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