मुंबई, दो मई (भाषा) ‘ग्लोबल मीडिया डायलॉग’ में 77 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा शुक्रवार को स्वीकृत किये गए ‘वेव्स’ घोषणापत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ आगे बढ़ना चाहिए।’’
जयशंकर और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां चल रहे वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) में ‘ग्लोबल मीडिया डायलॉग’ की अध्यक्षता की, जहां लगभग दो घंटे की चर्चा के बाद घोषणा-पत्र को अंगीकृत किया गया।
तेरह सूत्री घोषणापत्र में कहा गया है कि प्रतिभागियों का उद्देश्य गलत सूचना और भ्रामक सूचनाओं के प्रसार को रोकना, मीडिया की विश्वसनीयता, तथ्य-आधारित पत्रकारिता और प्रबुद्ध सार्वजनिक संवाद के लिए जिम्मेदार विज्ञापन को बढ़ावा देना है।
सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों ने डिजिटल असमानता को कम करने के लिए मीडिया उपयोग में विकल्प, पहुंच और सामर्थ्य का समर्थन करने की भी घोषणा की तथा रचनात्मकता, संस्कृति और सहयोग के लिए खुले और समावेशी मंचों को बनाए रखने का संकल्प लिया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘चूंकि हम अब अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करना चाहते हैं, इसलिए केवल राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता का दावा करना पर्याप्त नहीं है। यह भी उतना ही आवश्यक है कि हम अपनी परंपराओं, अपनी विरासत, विचारों और अपनी रचनात्मकता को आगे बढ़ाएं।’’
वैष्णव ने कहा कि सामग्री तैयार करना और उपभोग तेजी से बदल रहा है, क्योंकि प्रौद्योगिकी लोगों के अपनी कहानियां कहने के तरीके को नया रूप दे रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां हमें स्थानीय स्तर पर किये जाने वाले ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।’’
जयशंकर ने एआई के युग की अपार संभावनाओं को भी रेखांकित किया और कहा कि ‘‘प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ आगे बढ़ना चाहिए।’’
उन्होंने 60 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि दुनिया विविधतापूर्ण है तथा अतीत में उपनिवेशवाद और शक्तिशाली देशों के प्रभुत्व, दोनों ने बहुलवाद को दबा दिया।’’
घोषणा पत्र में यह भी कहा गया कि भागीदार देशों ने मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में रोजगार सृजन और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया तथा जहां भी संभव हो, युवाओं, महिलाओं और अन्य समूहों सहित नये अवसरों को सृजित करने के लिए उद्योग के साथ काम करने का संकल्प लिया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमें यह भी ध्यान में रखना है कि नवाचार विकास के क्रम में ऊंची छलांग लगाने के लिए महत्वपूर्ण है, जो 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण करेगा।’’
जयशंकर ने कहा कि एआई के युग में कल्पना से परे संभावनाएं हैं और इतने बड़े क्षेत्र में इतने बड़े बदलावों की कल्पना कभी नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘उभरती प्रौद्योगिकियों का जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग की जरूरत होगी। पूर्वाग्रह को कम करना, विषय-वस्तु का लोकतंत्रीकरण करना और इसकी नैतिकता को प्राथमिकता देना, ये सभी उभरते विमर्श का हिस्सा हैं। और इसके अलावा भी बहुत कुछ है, जो सामने आएगा।’’
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सुभाष दिलीप
दिलीप
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