लखनऊ, 27 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की एक रिपोर्ट दावा किया गया है कि 2023 की तुलना में राज्य की नदियों और जलाशयों के पानी की गुणवत्ता 2024 में लगभग 70 प्रतिशत सुधरी है।
यूपीपीसीबी ने एक बयान में कहा कि नदियों और जलाशयों के पानी की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कई प्रभावी उपाय किये गये हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप यूपीपीसीबी की 2024 की रिपोर्ट में 2023 की तुलना में पूरे उत्तर प्रदेश में जल की शुद्धता में 68.8 प्रतिशत का उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
बयान के अनुसार यह उपलब्धि जल प्रदूषण से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई निरंतर पहल, कड़ी निगरानी और विशेष अभियानों की कामयाबी को जाहिर करती है।
बयान में कहा गया यूपीपीसीबी ने 2024 में पूरे राज्य में 176 स्थानों पर जल गुणवत्ता संबंधी परीक्षण किये जिनमें से 120 स्थानों पर उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। दरअसल, नमामि गंगे मिशन और स्वच्छ भारत अभियान जैसी प्रमुख पहलों के तहत राज्य में अपशिष्ट जल के उपचार की क्षमता बढ़ी है।
पर्यावरण नियमों को सख्ती से लागू करते हुए यूपीपीसीबी ने उनका पालन नहीं करने वाले ‘सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी)’ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। अक्टूबर 2022 और अप्रैल 2025 के बीच एसटीपी पर कुल 11.79 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया गया।
बयान के अनुसार सरकार ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत न सिर्फ एसटीपी की क्षमता का विस्तार किया है, बल्कि औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़े जाने वाले अपशिष्टों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम भी लागू किए हैं।
भाषा सलीम राजकुमार
राजकुमार
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