नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने जल प्रदूषण से नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर दुष्प्रभावों का उल्लेख करते हुये हरियाणा के मुख्य सचिव को यमुनानगर जिले के हमीदी गांव में औद्योगिक इकाइयों से प्रदूषित पानी बहाए जाने के खिलाफ समाधान के कदम उठाने के निर्देश दिये हैं.
अधिकरण ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण मौलिक अधिकारों और राज्य के संवैधानिक दायित्व का हिस्सा है और कानून के तहत जल स्रोतों में प्रदूषित पानी को बहाना दंडनीय अपराध है. अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी स्तर के अधिकारी, विशेष रूप से मुख्य सचिव मामले को उच्च प्राथमिकता दें.
एनजीटी ने कहा, ‘इसके अनुरूप हम हरियाणा के मुख्य सचिव को स्थिति की समीक्षा करने और कानून के शासन को बनाए रखने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उपचारात्मक उपाय करने का निर्देश देते हैं.’
पीठ ने कहा, ‘इस विषय पर अनुपालन की स्थिति की एक रिपोर्ट मुख्य सचिव द्वारा अगली सुनवाई से पहले ई-मेल द्वारा प्रस्तुत की जा सकती है.’
एनजीटी ने कहा कि अधिकारियों को अपशिष्ट उत्पादन और उसके निस्तारण के बीच की खाई को पाटने के लिए राज्य स्तर की व्यापक योजना के साथ आना चाहिए.
पीठ ने कहा, ‘यह ज्ञात है कि जल प्रदूषण नागरिकों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, खाद्य श्रृंखला और पानी की उपलब्धता को प्रभावित करता है.’
पीठ ने कहा, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि जल प्रदूषण के कारण बड़ी संख्या में मौतें और बीमारियां होती हैं, व्यावहारिक रूप से जल प्रदूषण का अपराध उतना ही गंभीर है जितना कि मानव हत्या या गंभीर चोट पहुंचाना.’
एनजीटी की पीठ हरियाणा निवासी चौधरी ओमपाल और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
यमुनानगर जिले के हमीदी गांव में उद्योगों के अशोधित पानी को नदी में बहाने के खिलाफ याचिका दाखिल की गयी. अशोधित पानी के प्रवाह वाला नाला इंद्री के दबकोली गांव में धनौरा एस्केप से जुड़ा है जो अंतत: यमुना में मिल जाता है.
याचिका में कहा गया, ‘प्रदूषित पानी भूजल को दूषित कर रहा है. इससे उठने वाला दुर्गंध आसपास के लोगों और जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. रसायनिक पानी का बहाव मवेशियों और कृषि क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहा है.’
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