नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने कहा कि राज्यों द्वारा मुफ्त बिजली जैसे मुफ्त के तोहफे अर्थव्यवस्था में ‘कैंसर’ की तरह बढ़ रहे हैं और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।
एसजेएम के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि राज्य सरकारों को राजकोषीय समझदारी अपनाने में केंद्र का अनुसरण करना चाहिए।
अंतरिम बजट 2024-24 के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों को विकास के लिए अधिक संसाधन दिए गए, लेकिन उन्होंने मुफ्त के तोहफे के लिए इन संसाधनों का दुरुपयोग करने को ज्यादा मुफीद समझा। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक तरह की संक्रामक बीमारी है, जो अब देश की अर्थव्यवस्था के लिए कैंसर बन रही है।’’
महाजन ने कहा कि विकास के लिए निर्धारित संसाधनों का दुरुपयोग विकास में बाधा बन रहा है और यह ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि खर्च के मामले में राज्य ‘बहुत ही अनुशासनहीन’ बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे केंद्र और राज्य सरकार पर कुल कर्ज बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग गिर रही है।
एसजेएम के सह संयोजक ने कहा, ‘‘इससे हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कम ब्याज दर पर निवेश आकर्षित करना भी मुश्किल हो रहा है।’’
उन्होंने कहा कि अगर देश को ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़े तो वह विकास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, राज्य सरकारों द्वारा अनुशासनहीन खर्च पर पूर्ण रोक लगानी होगी। इसमें न्यायपालिका को अपनी भूमिका निभानी होगी और अगले वित्त आयोग को भी इसकी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।’’
केंद्र द्वारा बृहस्पतिवार को पेश अंतरिम बजट के बारे में महाजन ने कहा, ‘‘मैं सराहना करता हूं कि सरकार और वित्त मंत्री ने राज्य सरकारों को रास्ता दिखाया है।’’
उन्होंने कहा कि इस बजट ने आगे बढ़ने का रास्ता दिया है और छत पर सौर पैनल योजना एक ऐसी पहल है, जो मुफ्त बिजली प्रदान करेगी, लेकिन बुनियादी ढांचे का निर्माण भी करेगी।
महाजन ने कहा, ‘‘अगर आप इस बजट को विकास, गरीबी उन्मूलन और लोक कल्याण की दृष्टि से देखें तो इस सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है।’’
उन्होंने कहा कि आवास, रसोई गैस और पीने योग्य पानी संबंधी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों के जीवनस्तर में सुधार हो रहा है।
महाजन ने कहा, ‘‘सरकार पारदर्शी तरीके से काम कर रही है और यही बात उसे पूर्ववर्ती सरकारों से अलग बनाती है।’’
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार बेरोजगारी की समस्या से निपटने में नाकाम रही है। इस बारे में पूछे जाने पर महाजन ने आश्चर्य जताया कि अगर निजी क्षेत्र का निवेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और बुनियादी ढांचा बढ़ रहा है तो यह समस्या कैसे है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सरकार बेरोजगारी पर अच्छे और वास्तविक आंकड़े एकत्र करने के लिए कुछ करेगी। हमें सही नौकरियों के लिए सही लोगों को ढूंढने की जरूरत है। मुझे लगता है कि बेरोजगारी की समस्या इस सरकार की नहीं है, यह शुरू से ही रही है।’’
भाषा धीरज सुरेश
सुरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.