नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (भाषा) ‘मकबूल’, ‘ओमकारा’ और ‘हैदर’ जैसी सफल फिल्मों के निर्माता व मशहूर लेखक विशाल भारद्वाज का कहना है कि वह अपने काम पर विलियम शेक्सपीयर की छाप को लेकर थोड़ा असहज रहते हैं और उनकी (शेक्सपीयर की) ओर वापसी के लिए वह अगले 10 साल तक इंतजार कर सकते हैं।
विशाल भारद्वाज की हालिया फिल्म ‘खुफिया’ का एक दृश्य ‘जुलियस सीसर’ नाटक को बड़े पर्दे पर दिखाता है। यह फिल्म एक थ्रिलर है।
विशाल भारद्वाज ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ”मुझे बहुत खुशी है कि बहुत सी चीजें अपने आप हुई हैं। जब आप बाद में इसका विश्लेषण करेंगें तो देखेंगे कि फिल्म में गहराई खुद-ब-खुद आई है। हां, ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि ब्रूटस को उसके विश्वासघात के लिए जाना जाता है और ‘इट टू ब्रूटस’ एक मशहूर पंक्ति है। मैं एक वक्त पर फिल्म का नाम ‘खुफिया : ऑपरेशन ब्रूटस’ रखना चाहता था।”
शेक्सपीयर की मशहूर पुस्तकों ‘मैकबेथ’, ‘ऑथेलो’ और ‘हैमलेट’ पर सफल फिल्मों का निर्माण करने वाले फिल्मनिर्माता का कहना है कि वह रुक गए थे, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि लोगों को लगे कि उन्होंने फिर से शेक्सपीयर की पुस्तकों की ओर रुख कर लिया है।
भारद्वाज ने कहा, ”मैं अपने काम पर शेक्सपीयर की छाप को लेकर थोड़ा असहज भी हूं। मैं अब शेक्सपीयर की तरफ जाने में थोड़ा वक्त लूंगा। मैं जल्दबाजी नहीं करूंगा। पहले ही 10 साल बीत चुके हैं (2014 में हैदर का निर्देशन) और मैं कुछ (नया) बनाने से पहले अब 10 साल और इंतजार करना चाहता हूं।”
भारद्वाज की नई फिल्म ‘खुफिया’ जासूसी पर आधारित एक थ्रिलर फिल्म है, जिसे नेटफिल्क्स पर देखा जा सकता है। फिल्म में वामिका गिब्बी, तब्बू, अली फजल मुख्य भूमिका में हैं और उनके साथ-साथ आशीष विद्यार्थी, नविन्द्र बहल, शाताफ फिगर और अतुल कुलकर्णी अहम किरदार निभा रहे हैं।
भाषा जितेंद्र सुरेश
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