अयोध्या (उप्र), एक जून (भाषा) अयोध्या की एक विशेष अदालत ने दलित व्यापारी राजकुमार सोनकर को थाने में कथित तौर पर परेशान करने और पीटने से जुड़े 12 साल पुराने एक मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) समेत 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है।
अधिकारियों ने बताया कि अदालत ने निर्देश दिया है कि सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए और 20 जून, 2025 को अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
अयोध्या जिले की अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) अदालत की विशेष न्यायाधीश शिवानी जैसवाल ने शुक्रवार को गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किए। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा राहत के लिए दायर याचिका खारिज करते हुए उन्हें तीन सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था, जिस आदेश की कथित तौर पर अनदेखी की गई।
पीड़ित राजकुमार सोनकर के अधिवक्ता मार्तंड प्रताप सिंह ने बताया कि यह घटना 21 अगस्त 2012 की है। उन्होंने बताया कि सोनकर को जिले के इनायतनगर थाना पुलिस द्वारा कथित तौर पर थाने में बेरहमी से पीटा गया, जहां उनसे नकदी और सोने की चेन छीन ली गई। उन्होंने बताया कि कथित आरोपियों में तत्कालीन एसएचओ जंग बहादुर सिंह और नौ अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे।
उन्होंने बताया कि सोनकर का दावा है कि उन्हें जबरन थाने लाया गया और वहां आयोजित एक कार्यक्रम के लिए मुफ्त में खाद्य सामग्री देने से इनकार करने पर उनके साथ मारपीट की गई। सिंह ने बताया कि सोनकर का आरोप है कि पुलिस ने उनकी सोने की चेन और लगभग 25,000 रुपये नकद भी छीन लिये।
उन्होंने बताया कि पीड़ित ने एससी-एसटी अदालत में शिकायत दर्ज करायी थी, जिसके बाद लंबी कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
अधिवक्ता सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले कई सालों में अदालत द्वारा जारी किए गए कई गैर जमानती वारंट के बावजूद अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी अदालत ने अब अयोध्या के महानिरीक्षक (आईजी) को पूर्व एसएचओ जंग बहादुर समेत सभी 10 पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने और 20 जून 2025 को अदालत में उनकी पेशी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
भाषा सं आनन्द
अमित
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