नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह अजमेर शरीफ दरगाह के खातों की नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) से ऑडिट कराने के इच्छुक है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कैग के वकील से इस मुद्दे पर निर्देश लेने और अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा। इससे पहले अदालत को दरगाह के वकील ने सूचित किया कि उन्हें ऑडिट की शर्तें नहीं बताई गई है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘क्या आपने ऑडिट शुरू किया है या नहीं? आपके जवाब में कहा गया है कि ऑडिट अभी तक शुरू नहीं हुआ है। क्या मुझे यह रिकॉर्ड करना चाहिए? आप निर्देश लीजिए। मैं ऑडिट कराने के इच्छुक हूं। आप अपने रुख को बेहतर तरीके से स्पष्ट करते हैं और आप जो कर रहे हैं उस पर निर्देश लीजिए।’’
अदालत ने कहा, ‘‘उनकी (दरगाह के वकील) दलील बहुत स्पष्ट है। उन्हें प्रतिनिधित्व का अधिकार है, लेकिन यह मौका नहीं आया है क्योंकि आप (कैग) ने ऑडिट की शर्तें नहीं दी है।’’
अदालत ने इस मामले पर अब सात मई को सुनवाई करेगी।
दरगाह के वकील ने कहा कि कैग ने उनके समक्ष ऑडिट की शर्तें रखे बिना तीन सदस्यीय ऑडिट पैनल का गठन किया।
अदालत अजमेर दरगाम की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया कि कैग अधिकारी द्वारा बिना किसी सूचना के दरगाह कार्यालय में ‘‘गैरकानूनी तलाशी’’ डीपीसी अधिनियम और सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन कानून के प्रावधानों के विपरीत है।
भाषा आशीष माधव
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