जालना, दो मई (भाषा) शिवसेना (उबाठा) के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि विवादास्पद वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 संविधान के ‘मूल ढांचे’ के सिद्धांत पर उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का उल्लंघन करता है।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले विपक्षी संगठन के सचिव संजय लाखे पाटिल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर समुदायों के बीच विभाजन पैदा करके जानबूझकर सांप्रदायिक सद्भाव की ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ की भावना को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
शिवसेना (उबाठा) के पदाधिकारी ने बृहस्पतिवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की जालना इकाई द्वारा आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की ।
उन्होंने दावा किया कि पिछले महीने संसद द्वारा पारित वक्फ अधिनियम में नया संशोधन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ऐतिहासिक केशवानंद भारती फैसले का उल्लंघन करता है, जिसमें संविधान के ‘मूल ढांचे’ के सिद्धांत को निर्धारित किया गया था।
‘‘मूल ढांचे’’ के सिद्धांत पर 1973 के केशवानंद भारती फैसले ने संविधान में संशोधन करने की संसद की व्यापक शक्ति को सीमित कर दिया था और साथ ही न्यायपालिका को किसी भी संशोधन की समीक्षा करने का अधिकार दिया था।
फैसले में कहा गया था कि हालांकि संसद के पास अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन उसके पास इसकी मूल विशेषताओं को ‘‘निष्प्रभावी’’ करने की शक्ति नहीं है।
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संसद में वक्फ अधिनियम का समर्थन करने के बदले में अपने राजग सहयोगियों – बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके आंध्र प्रदेश के समकक्ष चंद्रबाबू नायडू को ‘‘बड़े पैकेज’’ की पेशकश की ।
इस अधिनियम में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता, दक्षता और नियंत्रण में सुधार के लिए तैयार किए गए कई सुधारों की व्यवस्था है।
पाटिल ने कहा, ‘मामला (नए कानून को चुनौती देने से संबंधित) वर्तमान में शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए है, जहां प्रधान न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से गंभीर सवाल पूछे हैं।’
शिवसेना (उबाठा) नेता ने कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की न्यायपालिका और भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को निशाना बनाने वाली हालिया टिप्पणियां निंदनीय हैं।
उन्होंने मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि वक्फ अधिनियम के खिलाफ उनके आंदोलन में उनकी पार्टी का पूरा समर्थन है।
पाटिल ने कहा, ‘शिवसेना (उबाठा) ने संसद में विधेयक के खिलाफ मतदान किया। हम आपके और आपके विरोध के साथ खड़े हैं।’’
भाषा रंजन रंजन मनीषा
मनीषा
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