जबलपुर, 12 मार्च (भाषा) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षा-2013 से संबंधित करोड़ों रुपये के व्यापमं घोटाले के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी सहित अन्य आरोप झेल रहे निजी मेडिकल कॉलेजों के नौ पूर्व अधिकारियों को सशर्त जमानत दे दी है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ताओं को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति एस. नागू और न्यायमूर्ति एम. एस. भट्टी की खंडपीठ ने शुक्रवार को आरोपी को सशर्त जमानत दी जिसमें यह भी शामिल है कि वे मुकदमे की सुनवाई के दौरान अनावश्यक स्थगन की मांग नहीं करेंगे।
अदालत ने भोपाल के पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस एवं रिसर्च सेंटर के पूर्व अध्यक्ष एस. एन. विजयवर्गीय, चिरायु चैरिटेबल फाउंडेशन भोपाल के तत्कालीन सचिव डॉ अजय गोयनका और मयंक वेलफेयर सोसायटी, इंदौर के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश सिंह भदौरिया को जमानत दे दी।
आज जिन अन्य लोगों को जमानत दी गई उनमें… चिरायु मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की प्रवेश समिति के पूर्व सदस्य डॉ रवि सक्सेना, एस. एन. सक्सेना तथा डॉ वी. एच. भावसार और पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर के पूर्व डीन डॉ विजय कुमार पंड्या, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर के पूर्व कर्मचारी अरुण कुमार अरोड़ा और चिरायु मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व डीन डॉ वीरेंद्र मोहन शामिल हैं।
अदालत के आदेशानुसार, याचिकाकर्ता सुनवाई के दौरान अनावश्यक स्थगन की मांग नहीं कर सकते, निचली अदालत की अनुमति के बैगर देश से बाहर नहीं जा सकते, जांच अधिकारी, मामले के तथ्यों से परिचित किसी भी व्यक्ति को प्रलोभन, धमकी या वादा नहीं कर सकते और नाहीं ऐसा करने में संलिप्त हो सकते हैं।
भाषा सं दिमो अर्पणा
अर्पणा
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