कोच्चि, 24 अगस्त (भाषा) सिरो मालाबार चर्च ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए आरक्षण के संबंध में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के उपाध्यक्ष वीटी बलराम की हालिया टिप्पणी का विरोध करते हुए रविवार को इसे ‘‘तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक’’ करार दिया।
सिरो मालाबार चर्च के सार्वजनिक मामलों के आयोग ने एक बयान में कहा कि बलराम की ओर से फेसबुक पर की गई टिप्पणी में आरोप लगाया गया था कि ईडब्ल्यूएस कोटे के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर अगड़ी जातियों के अयोग्य ईसाई छात्रों को राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला है।
आयोग ने दावा कि कांग्रेस नेता ने पोस्ट में कहा था कि केरल में मुस्लिम समुदाय को अधिक सीटें मिलनी चाहिए थीं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण के कारण ऐसा नहीं हो पाया।
सिरो मालाबार चर्च बलराम के उस हालिया फेसबुक पोस्ट का जिक्र कर रहा था, जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा था कि ‘‘ईडब्ल्यूएस आरक्षण से उक्त समुदाय को मुसलमानों, एझावा सहित पिछड़े हिंदुओं और पिछड़े ईसाइयों की तुलना में कहीं ज्यादा फायदा हो रहा है।’’
चर्च आयोग के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने पोस्ट में यह भी कहा था कि मुसलमानों की आबादी लगभग 27 प्रतिशत है, जिन्हें व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में केवल आठ प्रतिशत आरक्षण हासिल है, जबकि ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, जबकि उनकी आबादी 22-23 प्रतिशत है।
चर्च आयोग के अनुसार, बलराम ने सुझाव दिया था कि सभी गरीबों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी के आरक्षण के तहत बराबर अवसर दिए जाने चाहिए, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो।
चर्च आयोग ने कांग्रेस नेता की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इससे ईसाई समुदाय में अगड़ों और पिछड़ों के बीच विभाजन पैदा होगा।
आयोग ने कहा कि हालांकि, अधिकांश ईसाई किसी भी जाति-आधारित आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते, लेकिन मुस्लिम समुदाय में सभी को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) या एसईबीसी (सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग) आरक्षण का लाभ मिलता है।
चर्च आयोग ने कहा, “ईडब्ल्यूएस श्रेणी के आने से ही विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे ईसाई समुदाय के एक बड़े वर्ग को आरक्षण का लाभ मिला।”
आयोग ने साथ ही तर्क दिया कि ‘‘झूठे बयानों के माध्यम से ऐसी योजनाओं की आलोचना करना असंवैधानिक है।’’
चर्च आयोग ने केरल में आरक्षण के नाम पर वोट बैंक की राजनीति के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का आह्वान किया। आयोग ने यह भी कहा कि आरक्षण केवल समाज के पिछड़े वर्गों के लिए होना चाहिए।
भाषा जितेंद्र पारुल
पारुल
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.