केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को वीडियोकॉन ग्रुप और आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े 3,250 करोड़ रुपये ऋण मामले में चार कंपनियों के अलावा, आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और उद्योगपति वी.एन. धूत के खिलाफ मामला दर्ज किया और महाराष्ट्र में चार स्थानों पर छापेमारी की. पुष्ट सूत्रों ने यह जानकारी दी. सीबीआई की ओर से 2009-12 के मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक-सीईओ चंदा कोचर, उनके पति व नूपावर रिन्यूबल्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक दीपक कोचर और वीडियोकॉन के प्रबंध निदेशक धूत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के तुरंत बाद छापे मारे गए.
सीबीआई के एफआईआर में कथित अनियमितता में चंदा कोचर की भूमिका को तब से दर्शाया गया है, जब उन्होंने 1 मई 2009 को अपना पदभार ग्रहण किया था.
इसके अलावा सीबीआई की प्राथमिकी में नूपावर रिन्यूबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिडेट (एसईपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(वीआईईली) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीईएल) को नामजद किया गया है.
प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, क्योंकि अभियुक्तों ने कथित रूप से ‘आपराधिक साजिश के तहत आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ मिलकर निजी कंपनियों को ऋण जारी किया.’
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकी 31 मार्च, 2018 को दीपक कोचर, वीडियोकॉन समूह के अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज की गई प्रारंभिक जांच (पीई) के मद्देनजर की गई, प्रारंभिक जांच यह पता लगाने के लिए की गई थी कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा एक कंसोर्टियम के हिस्से में ऋण की मंजूरी में कुछ गलत हुआ है या नहीं.
यह छापेमारी दक्षिण मुंबई में चार (उपरोक्त) कंपनियों के कार्यालयों और औरंगाबाद में वीडियोकॉन से संबंधित एक जगह पर की गई.
ब्यूरो ने समाचार रिपोर्टों के आधार पर यह जांच शुरू की थी, जिसमें वीडियोकोन के धूत द्वारा कथित रूप से दीपक कोचर की कंपनी और कुछ रिश्तेदारों को करोड़ों रुपये मुहैया कराने को लेकर सवाल उठाए गए थे. धूत ने ऐसा बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का ऋण लेने के छह माह बाद किया था.
सीबीआई जांच के अनुसार, धूत की पांच कंपनियों को 3,250 करोड़ के ऋण देने को लेकर आईसीआईसीआई बैंक के बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करने और भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत शिकायत प्राप्त हुई.
जांच के अनुसार, धूत ने एनआरएल और एसईपीएल में 64 करोड़ का निवेश किया और दीपक कोचर की पिन्नाकल एनर्जी ट्रस्ट को 2010 से 2012 के बीच पेचीदे रास्ते के जरिए एसईपीएल स्थानांतरित कर दिया.
जून, 2009 से अक्टूबर, 2011 के बीच आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को छह ऊंचे मूल्य के ऋण जारी किए और 28 अगस्त 2009 को, वीआईईएल को कई नियमों का उल्लंघन करते हुए 300 करोड़ जारी किए गए. चंदा कोचर ऋण जारी करने वाली ऋण स्वीकृति समिति का हिस्सा थी.
उन पर अपने पद का इस्तेमाल कर आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश करने के तहत मामला दर्ज किया गया है. वीआईईएल को 7 सितंबर को ऋण दिया गया.
उसके अगले ही दिन 8 सितंबर 2009 को, एसईपीएल के जरिए, वीआईईएल ने दीपक कोचर की एनआरएल को 64 करोड़ दिए, जिससे एनआरएल ने अपना पहला पॉवर प्लांट खरीदा.
सीबीआई के एफआईआर के अनुसार, “ये ऋण गैर निष्पादित संपत्ति में बदल गए, जिस वजह से आईसीआईसी बैंक को गलत तरीके से हानि हुई और आरोपी/ऋण प्राप्तकर्ता को गलत तरीक से ऋण की प्राप्ति हुई. इसके अलावा ऋण स्वीकृति समिति में शामिल आईसीआईसीआई बैंके के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी जांच हो सकती है.”
चंदा कोचर (56) ने आईसीआईसीआई द्वारा स्वीकृत ऋणों में कथित ‘हितों के टकराव’ और खुलासा न करने को लेकर भारी विवाद के बाद चार अक्टूबर, 2018 को समयपूर्व सेवानिवृत्ति की मांग करते हुए अपना पद छोड़ दिया था.