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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश'एक दिन में 50 पंडालों का दौरा': ठाकरे के गढ़ वाले मुंबई में गणपति दर्शन के लिए सीएम शिंदे क्यों गए

‘एक दिन में 50 पंडालों का दौरा’: ठाकरे के गढ़ वाले मुंबई में गणपति दर्शन के लिए सीएम शिंदे क्यों गए

उनके एक करीबी सूत्र ने बताया कि पिछले दो महीने से कुछ ज्यादा समय से मुख्यमंत्री रहे शिंदे को गणपति पंडालों के लगातार दौरों ने हर दिन कम से कम 20 घंटे व्यस्त रखा है.

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मुंबई: रंग-बिरंगे पंडाल, उत्साही भक्त और संगीत को शोर – 10 दिवसीय गणेश उत्सव मुंबई का पर्याय है और साथ ही नेताओं को आम आदमी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का एक दुर्लभ अवसर भी. इस साल के अंत में होने वाले शहर में नागरिक निकाय चुनावों के बीच तो यह और भी जरूरी और खास हो गया.

मुख्यमंत्री के करीबी दो सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, त्योहार के इस मौसम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक ‘आउटरीच’ ओवरड्राइव पर रहे. उन्होंने हर दिन शहर में लगभग 50-60 स्थानीय गणपति पंडालों का दौरा किया.

संभवत: मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को राहत की सांस ली होगी, जो कि त्योहार और ‘व्यस्त’ पंडाल के दौरों का आखिरी दिन था. अपनी इस दिनचर्या में वह ‘हर दिन कम से कम 20 घंटे’ व्यस्त रहे थे.

सूत्रों के अनुसार, पिछले दो महीने से ज्यादा समय से सीएम पद पर रहे शिंदे के लिए पंडालों का दौरा दो कारणों से महत्वपूर्ण था – शिवसेना के शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे की उपस्थिति एक ऐसे शहर में दिखानी जहां समर्थक पारंपरिक रूप से ठाकरे परिवार के प्रति वफादार रहे हैं. साथ ही शिंदे अपने पूर्ववर्ती, उद्धव ठाकरे के बीच के अंतर को दिखाना चाहते हैं कि कैसे वह अपने लोगों के लिए सहज तौर पर उपलब्ध हैं. जबकि ठाकरे पर उनके विरोधी ‘पहुंच से परे होने’ का आरोप लगाते रहे थे.

इस साल जून में शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व किया और शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) व कांग्रेस वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार से बाहर चले गए.

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शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ने तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए शिंदे को मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया.

इस साल के अंत में महाराष्ट्र के शहरों में होने वाले निकाय चुनाव – विशेष रूप से मुंबई, ठाणे और पुणे में – विभाजन के बाद शिंदे और ठाकरे खेमे के लिए पहला बड़ा परीक्षण होगा.

सीएम का प्रभाव काफी हद तक ठाणे तक ही सीमित है. वह मुंबई में एक प्रशासनिक कैडर बनाने और ठाकरे के घरेलू मैदान में अपने दबदबे का विस्तार करने की दिशा में काम कर रहे हैं.


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आगे आने के लिए गणपति पंडाल से उम्मीदें

शिंदे खेमे के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि एक राजनेता के रूप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने ठाणे में ज्यादा से ज्यादा गणपति पंडालों का दौरा करने पर ध्यान दिया.

नेता ने कहा, ‘गणपति दर्शन के लिए लोगों के घरों और हाउसिंग सोसाइटी में जाने से वह ठाणे में एक लोकप्रिय नेता बन गए. इस साल मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने (शिंदे) मुंबई के लिए भी ऐसा ही करने का फैसला किया है.’

वह आगे बताते हैं, ‘मुख्यमंत्री आमतौर पर मुंबई में लालबागचा राजा जैसे प्रमुख पंडालों में जाते थे. लेकिन यह पहला मौका था जब छोटे मोहल्लों, इमारतों और हाउसिंग सोसायटियों के पंडालों में कोई सीएम नजर आया. यह पहले के सीएम (ठाकरे) के बिल्कुल विपरीत था.’

अपनी ताकत पर विश्वास रखते हुए शिंदे ने ज्यादातर उन क्षेत्रों में पंडालों का दौरा किया, जहां से उनके नेतृत्व वाले विद्रोही गुट का हिस्सा बनने वाले शिवसेना के सांसदों या विधायकों को चुना गया था.

ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने वाले 40 विधायकों में से पांच मुंबई शहर से चुने गए थे. अन्य प्रमुख विद्रोहियों में मुंबई से शिवसेना के तीन सांसदों में से एक राहुल शेवाले शामिल हैं.

अपने 10 दिवसीय दौरे के दौरान, सीएम शिंदे ने गिरगांव, प्रभादेवी, चांदीवली, मुलुंड, नायगांव, वडाला, सायन, चेंबूर और धारावी जैसे क्षेत्रों में स्थानीय पंडालों का दौरा किया.

शिंदे की टीम के एक सूत्र ने कहा, ‘हम सुबह 6 से 6:30 बजे तक गणपति (पंडालों) का दौरा करते. फिर सीएम सुबह 10 बजे तक ब्रेक लेते और अपनी आधिकारिक बैठकें शुरू कर देते.’  इसके अलावा मुख्यमंत्री ने जनता के लिए खुले प्रमुख पंडालों और वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा स्थापित निजी पंडालों का भी दौरा किया.

सूत्र ने कहा कि शिंदे ने त्योहार के पहले दो दिनों के भीतर छोटे पंडालों, हाउसिंग सोसायटियों और निजी घरों में रखी करीब 150 गणपति मूर्तियों के दर्शन किए थे.

बुधवार को त्योहार के आठवें दिन, शिंदे ने पुणे में एक दर्जन प्रसिद्ध गणपति पंडालों का भी दौरा किया.ॉ


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‘दो सीएम होने चाहिए’

विपक्षी दलों ने शिंदे के गणपति पंडाल के दौरों की आलोचना करते हुए कहा कि त्योहार तो लगातार बने रहते हैं. एक मुख्यमंत्री को अपनी सरकार के कामकाज को प्राथमिकता देनी चाहिए.

गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि उन्हें मिले एक व्हाट्सएप मैसेज में महाराष्ट्र में दो मुख्यमंत्री होने का सुझाव दिया गया था. इसमें लिखा था, ‘ये त्यौहार तो आते रहेंगे. एक मुख्यमंत्री इन सभी कार्यक्रमों में शिरकत करता रहेगा और दूसरा मंत्रालय (सचिवालय) में बैठकर लोगों की सेवा करेगा.’

सुले ने कहा कि हर राजनीतिक नेता की काम करने की एक अलग शैली होती है, लेकिन जिस तरह से ‘यह सरकार प्रवर्तन निदेशालय जैसी ताकतों को छीन रही है, दमन कर रही है – यह सब बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है’

राकांपा प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार की बेटी सुले ने कहा, ‘हममें से जो भी लोगों की सेवा करने, बेहतर कानून बनाने के लिए राजनीति में है, इस समय बहुत असहज महसूस कर रहा हैं क्योंकि हम सत्ता के लिए राजनीति में नहीं हैं.’

ठाकरे खेमे के मुंबई के विधायक सुनील प्रभु ने दिप्रिंट से कहा, ‘वे (शिंदे खेमे) पिछले मुख्यमंत्रियों के बारे में जो भी तस्वीर दिखाना चाहते हैं, उसे चित्रित करने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में महान सीएम की परंपरा रही है, जिन्होंने इतिहास में जगह बनाई है.’

प्रभु ने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री छवि के लिए जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन आखिर में जनता ही सही फैसला लेगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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